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ग्वालियर: शारदेय नवरात्रि पर सजे माता के दरबार, कोरोना के चलते सीमित संख्या में ही भक्तों की एंट्री

ग्वालियर में शारदेय नवरात्र पर भी कोरोना का असर देखने को मिला है. कोरोना के चलते अब बस 25 प्रतिशत ही श्रद्धालु माता के दर्शन करने पहुंच रहे हैं.

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Published : Oct 17, 2020, 2:04 PM IST

mandhre mata mandir
मांढरे माता मंदिर

ग्वालियर। शारदेय नवरात्रि में 9 दिन तक चलने वाले पर्व की शुरुआत शनिवार से हो गई, लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण माता मंदिरों पर इसका असर साफ तौर पर देखने को मिल रहा है. कोरोना के कहर के चलते सिर्फ 25 फ़ीसदी ही श्रद्धालुओं को मंदिर में एंट्री मिल रही है,

शारदेय नवरात्र पर कोरोना का असर
दरअसल शनिवार से शारदेय नवरात्रि का पर्व शुरू होने से शहर के प्रसिद्ध माता मंदिरों को विद्युत साज-सज्जा से सजाया गया है. कोरोना गाइडलाइन के मुताबिक मंदिरों में एक बार में 50 से ज्यादा लोगों को प्रवेश की अनुमति नहीं है. इसका पालन कराया जा रहा है, मंदिर के बाहर थर्मल स्क्रीनिंग, सैनिटाइजिंग, मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की हिदायत भी दी जा रही है. ग्वालियर में कोरोना संक्रमण के कारण लोग डरे हुए हैं, लेकिन वह आस्था के केंद्र में भी जा रहे हैं.

शहर के प्रसिद्ध मांढरे की माता का मंदिर करीब 140 साल पुराना है. सिंधिया रियासत के तत्कालीन कर्नल आनंद राव मांढरे ने अपनी कुलदेवी की याद में सिंधिया राजवंश की मदद से इस मंदिर का पहाड़ी पर निर्माण कराया था. तब से यह मंदिर सिद्ध पीठों में गिना जाता है. यहां आने वाले श्रद्धालु अगर सच्चे मन से फरियाद करे, तो उनकी हर मनोकामना पूरी होती है.

ग्वालियर। शारदेय नवरात्रि में 9 दिन तक चलने वाले पर्व की शुरुआत शनिवार से हो गई, लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण माता मंदिरों पर इसका असर साफ तौर पर देखने को मिल रहा है. कोरोना के कहर के चलते सिर्फ 25 फ़ीसदी ही श्रद्धालुओं को मंदिर में एंट्री मिल रही है,

शारदेय नवरात्र पर कोरोना का असर
दरअसल शनिवार से शारदेय नवरात्रि का पर्व शुरू होने से शहर के प्रसिद्ध माता मंदिरों को विद्युत साज-सज्जा से सजाया गया है. कोरोना गाइडलाइन के मुताबिक मंदिरों में एक बार में 50 से ज्यादा लोगों को प्रवेश की अनुमति नहीं है. इसका पालन कराया जा रहा है, मंदिर के बाहर थर्मल स्क्रीनिंग, सैनिटाइजिंग, मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की हिदायत भी दी जा रही है. ग्वालियर में कोरोना संक्रमण के कारण लोग डरे हुए हैं, लेकिन वह आस्था के केंद्र में भी जा रहे हैं.

शहर के प्रसिद्ध मांढरे की माता का मंदिर करीब 140 साल पुराना है. सिंधिया रियासत के तत्कालीन कर्नल आनंद राव मांढरे ने अपनी कुलदेवी की याद में सिंधिया राजवंश की मदद से इस मंदिर का पहाड़ी पर निर्माण कराया था. तब से यह मंदिर सिद्ध पीठों में गिना जाता है. यहां आने वाले श्रद्धालु अगर सच्चे मन से फरियाद करे, तो उनकी हर मनोकामना पूरी होती है.

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