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विश्व शतरंज चैंपियन गुकेश की पीएम मोदी से मुलाकात, अपने सिग्नेचर के साथ दिया ये खास तोहफा - D GUKESH MEETS PM MODI

विश्व शतरंज चैंपियन डी गुकेश ने हस्ताक्षरित चेस बोर्ड प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गिफ्ट किया.

गुकेश ने पीएम मोदी को चेस बोर्ड भेंट किया
गुकेश ने पीएम मोदी को चेस बोर्ड भेंट किया (Narendra Modi X PHOTO)
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By ETV Bharat Sports Team

Published : 14 hours ago

नई दिल्ली: सबसे युवा विश्व शतरंज चैंपियन और भारत के गौरव डी गुकेश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शनिवार को मुलाकात की. इस मौके पर पीएम ने डी गुकेश की ऐतिहासिक विश्व शतरंज चैंपियनशिप जीत की सराहना की. युवा चैंपियन ने प्रधानमंत्री को एक हस्ताक्षरित शतरंज बोर्ड भेंट किया. जो उनकी जीत और वैश्विक शतरंज क्षेत्र में भारत की बढ़ती प्रमुखता का प्रतीक है.

पीएम मोदी ने गुकेश को बधाई देते हुए कहा, 'मेरी उनके साथ शानदार बातचीत हुई. मैं पिछले कुछ सालों से उनके साथ निकटता से बातचीत कर रहा हूं, और उनके बारे में जो बात मुझे सबसे ज्यादा प्रभावित करती है, वह उनका दृढ़ संकल्प और समर्पण है. उनका आत्मविश्वास वाकई प्रेरणादायक है. अपनी बातचीत के दौरान, प्रधानमंत्री ने 11 वर्षीय गुकेश के एक वायरल वीडियो को याद किया, जिसमें वह सबसे कम उम्र के शतरंज चैंपियन बनने के अपने सपने को व्यक्त कर रहा था. प्रधानमंत्री मोदी ने कड़ी मेहनत और दृढ़ता के माध्यम से इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को पूरा करने के लिए गुकेश की सराहना की

गुकेश ने महज 18 साल की उम्र में विश्व शतरंज चैंपियन बने
उल्लेखनीय है कि 12 दिसंबर को, डी गुकेश ने सिंगापुर में विश्व शतरंज चैंपियनशिप का खिताब जीतने के लिए एक करीबी मुकाबले में चीन के डिंग लिरेन को हराया. जिसके साथ गुकेश ने महज 18 साल की उम्र में रूसी दिग्गज गैरी कास्पारोव का रिकॉर्ड तोड़ दिया, जो 1985 में 22 साल की उम्र में चैंपियन बने थे. इसके अलावा गुकेश महान विश्वनाथन आनंद के नक्शेकदम पर चलते हुए यह उपलब्धि हासिल करने वाले केवल दूसरे भारतीय बन गए.

गुकेश में शांति और विनम्रता भी है
पीएम मोदी ने कहा,'आत्मविश्वास के साथ-साथ गुकेश में शांति और विनम्रता भी है. जीतने के बाद, वह शांत था, अपनी महिमा में डूबा हुआ था और इस कठिन जीत को कैसे प्राप्त किया जाए, यह पूरी तरह से समझता था. आज हमारी बातचीत योग और ध्यान की परिवर्तनकारी क्षमता के इर्द-गिर्द घूमती रही.'

हर एथलीट की सफलता में माता पिता की भूमिका अहम होती है
उन्होंने आगे कहा, 'हर एथलीट की सफलता में उसके माता-पिता की अहम भूमिका होती है. मैंने गुकेश के माता-पिता की हर मुश्किल परिस्थिति में उसका साथ देने के लिए प्रशंसा की. उनका समर्पण उन युवा उम्मीदवारों के अनगिनत माता-पिता को प्रेरित करेगा जो खेल को करियर के रूप में अपनाने का सपना देखते हैं.'

गुकेश ने पीएम मोदी को चेस बोर्ड भेंट किया
गुकेश ने पीएम मोदी को शतरंज की वह बिसात भेंट की जिस पर उन्होंने विश्व खिताब जीता था. पीएम मोदी ने कहा, 'मुझे गुकेश से उस खेल की असली शतरंज की बिसात प्राप्त करके भी खुशी हुई, जिसे उसने जीता था. शतरंज की बिसात जिस पर उसके और डिंग लिरेन दोनों के हस्ताक्षर हैं, एक यादगार स्मृति है.'

गुकेश का विश्व चैंपियन बनने का सफर
पहला गेम हारने के बाद, उन्होंने गेम 3 में जीत के साथ वापसी की. इसके बाद लगातार सात ड्रॉ हुए, जिससे मैच बराबरी पर रहा. गेम 11 में गुकेश ने डिंग को मात दी, लेकिन गेम 12 में चीनी ग्रैंडमास्टर ने शानदार प्रदर्शन करके जवाबी हमला किया. स्कोर 6.5-6.5 से बराबर होने के बाद, 14वां और अंतिम गेम निर्णायक बन गया.

अंतिम क्लासिकल गेम में, गुकेश ने उल्लेखनीय सटीकता और संयम का प्रदर्शन किया. सफेद मोहरों से खेल रहे डिंग 53वीं चाल में गलती के बाद दबाव में थे. गुकेश ने इस गलती का फायदा उठाते हुए 7.5-6.5 की ऐतिहासिक जीत हासिल की और सबसे कम उम्र के विश्व चैंपियन बन गए. जिसके बाद गुकेश 1.3 मिलियन अमरीकी डॉलर के पुरस्कार और शतरंज की दुनिया के नए शहंशाह के टाइटल के साथ घर लौटे.

