ETV Bharat / state

WOMEN'S DAY SPECIAL: ईटीवी भारत से सीएसपी नेहा पच्चीसिया की खास बातचीत - CSP neha pachisia

गुना सीएसपी नेहा पच्चीसिया ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की और वो इस मुकाम तक कैसे पहुंची, ये भी बताया.

womens-day-special-story-on-csp-neha-pachisia-in-guna
सीएसपी नेहा पच्चीसिया
author img

By

Published : Feb 28, 2020, 7:49 PM IST

गुना। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर ईटीवी भारत ऐसी महिलाओं को सलाम कर रहा है, जिन्होंने समाज की रूढ़िवादी सोच को दरकिनार करते हुए सफलता की सीढ़ियां पार की हैं. राजगढ़ जिले के पचोर में एक मध्यमवर्गीय परिवार की सबसे बड़ी बेटी नेहा पच्चीसिया आज गुना में सीएसपी के रूप में पदस्थ हैं. ये पद उन्हें ऐसे ही नहीं मिल गया. इसके लिए उन्होंने कई स्तरों पर संघर्ष किया है.

सीएसपी नेहा पच्चीसिया से खास बातचीत

संघर्ष की ये है कहानी

शुरु से शुरू करते हैं. नेहा के पिता शिक्षक हैं और मां ग्रहणी. नेहा की तीन बहने हैं. नेहा बताती हैं कि वे राजगढ़ जिले के पचोर से ताल्लुक रखती हैं. जहां एक अच्छा स्कूल तक नहीं है. उनकी मां राजस्थान से हैं. नेहा की मां चाहती थी कि उनकी बेटी की शिक्षा एक अच्छे स्कूल में हो. लेकिन आस-पास कोई ऐसा स्कूल ही नहीं था. अपनी को याद करते हुए नेहा ने बताया कि उन्हें वो दिन अच्छी तरह से याद है कि जब उनकी मां ने लगातार तीन दिन तक खाना नहीं खाया था और वह रोती रहीं थी सिर्फ इसलिए कि मेरा एडमिशन किसी इंग्लिश स्कूल में हो जाए. मेरे क्षेत्र में एक ही इंग्लिश स्कूल था और परिवार के बड़े-बुजुर्ग उन्हें इस स्कूल में भेजने को तैयार नहीं थे. कारण बताया कि क्रिश्चियन स्कूल में पढ़ाने पर लड़की धर्म बदली तो क्या होगा.

नेहा ने बताया कि स्कूल में पहुंचने के बाद भी घर में काफी चुनौती थीं. वो एक सामान्य विद्यार्थी थीं. उन्होंने बताया कि जब वो 6वीं क्लास में थीं, तब उनका सपना था कि वो एयर होस्टेज बनें. अपनी कमाई से अपने मुताबिक रह सकें और अपने मुताबिक जिंदगी जी सकें.

यहां से शुरू हुआ सफर

नेहा ने बताया कि एयरलाइंस में मेरी 2007 में पहली नियुक्ति हुई थी. दुबई में मुझे पहले जॉब मिली. 12वीं पास करने के बाद मेरी चाहत थी कि मुझे कुछ करना है लेकिन मेरे परिवार वाले तैयार नहीं थे. उनका कहना था अगर कुछ करना ही तो शिक्षक बन जाओ. सुपरवाइजर बन जाओ. जिन्हें समाज के लोग जानते हैं, ऐसे पद पर नौकरी करो ये क्या एयर हॉस्टेज की नौकरी करने जा रही हो. लेकिन मैंने चुनौतियों को स्वीकार किया एविएशन इंडस्ट्री में एक छोटे से गांव की लड़की थी ना मेरी अंग्रेजी अच्छी थी ना ड्रेसिंग सेंस बहुत अच्छा था. जैसे-तैसे मेरा एडमिशन हो गया था. मैंने अपने आप पर काम करना शुरू किया. जिसमें मेरी पर्सनल डेवलपमेंट, मेरी भाषा, मेरे रहन-सहन का तरीका काफी कुछ मैंने अपने आप में परिवर्तन किए. लगभग 1 या 2 साल में मैंने अपने आप को उस नौकरी के प्रति काबिल बना लिया. जिसके बाद मेरे अलग-अलग कंपनियों में सिलेक्शन होने शुरू हो गए. उस दौरान कोई भी ऐसी राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय कंपनी नहीं थी. जिसमें मैं चयनित ना हुई हूं.

एयर हॉस्टेज से डीएसपी तक का सफर...

जब एयर हॉस्टेज की जॉब के बाद दुबई से मैं अपने गांव आई थी, तो मैंने देखा कि यहां आकर मैं और महिलाओं की तरह हो गई थी. लोग मुझे ज्यादा रिस्पांस नहीं दे रहे थे. हमारे पास में एक चाचा जी रहते थे. उनसे मैंने पूछा कि कैसे मैं कुछ हटके कर सकती हूं. तब उनके द्वारा सलाह दी गई कि संघ लोक सेवा आयोग कि मुझे तैयारी करना चाहिए. मैंने सन 2012 में सर्वप्रथम संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षाएं दी. उसके बाद 2014 में दी. उसके बाद 2016 में. तब 2016 में डीएसपी के रूप में चयनित हुई. तब मैंने समाज में एक परिवर्तन देखा. जो रिश्तेदार सगे होने के बाद भी हमें अपना नहीं मानते थे. वहीं अब दूर के रिश्तेदार भी हमें याद दिलाने लगे थे कि बेटा आपको पता है मैं तुम्हारे फलाने का फलाना हूं.

