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मूलभूत सुविधाओं के लिए जूझ रहे हैं ग्रामीण, अंधेरा-बदहाली और बेकारी ने छीन लीं खुशियां

चुनाव के समय ग्रामीणों से मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराए जाने के नाम पर बड़े-बड़े वादे कर विकास के सपने दिखाए जाते हैं, लेकिन चुनाव होते ही सारे वादे हवा हो जाते हैं. ग्रामीणों की समस्या सुनने वाला कोई नहीं है. ऐसे में ग्रामीण मूलभूत सुविधाएं के लिए तरसते रहते हैं.

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Published : Jun 21, 2020, 1:39 PM IST

डिंडौरी। एक ओर सरकार विकास के बड़े बड़े दावे कर रही है, लेकिन अभी भी मध्यप्रदेश के कई ऐसे गांव हैं, जहां आज भी ग्रामीणों को मूलभूत सुविधाओं के लिए तरसना पड़ रहा है. डिंडौरी के केवलारी रैयत ग्राम पंचायत के कछराटोला-संगमटोला में बिजली, पानी और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए जूझ रहे ग्रामीणों को गांव तक जाने के लिए सड़क नहीं होने के कारण नदी पार कर जाना पड़ता है. ऐसा नहीं है कि ग्रामीणों ने अपनी समस्याओं के बारे में अधिकारियों को नहीं बताया है. जनसुनवाई में भी गए लिखित शिकायत भी की. ग्रामीणों की शिकायत पर अधिकारियों ने गांव का निरीक्षण तो किया. आश्वासन भी दिया, जल्द से जल्द मूलभूत सुविधाएं उन तक पहुंचाने का, लेकिन वे भी रस्म अदाई बनकर रह गई और ग्रामीणों की समस्या जस की तस बनी हुई हैं.

मूलभूत सुविधाओं को तरसते ग्रामीण

मेडिकल इमरजेंसी होने पर मरीज को खाट पर लेकर जाते हैं ग्रामीण

जिले के शहपुरा विधानसभा क्षेत्र के केवलारी रैयत ग्राम पंचायत के कछराटोला-संगमटोला के ग्रामीणों को आज तक सड़क मार्ग और पुल की मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पाई हैं. कछराटोला में लगभग 65-70 परिवार और संगमटोला में करीब 10 से 12 परिवार निवास करते हैं. ग्रामीण राधेश्याम यादव का कहना है कि केवलारी के कछराटोला और संगमटोला में आने-जाने के लिए सड़क मार्ग नहीं हैं. इससे ग्रामीणों को भारी परेशानियों का सामना करन पड़ रहा है. गांव में यदि कोई बीमार पड़ता है तो उसे खाट या कंधे पर रखकर नदी पार करके मुख्य मार्ग तक जाना पड़ता है. ग्रामीण पत्थर के सहारे नदी पार करते हैं. केवलारी रैयत से कछराटोला तक की दूरी महज दो किलोमीटर है, लेकिन आज तक पक्की सड़क नहीं बन पाई है.

बारिश में तैरकर स्कूल जाते हैं बच्चे

केवलारी के ग्रामीणों ने बताया कि हर्रा टोला से खरमेर नदी और कछरा टोला जाने के लिए पक्की सड़क नहीं है. शासन-प्रशासन ने नदी पर पुल नहीं बनवाया, न ही अन्य विकास कार्य कराए हैं. ऐसे में बारिश के दिनों में हालत और भी बिगड़ जाती है. नदी पर तेज बहाव होने पर भी बच्चों को तैरकर स्कूल जाना पड़ता है. गांव तीन ओर से खरमेर नदी से घिरा है. ग्रामीणों का कहना है कि पंचायत, जनपद, सोसायटी, स्कूल, बाजार, अस्पताल आदि जाने के लिए नदी पार करना उनकी बड़ी मजबूरी है.

आज भी अंधेरे में डूबे संगम टोला से खाले टोला तक के 70 घर

गांव के शिवभजन यादव ने बताया कि केवलारी माल, संगम टोला से लेकर खाले टोला तक 70 घरों के लोग पिछले कई साल से अंधेरे में जीने मजबूर हैं. यहां के रहवासी बिजली न होने के कारण परेशानियों से जूझ रहे हैं. यहां पर हैंडपंप भी नहीं है, जिससे ग्रामीण पानी के लिए परेशान होते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि बुनियादी मांगों को लेकर वह कई बार जनसुनवाई में शिकायत भी कर चुके हैं. समय सीमा देने के बाद भी समस्या का समाधान नहीं किया गया. ग्रामीणों ने बताया कि कछराटोला में अभी कुछ वक्त पहले ही बिजली आई है.

