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सोन चिड़िया अभ्यारण में चल रही अवैध फैक्ट्रियों पर कार्रवाई अटकी , फैक्ट्री संचालकों ने सुप्रीम कोर्ट में की अपील - ग्वालियर

एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने दिसंबर 2018 में सोन चिड़िया अभ्यारण्य क्षेत्र में चल रही फैक्ट्रियों को बंद करने का आदेश दिया था, जिसके खिलाफ फैक्ट्री संचालक सुप्रीम कोर्ट पहुंच गये हैं.

सोन चिड़िया अभ्यारण
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Published : Jun 27, 2019, 8:19 PM IST

ग्वालियर। घाटीगांव सोन चिड़िया पक्षी अभयारण्य क्षेत्र में चल रही फैक्ट्रियों पर कार्रवाई अब लटक चुकी है क्योंकि फैक्ट्री संचालकों ने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में अपील कर दी है.
हाईकोर्ट ने दिसंबर महीने में अभ्यारण क्षेत्र में चल रही फैक्ट्रियों को बंद करने का आदेश दिया था, इसको लेकर वन विभाग ने इन फैक्ट्रियों को 30 दिन में जमीन खाली करने के नोटिस भेजा था. यह अवधि 15 से 20 जुलाई के बीच खत्म हो रही है. वन विभाग के इस आदेश के खिलाफ फैक्ट्री संचालक सुप्रीम कोर्ट पहुंच गये.

सोन चिड़िया अभ्यारण में चल रही अवैध फैक्ट्रियों पर कार्रवाई अटकी


घाटीगांव स्थित सोन चिड़िया अभ्यारण क्षेत्र को 1981 में अधिसूचित किया गया था, जिसके तहत अभ्यारण क्षेत्र में किसी प्रकार का कारोबार रहवास या अन्य गतिविधि प्रतिबंधित की गई थी, लेकिन फैक्ट्रियां चल रहीं थीं. इसके अलावा कुछ खदानें भी बंद कर दी गयी हैं, लेकिन अवैध रूप से इन खदानों में आज भी खनन किया जा रहा है.


इस क्षेत्र में चल रही अवैध फैक्ट्रियों के खिलाफ एक जनहित याचिका दायर की गई थी. जिसमें कहा गया था कि फैक्ट्री और रहवास की वजह से अभ्यारण में मौजूद पशु-पक्षी विलुप्त हो रहे हैं. हाईकोर्ट ने दिसंबर 2018 में फैक्ट्रियों को अभ्यारण क्षेत्र से बाहर करने का आदेश दिया था, जिस पर वन विभाग ने सभी फैक्ट्री संचालकों को खाली कराने का नोटिस दिया था, लेकिन फैक्ट्री संचालकों ने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में अपील कर दी.

ग्वालियर। घाटीगांव सोन चिड़िया पक्षी अभयारण्य क्षेत्र में चल रही फैक्ट्रियों पर कार्रवाई अब लटक चुकी है क्योंकि फैक्ट्री संचालकों ने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में अपील कर दी है.
हाईकोर्ट ने दिसंबर महीने में अभ्यारण क्षेत्र में चल रही फैक्ट्रियों को बंद करने का आदेश दिया था, इसको लेकर वन विभाग ने इन फैक्ट्रियों को 30 दिन में जमीन खाली करने के नोटिस भेजा था. यह अवधि 15 से 20 जुलाई के बीच खत्म हो रही है. वन विभाग के इस आदेश के खिलाफ फैक्ट्री संचालक सुप्रीम कोर्ट पहुंच गये.

सोन चिड़िया अभ्यारण में चल रही अवैध फैक्ट्रियों पर कार्रवाई अटकी


घाटीगांव स्थित सोन चिड़िया अभ्यारण क्षेत्र को 1981 में अधिसूचित किया गया था, जिसके तहत अभ्यारण क्षेत्र में किसी प्रकार का कारोबार रहवास या अन्य गतिविधि प्रतिबंधित की गई थी, लेकिन फैक्ट्रियां चल रहीं थीं. इसके अलावा कुछ खदानें भी बंद कर दी गयी हैं, लेकिन अवैध रूप से इन खदानों में आज भी खनन किया जा रहा है.


इस क्षेत्र में चल रही अवैध फैक्ट्रियों के खिलाफ एक जनहित याचिका दायर की गई थी. जिसमें कहा गया था कि फैक्ट्री और रहवास की वजह से अभ्यारण में मौजूद पशु-पक्षी विलुप्त हो रहे हैं. हाईकोर्ट ने दिसंबर 2018 में फैक्ट्रियों को अभ्यारण क्षेत्र से बाहर करने का आदेश दिया था, जिस पर वन विभाग ने सभी फैक्ट्री संचालकों को खाली कराने का नोटिस दिया था, लेकिन फैक्ट्री संचालकों ने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में अपील कर दी.

Intro:ग्वालियर- ग्वालियर जिले में घाटीगांव सोन चिड़िया अभ्यारण क्षेत्र में चल रही फैक्ट्रियों पर कार्यवाही अब लटक चुकी है। क्योंकि फैक्ट्री संचालकों ने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में अपील कर दी है। दरअसल मामला यह है कि हाई कोर्ट ने दिसंबर के महीने में अभ्यारण क्षेत्र में चल रही फैक्ट्रियों को बंद करने के आदेश दिए थे इसको लेकर वन विभाग ने इन फैक्ट्रियों को 30 दिन में जमीन खाली करने के नोटिस दिए थे। यह अवधि 15 से 20 जुलाई के बीच खत्म हो रही है वन विभाग ने हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए सभी फैक्ट्री संचालकों को नोटिस दिए है इस आदेश को लेकर फैक्ट्री संचालक ने सुप्रीम कोर्ट में अपील कर दी है।


Body:दरअसल घाटीगांव स्थित सोन चिड़िया अभ्यारण क्षेत्र को 1981 में अधिसूचित किया गया था जिसके तहत अभ्यारण क्षेत्र में किसी प्रकार का कारोबार रहवास या अन्य गतिविधि प्रतिबंधित हो गई थी लेकिन अभ्यारण में फैक्ट्रियां चल रही थी।और जिसके इसके अलावा कुछ खदानें में भी है जिन्हें बंद कर दिया गया है। लेकिन अवैध रूप में इन खदानों से आज भी रोजाना खनन किया जा रहा है। क्षेत्र में चल रही अबैध फैक्टरियों के खिलाफ एक जनहित याचिका दायर की गई थी। याचिका में कहा गया था कि इन अवैध फैक्ट्री और रहवास की वजह से अभ्यारण में मौजूद पशु और पक्षी विलुप्त होते जा रहे हैं। इस सुनवाई पर हाईकोर्ट ने दिसंबर 2018 में आदेश जारी किए थे कि सभी फैक्ट्रियों पर कार्रवाई की जाए उन्हें अभ्यारण क्षेत्र से बाहर किया जाए। इस आदेश पर वन विभाग ने सभी फैक्ट्री संचालकों को खाली कराने का नोटिस दिया था। लेकिन फैक्ट्री संचालकों करने हाईकोर्ट की आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में अपील कर दी है।


Conclusion:बाईट - ओपी ओचढ़िया , डीएफओ
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