ग्वालियर। नगर निगम प्रशासन एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गया है. स्वच्छ भारत मिशन के तहत शहर में बनाए गए 45 सार्वजनिक और सामुदायिक शौचालय के निर्माण में करोड़ों की गड़बड़ी पकड़ी का मामला सामने आया है. इस मामले में अपर कमिश्नर सहित 6 लोगों को नोटिस जारी किया गया है. नगर निगम प्रशासक ने कहा है कि, वे इस मामले को खुद देख रहे हैं और गड़बड़ी मिलने पर किसी को भी छोड़ा नहीं जाएगा.
नगर निगम ने शहर में 45 स्थानों पर सामुदायिक व सार्वजनिक शौचालय की स्वीकृति और ठेका प्रक्रिया में वित्तीय गड़बड़ियों की जांच शुरू कर दी है. स्वच्छ भारत मिशन के तहत इस प्रोजेक्ट में बिना अधिकार के नगर निगम कमिश्नर ने सात करोड़ 54 लाख के काम को मंजूरी दे दी, जबकि उनके पास सिर्फ दो करोड़ तक के काम जारी करने का अधिकार है. शौचालय बनाने वाली कंपनी सुलभ इंटरनेशनल ने 5 फीसदी बैंक गारंटी जमा नहीं की. ये काम कंपनी को करीब 20 फीसदी अधिक दरों पर दिया गया. अब निगम कमिश्नर ने अपर आयुक्त देवेंद्र पालिया, अधीक्षण यंत्री और स्वच्छ भारत मिशन के नोडल अधिकारी प्रदीप चतुर्वेदी, सहायक इंजीनियर सत्येंद्र यादव, सब इंजीनियर राजेश परिहार और क्लर्क जोहेब सिद्धिकी को नोटिस जारी किए है. ये गड़बड़ी उस समय की है, जब तत्कालीन महापौर विवेक नारायण शेजवलकर सांसद चुन लिए गए थे और उन्होंने महापौर पद से इस्तीफा दे दिया था.
जानकारी के अनुसार 29 सामुदायिक शौचालय बनाए गए, जबकि 16 सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण किया गया था. सामुदायिक शौचालयों का टेंडर 3 करोड़ 84 लाख का था. इसमें इजाफा करके सुलभ इंटरनेशनल को 4 करोड़ 60 लाख में ठेका दिया गया. वहीं सार्वजनिक शौचालय का टेंडर 2 करोड़ 45 लाख में जारी करना था, लेकिन कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए दो करोड़ 94 लाख का टेंडर जारी किया गया. नगर निगम प्रशासक संभागीय आयुक्त ने इस मामले में जांच के आदेश दिए हैं. उन्होंने कहा कि, जो भी दोषी होगा उसे बख्शा नहीं जाएगा. पार्षदों ने कहा है कि, एमआईसी को भरोसे में लेकर काम कराना चाहिए था, लेकिन सब कुछ एमआईसी को अंधेरे में रखकर किया गया है, इसकी जांच होनी चाहिए.