डिंडौरी। एक ओर सरकार विकास के बड़े बड़े दावे कर रही है, लेकिन अभी भी मध्यप्रदेश के कई ऐसे गांव हैं, जहां आज भी ग्रामीणों को मूलभूत सुविधाओं के लिए तरसना पड़ रहा है. डिंडौरी के केवलारी रैयत ग्राम पंचायत के कछराटोला-संगमटोला में बिजली, पानी और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए जूझ रहे ग्रामीणों को गांव तक जाने के लिए सड़क नहीं होने के कारण नदी पार कर जाना पड़ता है. ऐसा नहीं है कि ग्रामीणों ने अपनी समस्याओं के बारे में अधिकारियों को नहीं बताया है. जनसुनवाई में भी गए लिखित शिकायत भी की. ग्रामीणों की शिकायत पर अधिकारियों ने गांव का निरीक्षण तो किया. आश्वासन भी दिया, जल्द से जल्द मूलभूत सुविधाएं उन तक पहुंचाने का, लेकिन वे भी रस्म अदाई बनकर रह गई और ग्रामीणों की समस्या जस की तस बनी हुई हैं.

मूलभूत सुविधाओं को तरसते ग्रामीण

मेडिकल इमरजेंसी होने पर मरीज को खाट पर लेकर जाते हैं ग्रामीण

जिले के शहपुरा विधानसभा क्षेत्र के केवलारी रैयत ग्राम पंचायत के कछराटोला-संगमटोला के ग्रामीणों को आज तक सड़क मार्ग और पुल की मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पाई हैं. कछराटोला में लगभग 65-70 परिवार और संगमटोला में करीब 10 से 12 परिवार निवास करते हैं. ग्रामीण राधेश्याम यादव का कहना है कि केवलारी के कछराटोला और संगमटोला में आने-जाने के लिए सड़क मार्ग नहीं हैं. इससे ग्रामीणों को भारी परेशानियों का सामना करन पड़ रहा है. गांव में यदि कोई बीमार पड़ता है तो उसे खाट या कंधे पर रखकर नदी पार करके मुख्य मार्ग तक जाना पड़ता है. ग्रामीण पत्थर के सहारे नदी पार करते हैं. केवलारी रैयत से कछराटोला तक की दूरी महज दो किलोमीटर है, लेकिन आज तक पक्की सड़क नहीं बन पाई है.

बारिश में तैरकर स्कूल जाते हैं बच्चे

केवलारी के ग्रामीणों ने बताया कि हर्रा टोला से खरमेर नदी और कछरा टोला जाने के लिए पक्की सड़क नहीं है. शासन-प्रशासन ने नदी पर पुल नहीं बनवाया, न ही अन्य विकास कार्य कराए हैं. ऐसे में बारिश के दिनों में हालत और भी बिगड़ जाती है. नदी पर तेज बहाव होने पर भी बच्चों को तैरकर स्कूल जाना पड़ता है. गांव तीन ओर से खरमेर नदी से घिरा है. ग्रामीणों का कहना है कि पंचायत, जनपद, सोसायटी, स्कूल, बाजार, अस्पताल आदि जाने के लिए नदी पार करना उनकी बड़ी मजबूरी है.

आज भी अंधेरे में डूबे संगम टोला से खाले टोला तक के 70 घर

गांव के शिवभजन यादव ने बताया कि केवलारी माल, संगम टोला से लेकर खाले टोला तक 70 घरों के लोग पिछले कई साल से अंधेरे में जीने मजबूर हैं. यहां के रहवासी बिजली न होने के कारण परेशानियों से जूझ रहे हैं. यहां पर हैंडपंप भी नहीं है, जिससे ग्रामीण पानी के लिए परेशान होते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि बुनियादी मांगों को लेकर वह कई बार जनसुनवाई में शिकायत भी कर चुके हैं. समय सीमा देने के बाद भी समस्या का समाधान नहीं किया गया. ग्रामीणों ने बताया कि कछराटोला में अभी कुछ वक्त पहले ही बिजली आई है.

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