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आज भी दिलों में जिंदा हैं अटल बिहारी वाजपेयी, जानिए ग्वालियर से जुड़ी उनकी यादें...

देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आज पुण्यतिथि है. अटल जी आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन ग्वालियर के लाडले सपूत की यादें हर ग्वालियरवासी के दिलों में जिंदा हैं. ग्वालियर से जुड़े उनकी जिंदगी के कुछ पल आपको बतातें हैं. देखिए ये रिपोर्ट...

Atal Bihari Vajpayee's death anniversary today
अटल बिहारी वाजपेयी की आज पुण्यतिथि
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Published : Aug 16, 2020, 1:07 PM IST

Updated : Aug 16, 2020, 1:30 PM IST

ग्वालियर। देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की आज पुण्यतिथि हैं. अटल जी आज हमारे बीच नहीं है, लेकिन ग्वालियर के लाडले सपूत की यादें हर ग्वालियरवासियों के दिलों में जिंदा हैं. भले ही अटल जी का जन्म यूपी के बटेश्वर गांव में हुआ हो, लेकिन उनका बचपन ग्वालियर के कमल सिंह के बाग में गुजरा है. उन्होंने प्राथमिक और स्नातक की शिक्षा यहीं हासिल की. एक अच्छे कवि और राजनीति की एक-एक बारीकी उन्होंने ग्वालियर की गलियों में सीखी. ग्वालियर के कोने-कोने में अटल जी की यादें जुड़ी हुई हैं, आज हम आपको अटल जी की पुण्यतिथि पर उनके जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें बता रहे हैं.

अटल बिहारी वाजपेयी की आज पुण्यतिथि

अटल जी के पंसदीदा लड्डू

अटल जी खाने के बड़े शौकीन थे, अटल जी खुद भी खाते थे और दूसरों को भी खूब खिलाते थे. ग्वालियर में ऐसी कुछ चुनिंदा जगह मौजूद है, जहां उनका आना जाना अक्सर हुआ करता था. उन्हीं में से एक दुकान है बहादुरा स्वीट्स की. नया बाजार इलाके में स्थित बहादुरा स्वीट्स के लड्डू और रसगुल्ले अटल जी को खासतौर पर बहुत पंसद थे. इतना ही नहीं जब वो प्रधानमंत्री बने और ग्वालियर आना उनका कम हो गया, तो विशेष तौर पर उनके लिए बहादुरा स्वीट्स के लड्डू और रसगुल्ले दिल्ली भेजे जाते थे.

बहादुरा दुकान के संचालक और यहां आने वाले लोगों को गौरव महसूस होता है और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की यादें ताज़ा हो जाती हैं. इस दुकान से लड्डू खरीदने आये मुंबई के लोगों का कहना है कि जब यहां से गुजरे तो सोचा लड्डू जरूर खाये जाएं क्योंकि इस दुकान से देश के लाडले सपूत अटल बिहारी बाजपेयी जी यादें जुड़ी हुई हैं.

अटल जी को जितना बहादुरा के लड्डू पसंद थे. उतने ही उन्हें अम्मा के मंगौड़े भी बेहद पसंद थे. छात्र जीवन से लेकर राजनीति के मंच तक पहुंचने के दौरान अटल जी लगभग हर शाम इस दुकान पर आते थे. अपने साथियों के अटल जी इस दुकान पर देर रात तक मंगौड़े और पकोड़े का लुत्फ उठाते थे. उस दौर में दुकान को अम्मा संचालित करती थीं, लिहाजा अटल जी रात के वक्त आते और फिर अम्मा के हाथों से बनी पकोड़ी और मंगौड़े का स्वाद लेते थे.

दुकान संचालक दुर्गा सिंह बताते हैं कि उन्होंने अपने बचपन से ही अटल जी को यहां आते देखा है. बाद में अटल जी प्रधानमंत्री बनें तो ग्वालियर से उनके रिश्तेदार और मित्र लोग अटल जी के लिए मंगौड़े और पकोड़े दिल्ली ले जाते थे.