नई दिल्ली: सबसे युवा विश्व शतरंज चैंपियन और भारत के गौरव डी गुकेश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शनिवार को मुलाकात की. इस मौके पर पीएम ने डी गुकेश की ऐतिहासिक विश्व शतरंज चैंपियनशिप जीत की सराहना की. युवा चैंपियन ने प्रधानमंत्री को एक हस्ताक्षरित शतरंज बोर्ड भेंट किया. जो उनकी जीत और वैश्विक शतरंज क्षेत्र में भारत की बढ़ती प्रमुखता का प्रतीक है.

पीएम मोदी ने गुकेश को बधाई देते हुए कहा, 'मेरी उनके साथ शानदार बातचीत हुई. मैं पिछले कुछ सालों से उनके साथ निकटता से बातचीत कर रहा हूं, और उनके बारे में जो बात मुझे सबसे ज्यादा प्रभावित करती है, वह उनका दृढ़ संकल्प और समर्पण है. उनका आत्मविश्वास वाकई प्रेरणादायक है. अपनी बातचीत के दौरान, प्रधानमंत्री ने 11 वर्षीय गुकेश के एक वायरल वीडियो को याद किया, जिसमें वह सबसे कम उम्र के शतरंज चैंपियन बनने के अपने सपने को व्यक्त कर रहा था. प्रधानमंत्री मोदी ने कड़ी मेहनत और दृढ़ता के माध्यम से इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को पूरा करने के लिए गुकेश की सराहना की

गुकेश ने महज 18 साल की उम्र में विश्व शतरंज चैंपियन बने
उल्लेखनीय है कि 12 दिसंबर को, डी गुकेश ने सिंगापुर में विश्व शतरंज चैंपियनशिप का खिताब जीतने के लिए एक करीबी मुकाबले में चीन के डिंग लिरेन को हराया. जिसके साथ गुकेश ने महज 18 साल की उम्र में रूसी दिग्गज गैरी कास्पारोव का रिकॉर्ड तोड़ दिया, जो 1985 में 22 साल की उम्र में चैंपियन बने थे. इसके अलावा गुकेश महान विश्वनाथन आनंद के नक्शेकदम पर चलते हुए यह उपलब्धि हासिल करने वाले केवल दूसरे भारतीय बन गए.

गुकेश में शांति और विनम्रता भी है
पीएम मोदी ने कहा,'आत्मविश्वास के साथ-साथ गुकेश में शांति और विनम्रता भी है. जीतने के बाद, वह शांत था, अपनी महिमा में डूबा हुआ था और इस कठिन जीत को कैसे प्राप्त किया जाए, यह पूरी तरह से समझता था. आज हमारी बातचीत योग और ध्यान की परिवर्तनकारी क्षमता के इर्द-गिर्द घूमती रही.'

हर एथलीट की सफलता में माता पिता की भूमिका अहम होती है
उन्होंने आगे कहा, 'हर एथलीट की सफलता में उसके माता-पिता की अहम भूमिका होती है. मैंने गुकेश के माता-पिता की हर मुश्किल परिस्थिति में उसका साथ देने के लिए प्रशंसा की. उनका समर्पण उन युवा उम्मीदवारों के अनगिनत माता-पिता को प्रेरित करेगा जो खेल को करियर के रूप में अपनाने का सपना देखते हैं.'

गुकेश ने पीएम मोदी को चेस बोर्ड भेंट किया
गुकेश ने पीएम मोदी को शतरंज की वह बिसात भेंट की जिस पर उन्होंने विश्व खिताब जीता था. पीएम मोदी ने कहा, 'मुझे गुकेश से उस खेल की असली शतरंज की बिसात प्राप्त करके भी खुशी हुई, जिसे उसने जीता था. शतरंज की बिसात जिस पर उसके और डिंग लिरेन दोनों के हस्ताक्षर हैं, एक यादगार स्मृति है.'

गुकेश का विश्व चैंपियन बनने का सफर
पहला गेम हारने के बाद, उन्होंने गेम 3 में जीत के साथ वापसी की. इसके बाद लगातार सात ड्रॉ हुए, जिससे मैच बराबरी पर रहा. गेम 11 में गुकेश ने डिंग को मात दी, लेकिन गेम 12 में चीनी ग्रैंडमास्टर ने शानदार प्रदर्शन करके जवाबी हमला किया. स्कोर 6.5-6.5 से बराबर होने के बाद, 14वां और अंतिम गेम निर्णायक बन गया.

अंतिम क्लासिकल गेम में, गुकेश ने उल्लेखनीय सटीकता और संयम का प्रदर्शन किया. सफेद मोहरों से खेल रहे डिंग 53वीं चाल में गलती के बाद दबाव में थे. गुकेश ने इस गलती का फायदा उठाते हुए 7.5-6.5 की ऐतिहासिक जीत हासिल की और सबसे कम उम्र के विश्व चैंपियन बन गए. जिसके बाद गुकेश 1.3 मिलियन अमरीकी डॉलर के पुरस्कार और शतरंज की दुनिया के नए शहंशाह के टाइटल के साथ घर लौटे.

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