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उपचुनाव में हुई लापरवाही की कैसे होगी भरपाई ? बिन मास्क ग्वालियर चंबल की आधी आबादी

उपचुनाव के बाद अब कोरोना वायरस ने तेवर दिखाना शुरू कर दिया है. कोरोना के आंकड़े लगातार तेजी से बढ़ने लगे हैं. इसके बावजूद ग्वालियर शहर में लोग न मास्क लगा रहे हैं और न ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे हैं.

BHOPAL
राजनीतिक पार्टियों की लापरवाही
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Published : Nov 13, 2020, 7:49 PM IST

ग्वालियर। ग्वालियर चंबल अंचल में हुए उपचुनाव के बाद अब कोरोना वायरस ने तेवर दिखाना शुरू कर दिया है. कोरोना के आंकड़े लगातार तेजी से बढ़ने लगे हैं. इसके बावजूद ग्वालियर शहर में लोग न मास्क लगा रहे हैं और न ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे हैं. शहर में भीड़ देखकर ऐसा लगा रहा है कि जैसे शहर में कोरोना महामारी पूरी तरह से समाप्त हो चुकी है, इस उपचुनाव के बाद एक बार फिर ग्वालियर जिले में कोरोना धीरे-धीरे हावी होने लगा है. यही वजह है कि सप्ताह भर से लगातार कोरोना के मामलों में इजाफा हो रहा है.

ये लापरवाही पड़ सकती है भारी
राजनीतिक पार्टियों की लापरवाही

दरअसल चुनावी सभाओं के दौरान जमकर सोशल डिस्टेंसिग की धज्जियां उड़ाई गई. इसकी शुरुआत राजनीतिक पार्टी के नेताओं ने शुरू की. ग्वालियर शहर में जनसभाओं के दौरान खुद प्रदेश के मुखिया सीएम शिवराज सिंह, पूर्व सीएम कमलनाथ सहित तमाम दिग्गज नेताओं ने यहां के लोगों की जिंदगी को दांव पर लगाकर हजारों की संख्या में राजनीतिक कार्यक्रम आयोजित करने पहुंचे थे. जिला प्रशासन और बीजेपी-कांग्रेस ने भले ही दावे किए थे कि कोरोना गाइड लाइन के हिसाब से कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं लेकिन इन कार्यक्रमों में देखा गया था कि हजारों की संख्या में जो भीड़ एकत्रित हो रही है. वह भीड़ न तो सोशल डिस्टेंस का ध्यान रख रही थी और न ही मुंह पर मास्क लगाकर आई थी.

कोराना के प्रति लोग हुए लापरवाह

राजनीतिक कार्यक्रमों में भीड़ एकत्रित देखकर अब शहर की जनता भी कोरोना महामारी को लेकर लापरवाह होने लगी. अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शहर में करीब 70 फीसदी लोग मुंह पर मास्क नहीं लगा रहे हैं, और करीब 90 फीसदी लोग सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान नहीं रख रहे हैं. इसके साथ ही सरकारी दफ्तरों में भी बहुत कम संख्या में अधिकारी और कर्मचारी मास्क का उपयोग कर रहे हैं. इतना ही नहीं इसको लेकर अब जिला प्रशासन भी गंभीर नजर नहीं आ रहा है. और न ही ऐसे लोगों पर कार्रवाई की जा रही है.

कंटेनमेंट जोन में नहीं है कोई व्यवस्था

ग्वालियर में कोरोना संक्रमण को लेकर जिला प्रशासन की लगातार लापरवाही देखने को मिल रही है. यही वजह है जिस कॉलोनी या घर में कोरोना का मरीज निकल रहा है. वहां पर जिला प्रशासन की तरफ से कोई भी इंतजाम नहीं हो रहा है. पहले कॉलोनी में कोरोना संक्रमित मरीज निकलता था. वहां स्वास्थ्य एवं जिला प्रशासन की तरफ से एक कर्मचारी मौजूद रहता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है. जिस घर में कोराना का संक्रमित मरीज पाया जा रहा है उसी घर के सदस्य बाहर घूमते हुए नजर आ रहे हैं.

ग्वालियर में बढ़ी संक्रमित मरीजों की संख्या

दरअसल जैसे-जैसे सर्दी बढ़ती जा रही है. वैसे ही ग्वालियर शहर में लगातार संक्रमित मरीजों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है. एक महीने पहले 300 से 400 मरीज सामने आ रहे थे. उसके बाद बीच में कोरोना मरीजों की संख्या बेहद कम हो गई थी. 22 से 31 अक्टूबर तक 1600 सैम्पलों पर रोज औसतन 20 से 25 नए मरीज सामने आ रहे थे, लेकिन अब फिर से एक सप्ताह से मरीजों के आंकड़े में लगातार तेजी देखने को मिल रही है. वहीं मौतों का आंकड़ा भी लगातार बढ़ रहा है. शुक्रवार को ग्वालियर में 80 नए कोरोना संक्रमित मरीज पाए गए हैं. वही 4 मरीजों की मौत भी हुई है.

