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डॉक्टर्स क्वॉर्टर बनाने के लिए प्रशासन ढूंढेगा नई जगह, पेड़ों की कटाई के विरोध के बाद फैसला - place for doctor quaters

बंगलों की कमी के चलते अस्पताल परिसर और मेडिकल कॉलेज में रियासतकालीन बंगले और बेहद पुराने पेड़ों को काटा जा रहा था. पेड़ काटने का विरोध करने के बाद फ्लैट के लिए नई जगह तलाशना शुरू कर दिया गया है.

जयारोग्य अस्पताल
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Published : Jun 25, 2019, 3:29 PM IST

ग्वालियर। जयारोग्य अस्पताल समूह के परिसर में डॉक्टरों के लिए बनाए जा रहे आवासीय फ्लैट के लिए दूसरा स्थान देखा जा रहा है. पहले जिस जगह पर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल परिसर बनाए जा रहे थे, वहां बड़ी संख्या में पेड़ों को काटने की नौबत आ गई थी. लोगों के विरोध के बाद अब प्रशासन ने फ्लैट के लिए नई जगह तलाशना शुरू कर दिया है.

डॉक्टर्स क्वॉर्टर्स के लिए ढूंढी जाएगी नई जगह

बंगलों की कमी के चलते अस्पताल परिसर और मेडिकल कॉलेज में रियासत कालीन बंगले और बेहद पुराने पेड़ों को काटा जा रहा था. अस्पताल प्रबंधन के इस कदम का कई समाजसेवी संस्थाओं और बुद्धिजीवियों में विरोध किया था और पेड़ों को बचाने की मुहिम छेड़ने का एलान कर दिया था. इसके बाद मामला संभागीय आयुक्त के संज्ञान में आया और उन्होंने अस्पताल प्रबंधन से डॉक्टरों के लिए आवासीय फ्लैट के लिए नया स्थान ढूंढने के निर्देश दिए.

नए फ्लैट माधव डिस्पेंसरी के पास और मेडिकल कॉलेज के पिछले हिस्से में बनाए जा सकते हैं इससे पेड़ और बंगले दोनों ही बच सकेंगे. मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के नियमों के मुताबिक मेडिकल कॉलेज और अस्पताल परिसर में तैनात कम से कम 35 फीसदी डॉक्टरों को अपने सरकारी आवासों में रहना चाहिए, लेकिन वर्तमान में सिर्फ 8 फीसदी डॉक्टरों को ही बंगले अलॉट किये गए हैं.

ग्वालियर। जयारोग्य अस्पताल समूह के परिसर में डॉक्टरों के लिए बनाए जा रहे आवासीय फ्लैट के लिए दूसरा स्थान देखा जा रहा है. पहले जिस जगह पर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल परिसर बनाए जा रहे थे, वहां बड़ी संख्या में पेड़ों को काटने की नौबत आ गई थी. लोगों के विरोध के बाद अब प्रशासन ने फ्लैट के लिए नई जगह तलाशना शुरू कर दिया है.

डॉक्टर्स क्वॉर्टर्स के लिए ढूंढी जाएगी नई जगह

बंगलों की कमी के चलते अस्पताल परिसर और मेडिकल कॉलेज में रियासत कालीन बंगले और बेहद पुराने पेड़ों को काटा जा रहा था. अस्पताल प्रबंधन के इस कदम का कई समाजसेवी संस्थाओं और बुद्धिजीवियों में विरोध किया था और पेड़ों को बचाने की मुहिम छेड़ने का एलान कर दिया था. इसके बाद मामला संभागीय आयुक्त के संज्ञान में आया और उन्होंने अस्पताल प्रबंधन से डॉक्टरों के लिए आवासीय फ्लैट के लिए नया स्थान ढूंढने के निर्देश दिए.

नए फ्लैट माधव डिस्पेंसरी के पास और मेडिकल कॉलेज के पिछले हिस्से में बनाए जा सकते हैं इससे पेड़ और बंगले दोनों ही बच सकेंगे. मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के नियमों के मुताबिक मेडिकल कॉलेज और अस्पताल परिसर में तैनात कम से कम 35 फीसदी डॉक्टरों को अपने सरकारी आवासों में रहना चाहिए, लेकिन वर्तमान में सिर्फ 8 फीसदी डॉक्टरों को ही बंगले अलॉट किये गए हैं.

Intro:ग्वालियर
ग्वालियर चंबल अंचल के सबसे बड़े जयारोग्य चिकित्सालय समूह के परिसर में अब डॉक्टरों के लिए बनाए जा रहे आवासीय फ्लैट के लिए दूसरा स्थान देखा जा रहा है। पहले जो स्थान मेडिकल कॉलेज और अस्पताल परिसर में चिन्हित किए गए थे वहां बड़ी संख्या में पेड़ों को काटने की नौबत आ गई थी लोगों के विरोध के बाद अब प्रशासन ने फ्लैट के लिए नई जगह तलाशना शुरू कर दिया है।


Body:दरअसल मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के नियमों के मुताबिक मेडिकल कॉलेज और अस्पताल परिसर में तैनात कम से कम 35 फ़ीसदी डॉक्टरों को अपने सरकारी आवासों में रहना चाहिए लेकिन वर्तमान में सिर्फ 8 फ़ीसदी डॉक्टरों को ही बंगले अलॉट हैं बंगलों की कमी के चलते अस्पताल परिसर और मेडिकल कॉलेज में रियासत कालीन बंगले और बेहद पुराने पेड़ों को काटा जा रहा था।


Conclusion:अस्पताल प्रबंधन के इस कदम का कई समाजसेवी संस्थाओं और बुद्धिजीवियों में विरोध किया था और पेड़ों को बचाने की मुहिम छेड़ने का एलान कर दिया था। इसके बाद मामला संभागीय आयुक्त के संज्ञान में आया और उन्होंने अस्पताल प्रबंधन से डॉक्टरों के लिए आवासीय फ्लैट के लिए नया स्थान ढूंढने के निर्देश दिए अब अब यह नए फ्लैट माधव डिस्पेंसरी के पास और मेडिकल कॉलेज के पिछले हिस्से में बनाए जा सकते हैं इससे पेड़ और बंगले दोनों ही बच सकेंगे ।
बाइट डॉक्टर अशोक मिश्रा... संयुक्त संचालक एवं अधीक्षक जयारोग्य अस्पताल समूह ग्वालियर
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