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कर्मचारी किसी के, वेतन कोई और दे रहा :हर महीने दो करोड़ रुपए खर्च

राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय कृषि विज्ञान केंद्र के अफसरों और कर्मचारियों का वेतन सहित दूसरे खर्चे उठा रहा है. ऐसे एक दो कर्मचारी नहीं हैं. इनकी संख्या 57 बताई गई है. इनकी सैलरी और दूसरे खर्चों पर हर महीने करीब दो करोड़ रुपए का भुगतान विश्वविद्यालय को उठाना पड़ रहा है.

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Published : Mar 30, 2021, 10:49 AM IST

Updated : Mar 30, 2021, 6:11 PM IST

Two crore is being spent on deployment of employees every month
कर्मचारियों की तैनाती हर महीने हो रहा दो करोड़ का खर्च

ग्वालियर। राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय कृषि विज्ञान केंद्र के अफसरों और कर्मचारियों का वेतन सहित दूसरे खर्चे उठा रहा है. जो उसके कर्मचारी ही नहीं है. अपनी राजनीतिक पहुंच और अफसरों के चहेते होने या दूसरे कारणों से वो राजमाता कृषि विश्वविद्यालय के मुलाजिम बने हुए हैं. ऐसे एक दो कर्मचारी नहीं है बल्कि इनकी संख्या पूरी 57 बताई गई है. इनकी सैलरी और दूसरे खर्चों पर हर महीने करीब दो करोड़ रुपए का भुगतान विश्वविद्यालय को उठाना पड़ रहा है.

हर महीने दो करोड़ रुपए खर्च
  • प्रमुख सचिव ने लगाई थी फटकार

राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय को मध्यप्रदेश शासन और विभागीय प्रमुख सचिव ने फटकार लगाई थी. जिसके बाद इन कर्मचारियों को वापस उनके मूल विभाग भेजने की प्रक्रिया शुरू की गई. इनमें से कुछ कर्मचारियों को भेज भी दिया गया लेकिन कुछ कर्मचारी फिर से विश्वविद्यालय में तैनाती चाहते हैं. कुछ विश्वविद्यालय के वरिष्ठ अधिकारी भी उन्हें वापस बुलाना चाह रहे हैं.

  • विश्वविद्यालय नई नियुक्तियां नहीं कर पा रहा

इस मामले की शिकायत विश्वविद्यालय कर्मचारी संगठन के पदाधिकारी ने कृषि विभाग के प्रमुख सचिव राज्यपाल और आईसीएआर को की है. उनका कहना है कि कृषि विज्ञान केंद्र पर तैनात रहे इन कर्मचारियों का पे ग्रेड 5400 रुपए था, जिसे विश्वविद्यालय ने बढ़ाकर छह हजार रुपए कर दिया है. लंबे समय से यह अधिकारी और कर्मचारी विश्वविद्यालय में तैनात हैं जबकि कृषि विज्ञान केंद्रों में उनकी तैनाती होनी चाहिए थी. इससे काम प्रभावित हो रहा है. विश्वविद्यालय नई नियुक्तियां नहीं कर पा रहा है.

प्राध्यापकों के बीच पहुंचे मंत्री, मांगों को मानने का दिया भरोसा

  • शोध कार्य और छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है

वहीं कृषि विज्ञान केंद्र पर तैनात रहने वाले इन कर्मचारियों की वजह से किसानों के लिए होने वाले शोध कार्य और छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है. कुलपति के निजी सचिव भी कृषि विज्ञान केंद्र से आते हैं लेकिन वह सालों से विश्वविद्यालय में स्टेनो बने हुए हैं. विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार ने पिछले दिनों इन कर्मचारियों को हटा दिया था. लेकिन फिर से कोशिश की जा रही है कि केवीके के इन कर्मचारियों और अधिकारियों को वापस विश्वविद्यालय में तैनात किया जाए.

