गुना। खनिज परिवहन में लिप्त वाहनों को नो एंट्री में घुसने का एक प्रकार से परमिट मिल गया है. गुना में ट्रैफिक व्यवस्था ध्वस्त होती दिखाई दे रही है. रेत- गिट्टी से भरे हुए डंपर सड़क पर बेतहाशा गति से दौड़ रहे हैं, जिससे एक्सीडेंट का खतरा बढ़ गया है. ट्रैफिक नियमों के अनुसार सुबह 6 बजे से पहले और रात को 10 बजे के बाद ही डंपर शहर में प्रवेश कर सकते हैं. लेकिन गुना में ऐसा नहीं है. अगर आपकी सेटिंग है तो धड़ल्ले से डंपर चला सकते हैं. गुना में रेत, गिट्टी, मुरम से भरे हुए डंपरों को शहर के व्यस्ततम मार्गों से गुजरते हुए देखा जा सकता है.
डंपर व ट्रकों की धमाचौकड़ी : शहर में बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य चल रहे हैं, जिसके लिए इन्हीं डंपरों के सहारे खनिज का परिवहन किया जाता है. कई डंपर और ट्रक ऐसे भी होते हैं, जो बेहद खस्ताहाल हैं. बिना फिटनेस सर्टिफिकेट और बिना नम्बर प्लेट के सड़क पर दौड़ते दिखाई दे जाते हैं. शहर में ऐसे कई प्वॉइंट हैं, जहां से डंपर शहरी क्षेत्र में एंट्री करते हैं. नेशनल हाइवे से बूढ़े बालाजी , सकतपुर, पुरा पोसर में एंट्री की जाती है. कैंट क्षेत्र के सिंहवासा, बायपास इलाके से एंट्री की जाती है. नानाखेड़ी कृषि उपज मंडी के आसपास रेत के डंपर नो एंट्री में पहुंचते हैं.
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ट्रैफिक पुलिस सुस्त : गुना में कई स्थान हैं, जहां गिट्टी पत्थर की खदानें संचालित हैं. डंपर इन्हीं खदानों से खनिज परिवहन करते हैं और नो एंट्री में प्रवेश करते हैं. वहीं रेत के डंपर भिंड, शिवपुरी, यूपी के इलाकों से गुना पहुंचते हैं. सेटिंग के बाद इन्हें भी नो एंट्री के वक्त शहर में एंट्री मिल जाती है. ट्रैफिक पुलिस भी इन्हें रोकने की जरूरत नहीं समझती. खनिज परिवहन में कई नेता और रसूखदारों के वाहन लिप्त हैं. जिन्हें पकड़ने में खुद ट्रैफिक पुलिस के पसीने छूट जाते हैं. अवैध खनिज परिवहन की आड़ में करोड़ों के व्यारे न्यारे कर रहे कारोबारियों ने नियमों की धज्जियां उड़ा कर रख दी हैं. अवैध खनिज परिवहन को रोकने के लिए प्रशासनिक मुस्तैदी जरूरी है. नो एंट्री में घुसने वाले डंपरों पर यदि लगाम नहीं लगाई गई तो बड़ा हादसा होने की आशंका रहती है. ट्रैफिक पुलिस और खनिज विभाग को सख्त कार्रवाई करनी होगी. नो एंट्री में अवैध खनिज परिवहन पर रोक लगाने के लिए पहले भी प्रशासनिक आदेश जारी किए गए थे, लेकिन नतीजा सिफर ही रहा.