ग्वालियर। राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय की बायोटेक लैब से किसानों को टिशू कल्चर से तैयार पौधे उपलब्ध कराए जाएंगे. बायोटेक लैब से राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय किसानों को बांस केला और गन्ने की टिशु कल्चर पौधे देकर उनकी फसल को अच्छा बनाने में मदद करेगा.
- टिशु कल्चर से किसान बना सकेंगे खेती को लाभ का सौदा
करीब 2 साल पूर्व स्थापित राजमाता विजयराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय की बायोटेक लैब जल्द ही टिशु कल्चर पौधे का उत्पादन शुरू कर देगा. लैब में उन्नत किस्मों की टिशु कल्चर पौधों का उत्पादन होगा. गौरतलब है कि टिशू कल्चर से बने पौधों से फसल जल्द तैयार हो जाती है. साथ ही फसल के रोग ग्रस्त होने की संभावना कम होती है. टिशू कल्चर को अपनाकर किसान खेती को लाभ का सौदा बना सकते हैं.
- बुरहानपुर से केले झारखंड के बांस और महाराष्ट्र से गन्ने के टिशु
ग्वालियर का कृषि विश्वविद्यालय अंचल के किसानों को खेती के लिए गन्ना, बांस और केले की खेती को प्रोत्साहित करने की तैयारी कर रहा है. इसके लिए बायोटेक लैब में इन फसलों के उत्पादन को शुरू किया जा रहा है.
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- किसानों की मांग पर उपलब्ध कराए जाएंगे पौधे
टिशू कल्चर से किसानों की मांग पर पौध उपलब्ध कराए जाएंगे. टिशु कल्चर पौधे में फल बेहद जल्द और ही एक सामान आकार के होते हैं. इसके अलावा टिशु कल्चर की वजह से पौधे और फल दोनों पर रोग और कीटों के आक्रमण की आशंका कम होती है. क्योंकि टिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता को लैब में उपचारित कर बढ़ा दिया जाता है. उत्पादन ज्यादा और लागत कम होने से खेती किसानों को ज्यादा मुनाफा होता है. राज्य और केंद्र सरकार भी इस तरह की खेती को प्रोत्साहन दे रहे हैं. इसके लिए कई योजनाएं जिनकी जानकारी भी किसानों को मुहैया कराई जाती है.