ग्वालियर। मध्यप्रदेश पुलिस के रेडियो विभाग में पदस्थ ऑपरेटर साइफर इन दिनों प्रमोशन नहीं मिलने से परेशान हैं. इनके करीब 400 से ज्यादा पद फिलहाल खाली हैं. विभागीय विसंगति के चलते डिपार्टमेंट द्वारा दिए जा रहे प्रमोशन का लाभ नहीं मिल पा रहा है. जबकि वह सीनियरिटी में कहीं आगे हैं, इसके उलट नए नवेले टेक्नीशियन वर्ग को प्रमोट किया जा रहा है. जबकि उनकी सीनियरिटी काफी कम है. इसे लेकर विभाग में असंतोष के स्वर उठने लगे हैं और मामला हाईकोर्ट तक जा पहुंचा है.
ऑपरेटर और साइफर को अलग लिस्ट बनाकर किया जाए प्रमोट
ग्वालियर चंबल संभाग के करीब 3 दर्जन पुलिस विभाग के रेडियो कर्मचारियों ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है. जिसमें उन्होंने मांग की है कि ऑपरेटर और साइफर को अलग लिस्ट बनाकर उन्हें प्रमोट किया जाए. दूसरा उन्होंने यह भी बताया है कि पुलिस महानिदेशक के निर्देश पर ट्रांसफर पॉलिसी बनाई जाती है, लेकिन बिना किसी आदेश के तीनों संवर्गों को एक कर दिया गया है और एडीजी के मुताबिक लोगों को प्रमोट किया जा रहा है.
पुलिसकर्मियों को मिला पदोन्नति का लाभ
इसमें कई लोग लंबी सेवा अवधि के बावजूद रिटायरमेंट के करीब पहुंच गए हैं. जबकि हाल ही में सेवा में आए पुलिसकर्मियों को पदोन्नति का लाभ मिल चुका है. इसमें 1981 में रेडियो में आरक्षक के तौर पर भर्ती हुए जयंत निर्मलकर हैं, जो 39 साल की सेवा के बाद पिछले साल रिटायर हो गए. इसी तरह गोपाल शर्मा भी 1981 में भर्ती हुए और 40 साल की सेवा के बाद मार्च 2021 मे रिटायर हो रहे हैं.
पदोन्नति की इस विसंगति से करीब सात सौ से ज्यादा ऐसे रेडियो पुलिसकर्मी हैं, जो सिर्फ एक प्रमोशन के बाद ही रिटायर हो जाएंगे. खास बात यह है कि पुलिस विभाग के गोपनीय मूवमेंट की जानकारी एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन तक गोपनीय कोडिंग में पहुंचाने वाले मध्य प्रदेश दूरसंचार के ऑपरेटर और साइफर होते हैं. यह कोडिंग में एक जिले से दूसरे जिले में अथवा अपने वरिष्ठ अधिकारियों को जानकारियां पहुंचाते हैं. इस मामले की सुनवाई अब अगले 3 या 4 दिनों बाद हाईकोर्ट में हो सकती है.