ग्वालियर। मध्यप्रदेश डिप्लोमा इंजीनियर्स एसोसिएशन द्वारा सरकार को कर्मचारी विरोधी नीतियों के खिलाफ अपने दो प्रमुख मांगों को लेकर नोटिस जारी किया गया है. एसोसिएशन का कहना है कि वे अपने संविदा उपयंत्रीयों को रिक्त पदों पर नियमितीकरण वर्क चार्ज उपयंत्रियों को नियमित पदस्थापना देने और निचले पदों पर कार्यरत कर्मचारियों जो डिप्लोमा होल्डर्स हैं, उन्हें उपयंत्री बनाने की मांग की थी, जो अभी तक लंबित पड़ी है.
इसको लेकर डिप्लोमा इंजीनियर्स एसोसिएशन साल 2016 और 2017 में आंदोलन किया था, जिसमें उनका 48 दिन का वेतन भी काटा गया था. बावजूद इसके उन्हें सरकार की ओर से आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला है.
इसके अलावा 28 साल की सेवा पूरी कर चुके कार्यपालन यंत्री पद का वेतनमान प्राप्त कर रहे वरिष्ठ यंत्रियों को सहायक यंत्री पदनाम देने की मांग को सरकार अविलंब पूरी करें. उपयंत्री संवर्ग को पूर्ण सेवाकाल में एक भी पदोन्नति नहीं मिल रही है.
वरिष्ठ सदस्य बिना किसी पदोन्नति के सेवानिवृत्त हो रहे हैं. इस तरह का एक मामला सुप्रीम कोर्ट में भी लंबित है. इसे लेकर मध्य प्रदेश डिप्लोमा इंजीनियर एसोसिएशन 4 सितंबर को जिला कलेक्टर के माध्यम से मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को ज्ञापन प्रेषित करेगा फिर 14 सितंबर को आयुक्त के माध्यम से भी सरकार का इन मांगों की ओर ध्यान दिलाया जाएगा.
डिप्लोमा इंजीनियर्स एसोसिएशन का कहना है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गई तो 15 सितंबर के बाद वे पूरे प्रदेश में विकास कार्य ठप कर सकते हैं. इसमें 6000 नियमित इंजीनियर और 2000 संविदा इंजीनियर शामिल होंगे. एसोसिएशन का यह भी कहना है कि कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए सरकार को इंजीनियर अपना मांग पत्र सौंपेंगे.