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वर्ल्ड नर्स डे: नर्सों ने बताया अपना दुख, जिस सम्मान की समाज से करते हैं, वैसा सम्मान नहीं मिलता

वर्ल्ड नर्स डे के अवसर पर गुना में कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें कोरोना महामारी के चलते शहीद हुई नर्सों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई. वहीं नर्स डे के अवसर पर नर्सेस ने बताया कि उन्हें वो सम्मान नहीं मिलता हैं, जिसकी वे अपेक्षा करती हैं.

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नहीं मिलता सम्मान
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Published : May 12, 2020, 11:25 PM IST

गुना। दुनिया भर में फैली कोरोना महामारी के बीच आज अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस कुछ समय में गुजरने ही वाला है. लेकिन 2020 का नर्स डे बहुत ही अलग रहा. जिस लॉबी में कभी दिनभर चहल-पहल रहती थी, वह अब वीरान नजर आ रही है. उस लॉबी में एक अस्थाई दीवार खड़ी कर उसे आइसोलेशन वार्ड बना दिया गया है और नर्सेज की ड्यूटी भी पहले से ज्यादा बढ़ई गई है. वहीं अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस पर अस्पताल में सोशल डिस्टेंसिंग के साथ कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें कोरोना महामारी के चलते शहीद हुई नर्सों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई. वहीं नर्स डे के अवसर पर नर्सेस ने बताया कि उन्हें वो सम्मान नहीं मिलता है, जिसकी वे अपेक्षा करती हैं.

नहीं मिलता सम्मान

किया जाए सेकेंड ग्रेड में शामिल

प्रभारी इंचार्ज नमिता खांडेकर ने बताया कि उनकी दैनिक दिनचर्या आम लोगों से अलग रहती है. सुबह 7 बजे से दिन शुरू हो जाता है. दिन-रात मरीजों की सेवा में जुटी रहती हैं. इस दौरान कुछ लोगों का व्यवहार तो बहुत अच्छा होता है, लेकिन कुछ लोग अच्छे से पेश नहीं आते हैं. इसके बाद भी हमें उनकी सेवा के लिए रखा गया है तो हम उनका पूरा ध्यान रखते हैं. वहीं उन्होंने नर्स दिवस पर राज्य शासन से आशा जताई है कि शीघ्र ही उन्हें नर्स ऑफिसर का सम्मान प्रदान कर सेकेंड ग्रेड में शामिल किया जाएगा.

नहीं लेता कोई सुध

अस्पताल में मौजूद नर्स इंचार्ज लीला ने बताया कि हम लोग ये सोच कर आए थे कि समाज की सेवा करेंगे. हमें आशीर्वाद मिलेगा, हम लोग अपने परिजन और बच्चों को छोड़कर दिन-रात सेवा करते हैं, लेकिन इसके विपरीत कोई भी बात होने पर सारा आरोप हमारे सिर पर फोड़ दिया जाता है. उन्होंने कहा कि हम निस्वार्थ सेवा के मिशन में आए हैं और उसके अनुसार मान-सम्मान हमें मिलना चाहिए. उन्होंने ये भी कहा कि हम अपने परिवार के पास नहीं जा रहे हैं. इमरजेंसी ड्यूटी पर सदैव उपलब्ध रहते हैं इसके बावजूद हमारी कोई सुध नहीं लेता.

गुना। दुनिया भर में फैली कोरोना महामारी के बीच आज अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस कुछ समय में गुजरने ही वाला है. लेकिन 2020 का नर्स डे बहुत ही अलग रहा. जिस लॉबी में कभी दिनभर चहल-पहल रहती थी, वह अब वीरान नजर आ रही है. उस लॉबी में एक अस्थाई दीवार खड़ी कर उसे आइसोलेशन वार्ड बना दिया गया है और नर्सेज की ड्यूटी भी पहले से ज्यादा बढ़ई गई है. वहीं अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस पर अस्पताल में सोशल डिस्टेंसिंग के साथ कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें कोरोना महामारी के चलते शहीद हुई नर्सों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई. वहीं नर्स डे के अवसर पर नर्सेस ने बताया कि उन्हें वो सम्मान नहीं मिलता है, जिसकी वे अपेक्षा करती हैं.

नहीं मिलता सम्मान

किया जाए सेकेंड ग्रेड में शामिल

प्रभारी इंचार्ज नमिता खांडेकर ने बताया कि उनकी दैनिक दिनचर्या आम लोगों से अलग रहती है. सुबह 7 बजे से दिन शुरू हो जाता है. दिन-रात मरीजों की सेवा में जुटी रहती हैं. इस दौरान कुछ लोगों का व्यवहार तो बहुत अच्छा होता है, लेकिन कुछ लोग अच्छे से पेश नहीं आते हैं. इसके बाद भी हमें उनकी सेवा के लिए रखा गया है तो हम उनका पूरा ध्यान रखते हैं. वहीं उन्होंने नर्स दिवस पर राज्य शासन से आशा जताई है कि शीघ्र ही उन्हें नर्स ऑफिसर का सम्मान प्रदान कर सेकेंड ग्रेड में शामिल किया जाएगा.

नहीं लेता कोई सुध

अस्पताल में मौजूद नर्स इंचार्ज लीला ने बताया कि हम लोग ये सोच कर आए थे कि समाज की सेवा करेंगे. हमें आशीर्वाद मिलेगा, हम लोग अपने परिजन और बच्चों को छोड़कर दिन-रात सेवा करते हैं, लेकिन इसके विपरीत कोई भी बात होने पर सारा आरोप हमारे सिर पर फोड़ दिया जाता है. उन्होंने कहा कि हम निस्वार्थ सेवा के मिशन में आए हैं और उसके अनुसार मान-सम्मान हमें मिलना चाहिए. उन्होंने ये भी कहा कि हम अपने परिवार के पास नहीं जा रहे हैं. इमरजेंसी ड्यूटी पर सदैव उपलब्ध रहते हैं इसके बावजूद हमारी कोई सुध नहीं लेता.

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