अटल जी ने ग्वालियर में ली प्राथमिक शिक्षा

ग्वालियर की गलियों में पले बढ़े एक लाल ने पूरी दुनिया में नाम कर दिया. अपने तो अपने विरोधी भी जिनके मुरीद हुए, ऐसे अटल बिहारी वाजपेयी को याद कर ग्वालियर का हर शख्स खुद को गौरवान्वित महसूस करता है. इतना ही नहीं अटल जी जिस स्कूल में पढ़े उस स्कूल के शिक्षक आज भी बच्चों के सामने नज़ीर पेश करते हैं कि पढ़ोगे लिखोगे तो अटल जी जैसे बनोगे. ये स्कूल आज किसी राष्ट्रीय धरोहर की तरह है. ग्वालियर का ये वही गोरखी स्कूल है जहां कभी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी पढ़ा करते थे. स्कूल का हर कमरा, खेल का मैदान, अहाते सबमें मानों अटल जी की यादें बसीं हैं. दीवारों पर बाकायदा अटल जी का नाम लिखा है. अटल बिहारी वाजपेयी ने इसी स्कूल से मिडिल तक की शिक्षा हासिल की थी.

खास बात ये भी है कि 1935-37 में जब अटल जी इस स्कूल में पढ़ा करते थे तो उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी इस स्कूल में पढ़ाया करते थे. स्कूल में आज भी उस रजिस्टर को सहेज कर रखा गया है जिसमें कभी अटल जी की उपस्थिति दर्ज हुआ करती थी. अटल जी का नंबर उपस्थित रजिस्टर में 101 यानि सौ फीसदी से एक ज्यादा हुआ करता था. इस स्कूल को देखकर हर किसी को फक्र होता है कि यहां कभी अटल जी पढ़ा करते थे. शिक्षक भी मानते हैं कि ये स्कूल अटल जी की यादों की धरोहर है.

अटल मंदिर में दिन रात होती है पूजा

अटल जी आज दुनिया में नहीं है, लेकिन ग्वालियर के लोगों के लिए वह आज भी जिंदा है. यही वजह है कि ग्वालियर के लोगों ने अटल जी को मंदिर में विराजमान कर दिया है. उनकी मूर्ति स्थापित है और बाकायदा सुबह शाम उनकी कविताओं की आरती की जाती है. वहां पर मंदिर पर एक पुजारी रहता है जो सुबह शाम अटल मंदिर की पूजा करता है.

ग्वालियर। देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की आज पुण्यतिथि हैं. अटल जी आज हमारे बीच नहीं है, लेकिन ग्वालियर के लाडले सपूत की यादें हर ग्वालियरवासियों के दिलों में जिंदा हैं. भले ही अटल जी का जन्म यूपी के बटेश्वर गांव में हुआ हो, लेकिन उनका बचपन ग्वालियर के कमल सिंह के बाग में गुजरा है. उन्होंने प्राथमिक और स्नातक की शिक्षा यहीं हासिल की. एक अच्छे कवि और राजनीति की एक-एक बारीकी उन्होंने ग्वालियर की गलियों में सीखी. ग्वालियर के कोने-कोने में अटल जी की यादें जुड़ी हुई हैं, आज हम आपको अटल जी की पुण्यतिथि पर उनके जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें बता रहे हैं.

अटल बिहारी वाजपेयी की आज पुण्यतिथि

अटल जी के पंसदीदा लड्डू

अटल जी खाने के बड़े शौकीन थे, अटल जी खुद भी खाते थे और दूसरों को भी खूब खिलाते थे. ग्वालियर में ऐसी कुछ चुनिंदा जगह मौजूद है, जहां उनका आना जाना अक्सर हुआ करता था. उन्हीं में से एक दुकान है बहादुरा स्वीट्स की. नया बाजार इलाके में स्थित बहादुरा स्वीट्स के लड्डू और रसगुल्ले अटल जी को खासतौर पर बहुत पंसद थे. इतना ही नहीं जब वो प्रधानमंत्री बने और ग्वालियर आना उनका कम हो गया, तो विशेष तौर पर उनके लिए बहादुरा स्वीट्स के लड्डू और रसगुल्ले दिल्ली भेजे जाते थे.