गुना। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर ईटीवी भारत ऐसी महिलाओं को सलाम कर रहा है, जिन्होंने समाज की रूढ़िवादी सोच को दरकिनार करते हुए सफलता की सीढ़ियां पार की हैं. राजगढ़ जिले के पचोर में एक मध्यमवर्गीय परिवार की सबसे बड़ी बेटी नेहा पच्चीसिया आज गुना में सीएसपी के रूप में पदस्थ हैं. ये पद उन्हें ऐसे ही नहीं मिल गया. इसके लिए उन्होंने कई स्तरों पर संघर्ष किया है.

सीएसपी नेहा पच्चीसिया से खास बातचीत

संघर्ष की ये है कहानी

शुरु से शुरू करते हैं. नेहा के पिता शिक्षक हैं और मां ग्रहणी. नेहा की तीन बहने हैं. नेहा बताती हैं कि वे राजगढ़ जिले के पचोर से ताल्लुक रखती हैं. जहां एक अच्छा स्कूल तक नहीं है. उनकी मां राजस्थान से हैं. नेहा की मां चाहती थी कि उनकी बेटी की शिक्षा एक अच्छे स्कूल में हो. लेकिन आस-पास कोई ऐसा स्कूल ही नहीं था. अपनी को याद करते हुए नेहा ने बताया कि उन्हें वो दिन अच्छी तरह से याद है कि जब उनकी मां ने लगातार तीन दिन तक खाना नहीं खाया था और वह रोती रहीं थी सिर्फ इसलिए कि मेरा एडमिशन किसी इंग्लिश स्कूल में हो जाए. मेरे क्षेत्र में एक ही इंग्लिश स्कूल था और परिवार के बड़े-बुजुर्ग उन्हें इस स्कूल में भेजने को तैयार नहीं थे. कारण बताया कि क्रिश्चियन स्कूल में पढ़ाने पर लड़की धर्म बदली तो क्या होगा.

नेहा ने बताया कि स्कूल में पहुंचने के बाद भी घर में काफी चुनौती थीं. वो एक सामान्य विद्यार्थी थीं. उन्होंने बताया कि जब वो 6वीं क्लास में थीं, तब उनका सपना था कि वो एयर होस्टेज बनें. अपनी कमाई से अपने मुताबिक रह सकें और अपने मुताबिक जिंदगी जी सकें.

यहां से शुरू हुआ सफर

नेहा ने बताया कि एयरलाइंस में मेरी 2007 में पहली नियुक्ति हुई थी. दुबई में मुझे पहले जॉब मिली. 12वीं पास करने के बाद मेरी चाहत थी कि मुझे कुछ करना है लेकिन मेरे परिवार वाले तैयार नहीं थे. उनका कहना था अगर कुछ करना ही तो शिक्षक बन जाओ. सुपरवाइजर बन जाओ. जिन्हें समाज के लोग जानते हैं, ऐसे पद पर नौकरी करो ये क्या एयर हॉस्टेज की नौकरी करने जा रही हो. लेकिन मैंने चुनौतियों को स्वीकार किया एविएशन इंडस्ट्री में एक छोटे से गांव की लड़की थी ना मेरी अंग्रेजी अच्छी थी ना ड्रेसिंग सेंस बहुत अच्छा था. जैसे-तैसे मेरा एडमिशन हो गया था. मैंने अपने आप पर काम करना शुरू किया. जिसमें मेरी पर्सनल डेवलपमेंट, मेरी भाषा, मेरे रहन-सहन का तरीका काफी कुछ मैंने अपने आप में परिवर्तन किए. लगभग 1 या 2 साल में मैंने अपने आप को उस नौकरी के प्रति काबिल बना लिया. जिसके बाद मेरे अलग-अलग कंपनियों में सिलेक्शन होने शुरू हो गए. उस दौरान कोई भी ऐसी राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय कंपनी नहीं थी. जिसमें मैं चयनित ना हुई हूं.

एयर हॉस्टेज से डीएसपी तक का सफर...

जब एयर हॉस्टेज की जॉब के बाद दुबई से मैं अपने गांव आई थी, तो मैंने देखा कि यहां आकर मैं और महिलाओं की तरह हो गई थी. लोग मुझे ज्यादा रिस्पांस नहीं दे रहे थे. हमारे पास में एक चाचा जी रहते थे. उनसे मैंने पूछा कि कैसे मैं कुछ हटके कर सकती हूं. तब उनके द्वारा सलाह दी गई कि संघ लोक सेवा आयोग कि मुझे तैयारी करना चाहिए. मैंने सन 2012 में सर्वप्रथम संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षाएं दी. उसके बाद 2014 में दी. उसके बाद 2016 में. तब 2016 में डीएसपी के रूप में चयनित हुई. तब मैंने समाज में एक परिवर्तन देखा. जो रिश्तेदार सगे होने के बाद भी हमें अपना नहीं मानते थे. वहीं अब दूर के रिश्तेदार भी हमें याद दिलाने लगे थे कि बेटा आपको पता है मैं तुम्हारे फलाने का फलाना हूं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.