गुना। जिला मुख्यालय से 20 किमी की दूरी पर स्थित रुठियाई रेलवे स्टेशन के हालात कुछ ठीक नहीं हैं. स्टेशन पर इस कदर सन्नाटा रहता है कि यात्री पीने के पानी को तरस जाएं. कैंटीन ऐसी हैं जिन पर ताला लटका रहता है. पानी की टंकी गंदगी से भरपूर है. वैसे तो रुठियाई रेलवे स्टेशन पर कुल 20 ट्रेनों का आवागमन होता है, लेकिन सुविधाओं की बात की जाए तो स्टेशन पर इतना सन्नाटा है कि ढूंढने पर भी कर्मचारी दिखाई न दें.
चौकी के बाहर लटका रहता है ताला: रुठियाई रेलवे स्टेशन का मुआयना करने पर पता चला कि स्टेशन मास्टर को मिलाकर यहां केवल 4 कर्मचारी हैं. यदि स्टॉफ का कोई कर्मचारी छुट्टी पर चला जाये तो स्टाफ के दूसरे कर्मचारी को ओवर टाइम अवर्स में ड्यूटी करनी पड़ती है. स्टेशन मास्टर सतपाल मीना के कक्ष के बाहर अक्सर ताला लटका रहता है. रुठियाई रेलवे स्टेशन पर आरपीएफ के जवान भी दिखाई नहीं पड़ते. स्टेशन के पास रेलवे पुलिस चौकी के बाहर ताला लटका हुआ मिला. रेलवे स्टेशन की सुरक्षा का जिम्मा यहां तैनात देसी कुत्ते के हवाले है.
खस्ताहाल में स्टेशन: रुठियाई रेलवे स्टेशन पर सफाई व्यवस्था लगभग ठीक हालात में है, लेकिन पीने के पानी की टंकी में सफाई काफी समय से नहीं हुई हैं. पानी की टंकी के आसपास भी गंदगी फैली हुई है, जो बीमारियों को न्यौता दे रही है. स्टेशन के बुकिंग क्लर्क ने बताया कि एक शिफ्ट में लगभग 7 ट्रेन स्टेशन से गुजरती है. कुल 20 ट्रेनें स्टेशन पहुंचती हैं. केवल 4 लोगों का स्टॉफ है. काम में परेशानी तो होती है लेकिन जब कोई छुट्टी पर जाता है तो दूसरा कर्मचारी उसकी ड्यूटी करता है. वैसे तो रेलवे पटरी को पार करना कानून जुर्म है, लेकिन शायद रुठियाई रेलवे स्टेशन पर ये नियम लागू नहीं होते. रुठियाई रेलवे स्टेशन की पटरियों से पुरुष ही नहीं बल्कि महिलाएं और स्कूली बच्चे भी बेधड़क होकर गुजरते हैं. महिलाओं बच्चों को किसी भी तरह का डर नहीं है. रेलवे स्टेशन पर कोई भी सुरक्षाकर्मी मौजूद नहीं रहता. जिससे सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल खड़े होते हैं. कुल मिलाकर स्टेशन के हालात बेहद खस्ताहाल हैं. जिसे सुधारने के लिए रेलवे प्रबंधन कोई भी कदम नहीं उठा रहा है.