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उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही संपन्न हुआ छठ महापर्व - भोजपुरी समाज

36 घंटे का निर्जला व्रत छठ आज सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही संपन्न हो गया.

डूबते सूर्य को अर्ध्य देकर महिलाओं ने की छठ पूजा
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Published : Nov 3, 2019, 11:57 AM IST

Updated : Nov 3, 2019, 2:01 PM IST

ग्वालियर। कटोरा ताल गोला का मंदिर क्षेत्र में मिथिलांचल व पूर्वांचल के लोगों की बड़ी संख्या में मौजूदगी के चलते छठ पूजा के लिए विशेष इंतजाम किया गया था, साथ ही छठी मइया का ये पर्व धार्मिक रीति-रिवाजों और श्रद्धा भाव से मनाया गया. व्रती महिलाएं रंग-बिरंगे परिधानों में घुटने तक पानी में उतर कर भगवान सूर्य की पूजा अर्चना कर अर्घ्य दीं.

उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही संपन्न हुआ छठ महापर्व

लोक रीति-रिवाजों से जुड़े छठ महापर्व में हर व्यक्ति शामिल होता है, इसमें व्रत रखने वाले महिला व पुरुष नंगे पैर रहते हैं. साथ ही छठ पर्व नहाये खाये से शुरू होता है, जो आज सुबह तक विभिन्न रीति-रिवाजों के साथ संपन्न हो गया.

श्रद्धालुओं का कहना है कि ये पर्व अपने आप में अनूठा है. रामायण और महाभारत काल से इस पर्व का उल्लेख मिलता है, यही एक ऐसा पर्व है जिसमें उगते सूर्यदेव के अलावा डूबते सूर्यदेव की आराधना की जाती है.

ग्वालियर। कटोरा ताल गोला का मंदिर क्षेत्र में मिथिलांचल व पूर्वांचल के लोगों की बड़ी संख्या में मौजूदगी के चलते छठ पूजा के लिए विशेष इंतजाम किया गया था, साथ ही छठी मइया का ये पर्व धार्मिक रीति-रिवाजों और श्रद्धा भाव से मनाया गया. व्रती महिलाएं रंग-बिरंगे परिधानों में घुटने तक पानी में उतर कर भगवान सूर्य की पूजा अर्चना कर अर्घ्य दीं.

उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही संपन्न हुआ छठ महापर्व

लोक रीति-रिवाजों से जुड़े छठ महापर्व में हर व्यक्ति शामिल होता है, इसमें व्रत रखने वाले महिला व पुरुष नंगे पैर रहते हैं. साथ ही छठ पर्व नहाये खाये से शुरू होता है, जो आज सुबह तक विभिन्न रीति-रिवाजों के साथ संपन्न हो गया.

श्रद्धालुओं का कहना है कि ये पर्व अपने आप में अनूठा है. रामायण और महाभारत काल से इस पर्व का उल्लेख मिलता है, यही एक ऐसा पर्व है जिसमें उगते सूर्यदेव के अलावा डूबते सूर्यदेव की आराधना की जाती है.

Intro:ग्वालियर
मिथिलांचल और पूर्वांचल के लोगों का सबसे बड़ा पर्व यानी छठ पूजा के दूसरे दिन डूबते सूर्य को अर्ध्य देकर महिलाओं ने दीपक कलश और गन्नों की पूजा की एवं अपने पति बच्चों की खुशहाली लंबी उम्र मांगी। महिलाएं 36 घंटे के बेहद कठिन उपवास पर हैं। उनका उपवास रविवार सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ समाप्त होगा।


Body:ग्वालियर में भोजपुरी समाज के अलावा मिथिलांचल और पूर्वांचल के लोगों की बड़ी संख्या रहती है। छठी मैया का यह पर्व पूरा समाज धार्मिक रीति-रिवाजों और श्रद्धा भाव से मनाता रहा है ।ग्वालियर में कटोरा ताल गोला का मंदिर हजीरा एवं आदित्यपुरम में छठ पूजा के लिए विशेष इंतजाम किए गए थे ।यहां महिलाएं रंग-बिरंगे परिधानों में घुटने तक पानी में उतर कर भगवान भास्कर की पूजा अर्चना कर रही थी ।रात में कोसी भराई की रस्म अदा की जाएगी।


Conclusion:जानकार बताते हैं कि लोक रीति-रिवाजों से जुड़े छठ पर्व में हर व्यक्ति शरीक होता है इसमें व्रत रखने वाले महिला पुरुष नंगे पैर रहते हैं और नहाए खाय से शुरू कर यह छठ रस्म रविवार सुबह तक विभिन्न रीति-रिवाजों के साथ संपन्न होगी। तभी उपवास वाले व्यक्ति अपना व्रत खोलेंगे। भोजपुरी समाज के लोगों का कहना है कि यह पर्व अपने आप में अनूठा है रामायण काल और महाभारत काल में भी इस पर्व का उल्लेख मिलता है यही एक ऐसा पर्व है जिसमें उगते भगवान भास्कर के अलावा डूबते सूर्य की आराधना की जाती है।
बाइट सुशीला पांडे.... व्रत रखने वाली भोजपुरी समाज की महिला
बाइट बच्चन बिहारी... भोजपुरी समाज के सदस्य
Last Updated : Nov 3, 2019, 2:01 PM IST
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