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बीजेपी का चिराग जलाकर भी अपने घर में उजाला नहीं कर पाए सिंधिया-तोमर

मध्यप्रदेश उपचुनाव में बीजेपी ने भले ही कांग्रेस को बड़े अंतर से शिकस्त दी हो, लेकिन ग्वालियर पूर्व विधानसभा सीट हारने से कई सवाल उठ रहे हैं. ये सीट ज्योतिरादित्य सिंधिया और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के प्रभाव वाली सीट मानी जाती है.

Scindia Tomar Fort collapse
सिंधिया तोमर के गढ़ में सेंध
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Published : Nov 12, 2020, 9:21 PM IST

Updated : Nov 13, 2020, 3:12 PM IST

ग्वालियर। मध्यप्रदेश में 28 सीटों पर हुए उपचुनाव में सबसे लेट रिजल्ट ग्वालियर पूर्व विधानसभा सीट का आया था. जिसमें ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी मुन्नालाल गोयल को कांग्रेस प्रत्याशी सतीश सिकरवार ने करीब साढ़े आठ हजार मतों से शिकस्त दी. ग्वालियर पूर्व विधानसभा सीट वीआईपी सीट मानी जाती है, क्योंकि इस क्षेत्र में सिंधिया का जय विलास पैलेस और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का गृह निवास है. इन दिग्गजों का इस सीट पर सीधा प्रभाव रहता है. फिर भी कांग्रेस ने यहां जीत दर्ज करने में कामयाब रही. राजनीतिक जानकार देव श्रीमाली की मानें तो इसके कुछ खास कारण हैं.

ग्वालियर पूर्व सीट से आखिर क्यों हारी बीजेपी ?

बीजेपी की हार के पांच कारण

  • पहली वजह कांग्रेस इस सीट पर टिकाऊ और बिकाऊ के मुद्दे को भुनाने में सफल रही. क्योंकि 2018 के विधानसभा चुनाव में मुन्नालाल गोयल इस सीट से चुनाव जीते थे. लेकिन इस बार उन पर दगाबाजी और गद्दार जैसे आरोप लगे. जिसका सीधा असर चुनाव में दिखा.
  • दूसरी वजह बीजेपी में जाने से मुन्नालाल गोयल के हाथ से दलित, मुस्लिम, पिछड़ा का वोट बैंक खिसक गया. इन समुदायों ने कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में वोट किया.
  • बीजेपी की हार का तीसरा फैक्टर रहा कांग्रेस प्रत्याशी का ठाकुर समाज से होना. क्योंकि इस विधानसभा क्षेत्र में करीब 35 हजार ठाकुर वोटर्स हैं. जो बीजेपी का वोट बैंक माना जाता था, लेकिन जातिगत प्रभाव के चलते ये वोट बैंक भी कांग्रेस के पक्ष में मुड़ गया.
  • चौथी वजह रही बीजेपी की आंतरिक कलह. क्योंकि नरेंद्र सिंह तोमर गुट के लोग यहां से टिकट मांग रहे थे. इतना ही नहीं माया सिंह गुट के लोगों ने भी टिकट की मांग की थी. टिकट नहीं मिलने से सब नाराज थे. ऐसे में बीजेपी कार्यकर्ताओं में अंसतोष की भावना रही. जिसका खामियाजा बीजेपी को भुगतना पड़ा.
  • ग्वालियर पूर्व विधानसभा में सतीश सिकरवार का जीतने का सबसे बड़ा कारण ये है कि उनकी हर वार्ड में एक अलग पहचान है. वह लगातार एक सक्रिय नेता के रूप में जाने जाते हैं. खासतौर पर दलित और गरीब तबके वर्ग में उनकी मजबूत पकड़ मानी जाती है.
    आमने सामने कांग्रेस और बीजेपी

बीजेपी की तिगड़ी हुई फेल

बीजेपी प्रत्याशी मुन्नालाल गोयल को जिताने के लिए खुद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पूरी ताकत झोंक दी थी. केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी लगातार यहां पर प्रचार करते नजर आए. सिंधिया ने यहां चार बड़ी सभाएं कीं, तो सीएम शिवराज भी जनता से मुन्नालाल को जिताने की अपील करते नजर आए. तमाम प्रयासों के बाद भी बीजेपी अपना किला बचाने में सफल नहीं हो सकी.

कांग्रेस ने कहा हम जनसेवक इसलिए जीते

कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह ने कहा कि इस विधानसभा क्षेत्र से जनता ने सिंधिया को साफ संदेश दिया है कि कोई नेता जनता की सेवा करके ही जनसेवक बनता है. जनतंत्र में नेता सर्वमान्य नहीं जनता जनार्दन होती है. जनसेवक अभिनय करने से कोई जनसेवक नहीं होता.

बीजेपी की सफाई

बीजेपी प्रवक्ता आशीष अग्रवाल का कहना है कि ग्वालियर पूर्व पर मिली हार की समीक्षा की जाएगी. हार के कारणों को जाना जाएगा. लेकिन प्रदेश की जनता ने 28 विधानसभा सीटों पर जो जनादेश दिया है, उससे साफ संदेश है कि उन्होंने विकास को चुना है.