बहादुरा दुकान के संचालक और यहां आने वाले लोगों को गौरव महसूस होता है और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की यादें ताज़ा हो जाती हैं. इस दुकान से लड्डू खरीदने आये मुंबई के लोगों का कहना है कि जब यहां से गुजरे तो सोचा लड्डू जरूर खाये जाएं क्योंकि इस दुकान से देश के लाडले सपूत अटल बिहारी बाजपेयी जी यादें जुड़ी हुई हैं.

अटल जी को जितना बहादुरा के लड्डू पसंद थे. उतने ही उन्हें अम्मा के मंगौड़े भी बेहद पसंद थे. छात्र जीवन से लेकर राजनीति के मंच तक पहुंचने के दौरान अटल जी लगभग हर शाम इस दुकान पर आते थे. अपने साथियों के अटल जी इस दुकान पर देर रात तक मंगौड़े और पकोड़े का लुत्फ उठाते थे. उस दौर में दुकान को अम्मा संचालित करती थीं, लिहाजा अटल जी रात के वक्त आते और फिर अम्मा के हाथों से बनी पकोड़ी और मंगौड़े का स्वाद लेते थे.

दुकान संचालक दुर्गा सिंह बताते हैं कि उन्होंने अपने बचपन से ही अटल जी को यहां आते देखा है. बाद में अटल जी प्रधानमंत्री बनें तो ग्वालियर से उनके रिश्तेदार और मित्र लोग अटल जी के लिए मंगौड़े और पकोड़े दिल्ली ले जाते थे.

अटल जी ने ग्वालियर में ली प्राथमिक शिक्षा

ग्वालियर की गलियों में पले बढ़े एक लाल ने पूरी दुनिया में नाम कर दिया. अपने तो अपने विरोधी भी जिनके मुरीद हुए, ऐसे अटल बिहारी वाजपेयी को याद कर ग्वालियर का हर शख्स खुद को गौरवान्वित महसूस करता है. इतना ही नहीं अटल जी जिस स्कूल में पढ़े उस स्कूल के शिक्षक आज भी बच्चों के सामने नज़ीर पेश करते हैं कि पढ़ोगे लिखोगे तो अटल जी जैसे बनोगे. ये स्कूल आज किसी राष्ट्रीय धरोहर की तरह है. ग्वालियर का ये वही गोरखी स्कूल है जहां कभी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी पढ़ा करते थे. स्कूल का हर कमरा, खेल का मैदान, अहाते सबमें मानों अटल जी की यादें बसीं हैं. दीवारों पर बाकायदा अटल जी का नाम लिखा है. अटल बिहारी वाजपेयी ने इसी स्कूल से मिडिल तक की शिक्षा हासिल की थी.

खास बात ये भी है कि 1935-37 में जब अटल जी इस स्कूल में पढ़ा करते थे तो उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी इस स्कूल में पढ़ाया करते थे. स्कूल में आज भी उस रजिस्टर को सहेज कर रखा गया है जिसमें कभी अटल जी की उपस्थिति दर्ज हुआ करती थी. अटल जी का नंबर उपस्थित रजिस्टर में 101 यानि सौ फीसदी से एक ज्यादा हुआ करता था. इस स्कूल को देखकर हर किसी को फक्र होता है कि यहां कभी अटल जी पढ़ा करते थे. शिक्षक भी मानते हैं कि ये स्कूल अटल जी की यादों की धरोहर है.

अटल मंदिर में दिन रात होती है पूजा

अटल जी आज दुनिया में नहीं है, लेकिन ग्वालियर के लोगों के लिए वह आज भी जिंदा है. यही वजह है कि ग्वालियर के लोगों ने अटल जी को मंदिर में विराजमान कर दिया है. उनकी मूर्ति स्थापित है और बाकायदा सुबह शाम उनकी कविताओं की आरती की जाती है. वहां पर मंदिर पर एक पुजारी रहता है जो सुबह शाम अटल मंदिर की पूजा करता है.

Last Updated : Aug 16, 2020, 1:30 PM IST
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