गुना। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के जन्मदिन पर पुत्र जयवर्द्धन सिंह ने उन्हें बधाई दी है. जयवर्द्धन सिंह ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि मेरे पिताजी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं. ईश्वर से प्रार्थना है कि आप हमेशा स्वस्थ रहें खुश रहें. दीर्घायु रहें और जनता की आवाज़ बुलंद करते रहें. भगवान राघौजी एवं आशापुरा मां का आशीर्वाद आप पर सदैव बना रहे. बता दें कि दिग्विजय सिंह का जन्म 28 फरवरी 1947 को इंदौर में हुआ था. इनके पिता बलभद्र सिंह और मां अपर्णा सिंह हैं. दिग्विजय सिंह वर्तमान में मध्य प्रदेश से राज्य सभा सदस्य हैं.
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मेरे पिता @digvijaya_28 जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ। ईश्वर से प्रार्थना है कि आप हमेशा स्वस्थ रहें ख़ुश रहें दीर्घायु रहे और जनता की आवाज़ बुलंद करते रहें। भगवान राघौजी एवं आशापुरा माँ का आशीर्वाद आप पर सदैव बना रहे 🙏 pic.twitter.com/lwuUTaKfNZ
— Jaivardhan Singh (@JVSinghINC) February 28, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
">मेरे पिता @digvijaya_28 जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ। ईश्वर से प्रार्थना है कि आप हमेशा स्वस्थ रहें ख़ुश रहें दीर्घायु रहे और जनता की आवाज़ बुलंद करते रहें। भगवान राघौजी एवं आशापुरा माँ का आशीर्वाद आप पर सदैव बना रहे 🙏 pic.twitter.com/lwuUTaKfNZ
— Jaivardhan Singh (@JVSinghINC) February 28, 2023मेरे पिता @digvijaya_28 जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ। ईश्वर से प्रार्थना है कि आप हमेशा स्वस्थ रहें ख़ुश रहें दीर्घायु रहे और जनता की आवाज़ बुलंद करते रहें। भगवान राघौजी एवं आशापुरा माँ का आशीर्वाद आप पर सदैव बना रहे 🙏 pic.twitter.com/lwuUTaKfNZ
— Jaivardhan Singh (@JVSinghINC) February 28, 2023
दो बार एमपी के सीएम रहे : दिग्विजय सिंह दो बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. साल 1993 से 2003 तक मुख्यमंत्री रहने के दौरान दिग्विजय सिंह ने अपने कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण काम किए. इसके चलते आम नागरिकों विशेष रूप से गरीबों और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले वंचितों के सशक्तिकरण, भागीदारी और सुधार जैसे काम हैं. पंचायती राज संस्थानों की स्थापना और महत्वपूर्ण ग्रामीण विकास कार्यक्रमों के प्रबंधन के लिए पीआरआई को अनेक शक्तियां और संसाधन उपलब्ध कराने में उनका अमूल्य योगदान है. इसके साथ ही शिक्षा गारंटी योजना (ईजीएस) के माध्यम से प्राथमिक और प्राथमिक शिक्षा तक सार्वभौमिक पहुंच बनाई. स्वास्थ्य सेवाओं और स्वास्थ्य वितरण प्रणाली में सुधार के लिए एक सहभागितापूर्ण जलग्रहण विकास कार्यक्रम, एक जिला गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम, रोग कल्याण समिति और जन स्वास्थ्य रक्षक-अग्रिम सरकारी प्रणाली इनमें शामिल हैं.
राघौगढ़ नगरपालिका से राजनीतिक सफर : साल 1969 में दिग्विजय सिंह ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत राघौगढ़ नगर पालिका के अध्यक्ष के रूप में की. स्थानीय जनता के बीच उनकी पकड़ को देखकर 1970 में विजयाराजे सिंधिया ने उन्हें जनसंघ में शामिल करने का प्रस्ताव रखा. वे जनसंघ में शामिल हुए लेकिन कुछ ही दिनों में वे कांग्रेस पार्टी में चले गए. 1971 वे फिर से राघौगढ़ नगरपालिका के अध्यक्ष चुने गये. 1977 में उन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ा और राघौगढ़ विधानसभा सीट से विधायक चुने गये. 1980 वे एक फिर से राघौगढ़ विधानसभा सीट से विधायक चुने गये और उन्हें मध्य प्रदेश सरकार की कैबिनेट में शामिल किया गया. कैबिनेट मंत्री के रूप में उन्होंने 5 साल तक अपनी सेवाएं दीं. 1984 में दिग्विजय सिंह ने लोकसभा चुनाव में कदम रखा और राजगढ़ सीट से शानदार जीत दर्ज की.
दो बार मध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष : 1985 में उन्हें मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष चुना गया. 1988 में वह एक बार फिर से पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बने. इसी पद पर उन्हें तीसरी बार राजीव गांधी ने 1992 में मनोनीत किया. 1989 दिग्विजय सिंह को हार का सामना करना पड़ा. उन्हें भाजपा के प्रत्याशी प्यारेलाल खंडेलवाल ने हराया. 1991 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर उन्होंने वापसी की और 10वीं लोकसभा के सदस्य बने. 1993 में दिग्विजय सिंह ने लोकसभा से इस्तीफा दे दिया और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गये. 1998 में एक बार फिर उन्होंने विधानसभा चुनाव में शानदार जीत दर्ज की, जिसे देखते हुए सोनिया गांधी ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाया.
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अब राज्यसभा में दागते हैं सवाल : 2001 में जब छत्तीसगढ़ अलग हुआ तब कांग्रेस के बहुत सारे नेता नहीं चाहते थे कि अजित जोगी नये राज्य के मुख्यमंत्री बनें. दिग्विजय सिंह ने अहम भूमिका निभाते हुए पार्टी के नेताओं को राजी किया. 2008 दिग्विजय सिंह के चचेरे भाई मूल सिंह राघोगढ़ से चुनाव जीते. उसके बाद से उन्होंने राष्ट्रीय राजनीति का रुख कर लिया. बहुत जल्द ही उन्हें ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी का महासचिव मनोनीत किया गया. 2014 में वे मध्य प्रदेश से राज्य सभा के सदस्य चुने गये. उसके बाद उन्होंने वित्त कमेटी, प्रिविलेज कमेटी के सदस्य के रूप में अपनी सेवाएं दीं. 2015राज्य सभा की सेलेक्ट कमेटी के सदस्य बने. 2019 के लोकसभा में दिग्विजय सिंह एक बार फिर संसदीय चुनाव के मैदान में उतरे. वे भोपाल से चुनाव लड़ रहे लेकिन बीजेपी प्रत्याशी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर से वह हार गए.