19 सीटों पर बीजेपी का कब्जा

मध्य प्रदेश उपचुनाव में बीजेपी ने शानदार जीत दर्ज की है. कुल 28 में से सत्ताधारी पार्टी 19 सीटों पर कब्जा जमाने में कामयाब रही है, तो वहीं कांग्रेस के खाते में महज 09 सीटों आईं हैं. इमरती देवी सहित कुल तीन मंत्रियों को हार का सामना करना पड़ा. हालांकि चुनाव लड़ रहे 9 मंत्रियों ने जीत हासिल की है.

ग्वालियर। मध्यप्रदेश में 28 सीटों पर हुए उपचुनाव में सबसे लेट रिजल्ट ग्वालियर पूर्व विधानसभा सीट का आया था. जिसमें ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी मुन्नालाल गोयल को कांग्रेस प्रत्याशी सतीश सिकरवार ने करीब साढ़े आठ हजार मतों से शिकस्त दी. ग्वालियर पूर्व विधानसभा सीट वीआईपी सीट मानी जाती है, क्योंकि इस क्षेत्र में सिंधिया का जय विलास पैलेस और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का गृह निवास है. इन दिग्गजों का इस सीट पर सीधा प्रभाव रहता है. फिर भी कांग्रेस ने यहां जीत दर्ज करने में कामयाब रही. राजनीतिक जानकार देव श्रीमाली की मानें तो इसके कुछ खास कारण हैं.

ग्वालियर पूर्व सीट से आखिर क्यों हारी बीजेपी ?

बीजेपी की हार के पांच कारण

  • पहली वजह कांग्रेस इस सीट पर टिकाऊ और बिकाऊ के मुद्दे को भुनाने में सफल रही. क्योंकि 2018 के विधानसभा चुनाव में मुन्नालाल गोयल इस सीट से चुनाव जीते थे. लेकिन इस बार उन पर दगाबाजी और गद्दार जैसे आरोप लगे. जिसका सीधा असर चुनाव में दिखा.
  • दूसरी वजह बीजेपी में जाने से मुन्नालाल गोयल के हाथ से दलित, मुस्लिम, पिछड़ा का वोट बैंक खिसक गया. इन समुदायों ने कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में वोट किया.
  • बीजेपी की हार का तीसरा फैक्टर रहा कांग्रेस प्रत्याशी का ठाकुर समाज से होना. क्योंकि इस विधानसभा क्षेत्र में करीब 35 हजार ठाकुर वोटर्स हैं. जो बीजेपी का वोट बैंक माना जाता था, लेकिन जातिगत प्रभाव के चलते ये वोट बैंक भी कांग्रेस के पक्ष में मुड़ गया.
  • चौथी वजह रही बीजेपी की आंतरिक कलह. क्योंकि नरेंद्र सिंह तोमर गुट के लोग यहां से टिकट मांग रहे थे. इतना ही नहीं माया सिंह गुट के लोगों ने भी टिकट की मांग की थी. टिकट नहीं मिलने से सब नाराज थे. ऐसे में बीजेपी कार्यकर्ताओं में अंसतोष की भावना रही. जिसका खामियाजा बीजेपी को भुगतना पड़ा.
  • ग्वालियर पूर्व विधानसभा में सतीश सिकरवार का जीतने का सबसे बड़ा कारण ये है कि उनकी हर वार्ड में एक अलग पहचान है. वह लगातार एक सक्रिय नेता के रूप में जाने जाते हैं. खासतौर पर दलित और गरीब तबके वर्ग में उनकी मजबूत पकड़ मानी जाती है.
    आमने सामने कांग्रेस और बीजेपी

बीजेपी की तिगड़ी हुई फेल

बीजेपी प्रत्याशी मुन्नालाल गोयल को जिताने के लिए खुद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पूरी ताकत झोंक दी थी. केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी लगातार यहां पर प्रचार करते नजर आए. सिंधिया ने यहां चार बड़ी सभाएं कीं, तो सीएम शिवराज भी जनता से मुन्नालाल को जिताने की अपील करते नजर आए. तमाम प्रयासों के बाद भी बीजेपी अपना किला बचाने में सफल नहीं हो सकी.

कांग्रेस ने कहा हम जनसेवक इसलिए जीते

कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह ने कहा कि इस विधानसभा क्षेत्र से जनता ने सिंधिया को साफ संदेश दिया है कि कोई नेता जनता की सेवा करके ही जनसेवक बनता है. जनतंत्र में नेता सर्वमान्य नहीं जनता जनार्दन होती है. जनसेवक अभिनय करने से कोई जनसेवक नहीं होता.

बीजेपी की सफाई

बीजेपी प्रवक्ता आशीष अग्रवाल का कहना है कि ग्वालियर पूर्व पर मिली हार की समीक्षा की जाएगी. हार के कारणों को जाना जाएगा. लेकिन प्रदेश की जनता ने 28 विधानसभा सीटों पर जो जनादेश दिया है, उससे साफ संदेश है कि उन्होंने विकास को चुना है.

19 सीटों पर बीजेपी का कब्जा

मध्य प्रदेश उपचुनाव में बीजेपी ने शानदार जीत दर्ज की है. कुल 28 में से सत्ताधारी पार्टी 19 सीटों पर कब्जा जमाने में कामयाब रही है, तो वहीं कांग्रेस के खाते में महज 09 सीटों आईं हैं. इमरती देवी सहित कुल तीन मंत्रियों को हार का सामना करना पड़ा. हालांकि चुनाव लड़ रहे 9 मंत्रियों ने जीत हासिल की है.

Last Updated : Nov 13, 2020, 3:12 PM IST
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