ग्वालियर। 100 साल पुरानी सेंट्रल लाइब्रेरी जल्द अपने नए स्वरूप में नजर आएगी. महाराज बाडे पर स्थित सेंट्रल लाइब्रेरी की बिल्डिंग को स्मार्ट सिटी कॉरपोरेशन ने रिनोवेट किया है. वहीं, इस लाइब्रेरी की सभी किताबों का डिजिटलाइजेशन का काम भी लगभग पूरा होने के करीब है. अगर यह काम पूरा हो जाता है, तो अगले तीन महीने बाद सेंट्रल लाइब्रेरी ग्वालियर वासियों के लिए खुल जाएगी.
- मैनुअल और डिजिटल रूप से पढ़ी जाएंगी किताबें
महाराज बाड़ा स्थित 1927 में तत्कालीन महाराजा जीवाजी राव सिंधिया ने आम लोगों के लिए इस केंद्रीय पुस्तकालय की स्थापना कराई थी, लेकिन इस सेंट्रल लाइब्रेरी का रूप कुछ अलग हटकर होगा. किताबों को ऑनलाइन भी लोग रजिस्ट्रेशन कराने के बाद पढ़ सकते हैं. वहीं 1927 से 1990 तक की करीब 50,000 से ज्यादा किताबों को मैनुअल और डिजिटल दोनों ही रूप से पढ़ा जा सकेगा. यहां एक विशाल सेमिनार हॉल भी बनाया जा रहा है, जिसमें प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों को एक्सपर्ट लोग अपने लेक्चर से भी संबोधित कर सकेंगे और कोई भी प्रतियोगी छात्र वहां जाकर अपने कांसेप्ट क्लियर कर सकेगा. स्मार्ट सिटी कॉरपोरेशन को जहां ऐतिहासिक भवन का जीर्णोद्धार कराना था, वहीं किताबों को सहेजने और उनका डिजिटलाइजेशन करने की भी बड़ी चुनौती थी. यहां एटीएम मशीन की तरह किताबों को इश्यू भी कराया जाएगा. जो टच मशीन के जरिए लोगों को मिल सकेगी.
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लाइब्रेरी में पाठक ना सिर्फ ऑनलाइन और मैनुअली किताबों को पढ़ सकेंगे, बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर का कंटेंट भी पढ़ सकेंगे. डिजिटल लाइब्रेरी के सदस्यों के लिए एक मोबाइल ऐप भी ग्वालियर स्मार्ट सिटी द्वारा विकसित किया जा रहा है, जिसके माध्यम से घर बैठे पाठक किताबें पढ़ सकेंगे. छात्र और प्रतिभागी रोजगार और उच्च शिक्षा हेतु ग्रुप डिस्कशन, मॉक इंटरव्यू आदि की भी तैयारी आधुनिक लाइब्रेरी में कर सकते हैं. लाइब्रेरी में किड्स प्ले एरिया का भी प्रावधान रखा गया है. बच्चों में पढ़ने की ललक बनी रहे इसके लिए पुस्तकालय में उनकी रुचि के हिसाब से तैयारी की जा रही है. पूरी लाइब्रेरी को हाईटेक मोड पर लाने के लिए सभी रैक पर आरएफआईडी कोड भी लगाया जाएगा, जिससे कोई भी पाठक रैक में रखी पुस्तकों से छेड़छाड़ करेगा, तो सायरन बजने लगेगा.