  • कुलपति कोरोना पॉजिटिव बताए गए हैं

छात्रों का आरोप है कि इस मामले में जो अधिकारी कर्मचारी बिना सिफारिश वाले हैं, उन्हें भेज दिया गया है लेकिन जो अधिकारियों के खास हैं या राजनीतिक पकड़ रखते हैं उन्हें वापस यहां तैनात किया जा रहा है. जिससे छात्रों का नुकसान होगा. इस मामले में कुलपति से बात करने की कोशिश की गई लेकिन वे कोरोना पॉजिटिव बताए गए हैं. उनका कार्यालय भी बंद है. रजिस्टार और वित्त नियंत्रक भी मुंह खोलने के लिए तैयार नहीं है.

ग्वालियर। राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय कृषि विज्ञान केंद्र के अफसरों और कर्मचारियों का वेतन सहित दूसरे खर्चे उठा रहा है. जो उसके कर्मचारी ही नहीं है. अपनी राजनीतिक पहुंच और अफसरों के चहेते होने या दूसरे कारणों से वो राजमाता कृषि विश्वविद्यालय के मुलाजिम बने हुए हैं. ऐसे एक दो कर्मचारी नहीं है बल्कि इनकी संख्या पूरी 57 बताई गई है. इनकी सैलरी और दूसरे खर्चों पर हर महीने करीब दो करोड़ रुपए का भुगतान विश्वविद्यालय को उठाना पड़ रहा है.

हर महीने दो करोड़ रुपए खर्च
  • प्रमुख सचिव ने लगाई थी फटकार

राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय को मध्यप्रदेश शासन और विभागीय प्रमुख सचिव ने फटकार लगाई थी. जिसके बाद इन कर्मचारियों को वापस उनके मूल विभाग भेजने की प्रक्रिया शुरू की गई. इनमें से कुछ कर्मचारियों को भेज भी दिया गया लेकिन कुछ कर्मचारी फिर से विश्वविद्यालय में तैनाती चाहते हैं. कुछ विश्वविद्यालय के वरिष्ठ अधिकारी भी उन्हें वापस बुलाना चाह रहे हैं.

  • विश्वविद्यालय नई नियुक्तियां नहीं कर पा रहा

इस मामले की शिकायत विश्वविद्यालय कर्मचारी संगठन के पदाधिकारी ने कृषि विभाग के प्रमुख सचिव राज्यपाल और आईसीएआर को की है. उनका कहना है कि कृषि विज्ञान केंद्र पर तैनात रहे इन कर्मचारियों का पे ग्रेड 5400 रुपए था, जिसे विश्वविद्यालय ने बढ़ाकर छह हजार रुपए कर दिया है. लंबे समय से यह अधिकारी और कर्मचारी विश्वविद्यालय में तैनात हैं जबकि कृषि विज्ञान केंद्रों में उनकी तैनाती होनी चाहिए थी. इससे काम प्रभावित हो रहा है. विश्वविद्यालय नई नियुक्तियां नहीं कर पा रहा है.

प्राध्यापकों के बीच पहुंचे मंत्री, मांगों को मानने का दिया भरोसा

  • शोध कार्य और छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है

वहीं कृषि विज्ञान केंद्र पर तैनात रहने वाले इन कर्मचारियों की वजह से किसानों के लिए होने वाले शोध कार्य और छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है. कुलपति के निजी सचिव भी कृषि विज्ञान केंद्र से आते हैं लेकिन वह सालों से विश्वविद्यालय में स्टेनो बने हुए हैं. विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार ने पिछले दिनों इन कर्मचारियों को हटा दिया था. लेकिन फिर से कोशिश की जा रही है कि केवीके के इन कर्मचारियों और अधिकारियों को वापस विश्वविद्यालय में तैनात किया जाए.

  • कुलपति कोरोना पॉजिटिव बताए गए हैं

छात्रों का आरोप है कि इस मामले में जो अधिकारी कर्मचारी बिना सिफारिश वाले हैं, उन्हें भेज दिया गया है लेकिन जो अधिकारियों के खास हैं या राजनीतिक पकड़ रखते हैं उन्हें वापस यहां तैनात किया जा रहा है. जिससे छात्रों का नुकसान होगा. इस मामले में कुलपति से बात करने की कोशिश की गई लेकिन वे कोरोना पॉजिटिव बताए गए हैं. उनका कार्यालय भी बंद है. रजिस्टार और वित्त नियंत्रक भी मुंह खोलने के लिए तैयार नहीं है.

Last Updated : Mar 30, 2021, 6:11 PM IST
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