ग्वालियर। ग्वालियर चंबल अंचल में हुए उपचुनाव के बाद अब कोरोना वायरस ने तेवर दिखाना शुरू कर दिया है. कोरोना के आंकड़े लगातार तेजी से बढ़ने लगे हैं. इसके बावजूद ग्वालियर शहर में लोग न मास्क लगा रहे हैं और न ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे हैं. शहर में भीड़ देखकर ऐसा लगा रहा है कि जैसे शहर में कोरोना महामारी पूरी तरह से समाप्त हो चुकी है, इस उपचुनाव के बाद एक बार फिर ग्वालियर जिले में कोरोना धीरे-धीरे हावी होने लगा है. यही वजह है कि सप्ताह भर से लगातार कोरोना के मामलों में इजाफा हो रहा है.

ये लापरवाही पड़ सकती है भारी
राजनीतिक पार्टियों की लापरवाही

दरअसल चुनावी सभाओं के दौरान जमकर सोशल डिस्टेंसिग की धज्जियां उड़ाई गई. इसकी शुरुआत राजनीतिक पार्टी के नेताओं ने शुरू की. ग्वालियर शहर में जनसभाओं के दौरान खुद प्रदेश के मुखिया सीएम शिवराज सिंह, पूर्व सीएम कमलनाथ सहित तमाम दिग्गज नेताओं ने यहां के लोगों की जिंदगी को दांव पर लगाकर हजारों की संख्या में राजनीतिक कार्यक्रम आयोजित करने पहुंचे थे. जिला प्रशासन और बीजेपी-कांग्रेस ने भले ही दावे किए थे कि कोरोना गाइड लाइन के हिसाब से कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं लेकिन इन कार्यक्रमों में देखा गया था कि हजारों की संख्या में जो भीड़ एकत्रित हो रही है. वह भीड़ न तो सोशल डिस्टेंस का ध्यान रख रही थी और न ही मुंह पर मास्क लगाकर आई थी.

कोराना के प्रति लोग हुए लापरवाह

राजनीतिक कार्यक्रमों में भीड़ एकत्रित देखकर अब शहर की जनता भी कोरोना महामारी को लेकर लापरवाह होने लगी. अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शहर में करीब 70 फीसदी लोग मुंह पर मास्क नहीं लगा रहे हैं, और करीब 90 फीसदी लोग सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान नहीं रख रहे हैं. इसके साथ ही सरकारी दफ्तरों में भी बहुत कम संख्या में अधिकारी और कर्मचारी मास्क का उपयोग कर रहे हैं. इतना ही नहीं इसको लेकर अब जिला प्रशासन भी गंभीर नजर नहीं आ रहा है. और न ही ऐसे लोगों पर कार्रवाई की जा रही है.

कंटेनमेंट जोन में नहीं है कोई व्यवस्था

ग्वालियर में कोरोना संक्रमण को लेकर जिला प्रशासन की लगातार लापरवाही देखने को मिल रही है. यही वजह है जिस कॉलोनी या घर में कोरोना का मरीज निकल रहा है. वहां पर जिला प्रशासन की तरफ से कोई भी इंतजाम नहीं हो रहा है. पहले कॉलोनी में कोरोना संक्रमित मरीज निकलता था. वहां स्वास्थ्य एवं जिला प्रशासन की तरफ से एक कर्मचारी मौजूद रहता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है. जिस घर में कोराना का संक्रमित मरीज पाया जा रहा है उसी घर के सदस्य बाहर घूमते हुए नजर आ रहे हैं.

ग्वालियर में बढ़ी संक्रमित मरीजों की संख्या

दरअसल जैसे-जैसे सर्दी बढ़ती जा रही है. वैसे ही ग्वालियर शहर में लगातार संक्रमित मरीजों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है. एक महीने पहले 300 से 400 मरीज सामने आ रहे थे. उसके बाद बीच में कोरोना मरीजों की संख्या बेहद कम हो गई थी. 22 से 31 अक्टूबर तक 1600 सैम्पलों पर रोज औसतन 20 से 25 नए मरीज सामने आ रहे थे, लेकिन अब फिर से एक सप्ताह से मरीजों के आंकड़े में लगातार तेजी देखने को मिल रही है. वहीं मौतों का आंकड़ा भी लगातार बढ़ रहा है. शुक्रवार को ग्वालियर में 80 नए कोरोना संक्रमित मरीज पाए गए हैं. वही 4 मरीजों की मौत भी हुई है.

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