ग्वालियर। 100 साल की हो चुकीं नारायणी देवी दिल की मरीज हैं इसलिए जब वह कोविड-19 पॉजिटिव निकलीं तो परिजनों के दिल बैठ गए. लेकिन, नारायणी देवी ने इस मिथक को तोड़ दिया कि दिल के मरीज, उच्च-रक्तचाप के शिकार और बुजुर्ग कोरोना के आसान शिकार होते हैं. इच्छा शक्ति, सावधानी और अच्छी दिनचर्या के दम पर नारायणी देवी ने महज चार दिनों में ही कोरोना को चारो खाने चित्त कर दिया और अस्पताल से स्वस्थ्य होकर किसी विजेता की तरह घर लौटीं.
"विजेता दादी" को नहीं लगी है टीके की कोई डोज़
ये भी उल्लेखनीय है कि नारायणी देवी को अभी कोरना के टीके की एक भी खुराक नहीं लगी है. जीत का राज पूछे जाने पर उनका दिया गया जवाब वाकई हर इंसान को जीत के जज्बे से भरने के लिए काफी है. नारायणी देवी ने कहा कि, 'जंग हथियारों से नहीं, बल्कि हौसलों से जीती जाती है'. अब 'कोरोना विजेता दादी' की दिनचर्या कोरोना पीड़ितों के लिए मिसाल बन चुकी है और डॉक्टर भी इसका का अध्ययन कर रहे हैं.
दादी से चार दिन में हारा कोरोना वायरस
शहर के वार्ड नंबर-30, सिटी सेंटर निवासी नारायणी देवी उम्र के 100 साल गुज़ार चुकी हैं. कुछ दिन पहले उन्हें हल्की खांसी, जुकाम हुआ. जयारोग्य अस्पताल समूह में डॉक्टर के पद पर तैनात उनकी बेटी ने टेस्ट कराया तो नारायणी देवी की रिपोर्ट पॉजिटिव आई. चिंतित बेटी और परिजनों ने उन्हें जयारोग्य अस्पताल में भर्ती कराया, सब परेशान थे कि कि दिल की मरीज नारायणी देवी पर कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन की मारकता कहीं भारी न पड़ जाए. लेकिन उनकी 'विजेता दादी' की इच्छा-शक्ति से वायरस बेअसर साबित हुआ. नारायणी देवी महज चार दिन में ही वायरस को हरा अस्पताल से डिस्चार्ज होकर घर आ गईं. अब वह पूरी तरह स्वस्थ हैं.
नारायणीं देवी की सीख, "हौसलों से उड़ान होती है"
नारायणी देवी की डॉक्टर बेटी ने बताया कि सही समय पर अस्पताल पहुंचाने, वहां सतर्क देखभाल और मजबूत इच्छा शक्ति से चार दिन में ही नारायणी देवी की कोरोना पर जीत का ये करिश्मा संभव हुआ. उनकी ये भी सलाह है कि घर में अगर बुजुर्ग हैं, तो उनका ख्याल रखिए. जरा भी खांसी जुकाम है, तो अनदेखा न करें. नारायणी देवी ने युवाओं को नसीहत दी कि अनाप-शनाप खाने से बचें, सलाद ज्यादा खाएं, इससे सेहत अच्छी बनी रहती है, और हौसला हमेशा बुलंद बनाए रखें, यह हमेशा जीत दिलाता है.