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अस्थाई महिला स्वास्थ्यकर्मियों के सामने आई पेट पालने की समस्या, CM के नाम सौंपा ज्ञापन

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Published : Jan 30, 2021, 11:05 PM IST

अस्थाई रूप से नियुक्त किए गए स्वास्थ्य कर्मियों के सामने रोजी रोटी का संकट आ गया है. जिसके बाद स्वास्थ्य कर्मियों ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और स्वास्थ्य मंत्री प्रभु राम चौधरी के नाम ज्ञापन कलेक्टर को सौंपा है.

Memorandum submitted to the Tehsildar in the name of CM
सीएम के नाम तहसीलदार को सौंपा ज्ञापन

डिंडौरी। कोरोना महामारी के दौरान जिला चिकित्सालय में अस्थाई रूप से नियुक्त किए गए स्वास्थ्य कर्मियों के सामने रोजी रोटी का संकट आ गया है. जिसके बाद स्वास्थ्य कर्मियों ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और स्वास्थ्य मंत्री प्रभु राम चौधरी के नाम ज्ञापन कलेक्टर को सौंपा है. ज्ञापन के साथ स्वास्थ्य कर्मियों ने सेवा से पृथक ना करने तथा खाली पदों के खिलाफ समायोजन करने की मांग की है. शनिवार को जिला कलेक्ट्रेट परिसर में ज्ञापन सौंपने आए अस्थाई स्वास्थ्य कर्मियों के आंसुओं ने उनके अंतर्मन की पीड़ा बयां कर दिया.

पहले हुई थी तीन महीने की नियुक्ति

दरअसल कोविड-19 के दौरान लगभग 72 महिला स्वास्थ्य कर्मियों को अस्थाई नियुक्ति दी गई थी. पूर्व में यह नियुक्ति 3 महीने के लिए की गई थी, उसके बाद कार्य की आवश्यकता को देखते हुए इनके सेवाकाल में वृद्धि कर दी गई थी, जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने 30 जनवरी को इन स्वास्थ्यकर्मियों को पृथक करने के आदेश जारी किए गए. स्वास्थ्य कर्मियों ने ज्ञापन देते हुए कहा कि महामारी में पूरी निष्ठा और जनहित में देश के हित में काम किया है.

Temporary female health worker
आस्थाई महिला स्वास्थ्यकर्मी

काम को समझा अपना धर्म

इस वैश्विक महामारी के दौरान कार्य करते हुए अनेकों स्वास्थ्य कर्मी कोरोना से संक्रमित भी हुए थे लेकिन स्वास्थ्य की फिक्र न करते हुए यह अस्थाई स्वास्थ्य कर्मी पूर्ण निष्ठा से कार्य करते रहे. कोविड-19 के इन अस्थाई स्वास्थ्य कर्मियों का कहना है कि उन्होंने कभी भी सेवा के दौरान अपने मन में आस्थाई कर्मी होने का विचार नहीं आने दिया, बल्कि इस विश्वास के साथ कार्य करते रहे कि वर्तमान में जन हितैषी सरकार हमारी सेवाओं के मूल्य को समझेगी और आगे भी उन्हें सेवा करने का अवसर प्रदान किया जाएगा, लेकिन अब जब कोविड-19 के खतरे देश और प्रदेश में कुछ कम होते नजर आए, तब ऐसी स्थिति में इन प्रथम पंक्ति के योद्धाओं को सरकार ने बाहर का रास्ता दिखा दिया है. सरकार के द्वारा जारी फरमान से कोविड-19 महामारी के नियंत्रण के लिए काम में लगे इन अस्थाई स्वास्थ्य कर्मियों का भविष्य अंधकार मय हो गया है.

रोजी रोटी का संघर्ष

ज्ञापन सौंपते समय महिला स्वास्थ्य कर्मियों ने भविष्य में रोजी-रोटी की समस्या से सीएम को अवगत कराया है. वहीं सेवा से पृथक कर देने के बाद उपजे मानसिक तनाव और परिवार के भरण-पोषण की चिंता को लेकर महिला स्वास्थ्य कर्मियों के आंखों में आंसू आ गए. इन स्थाई कर्मियों ने कहा कि एक ओर मामा शिवराज भांजे भांजियों के बेहतर भविष्य की बात करते हैं. तो वही काम पर लगाए गए लोगों को सेवा से अलग कर हमारे भविष्य को अंधकार में डूबा रहे हैं.

डिंडौरी। कोरोना महामारी के दौरान जिला चिकित्सालय में अस्थाई रूप से नियुक्त किए गए स्वास्थ्य कर्मियों के सामने रोजी रोटी का संकट आ गया है. जिसके बाद स्वास्थ्य कर्मियों ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और स्वास्थ्य मंत्री प्रभु राम चौधरी के नाम ज्ञापन कलेक्टर को सौंपा है. ज्ञापन के साथ स्वास्थ्य कर्मियों ने सेवा से पृथक ना करने तथा खाली पदों के खिलाफ समायोजन करने की मांग की है. शनिवार को जिला कलेक्ट्रेट परिसर में ज्ञापन सौंपने आए अस्थाई स्वास्थ्य कर्मियों के आंसुओं ने उनके अंतर्मन की पीड़ा बयां कर दिया.

पहले हुई थी तीन महीने की नियुक्ति

दरअसल कोविड-19 के दौरान लगभग 72 महिला स्वास्थ्य कर्मियों को अस्थाई नियुक्ति दी गई थी. पूर्व में यह नियुक्ति 3 महीने के लिए की गई थी, उसके बाद कार्य की आवश्यकता को देखते हुए इनके सेवाकाल में वृद्धि कर दी गई थी, जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने 30 जनवरी को इन स्वास्थ्यकर्मियों को पृथक करने के आदेश जारी किए गए. स्वास्थ्य कर्मियों ने ज्ञापन देते हुए कहा कि महामारी में पूरी निष्ठा और जनहित में देश के हित में काम किया है.

Temporary female health worker
आस्थाई महिला स्वास्थ्यकर्मी

काम को समझा अपना धर्म

इस वैश्विक महामारी के दौरान कार्य करते हुए अनेकों स्वास्थ्य कर्मी कोरोना से संक्रमित भी हुए थे लेकिन स्वास्थ्य की फिक्र न करते हुए यह अस्थाई स्वास्थ्य कर्मी पूर्ण निष्ठा से कार्य करते रहे. कोविड-19 के इन अस्थाई स्वास्थ्य कर्मियों का कहना है कि उन्होंने कभी भी सेवा के दौरान अपने मन में आस्थाई कर्मी होने का विचार नहीं आने दिया, बल्कि इस विश्वास के साथ कार्य करते रहे कि वर्तमान में जन हितैषी सरकार हमारी सेवाओं के मूल्य को समझेगी और आगे भी उन्हें सेवा करने का अवसर प्रदान किया जाएगा, लेकिन अब जब कोविड-19 के खतरे देश और प्रदेश में कुछ कम होते नजर आए, तब ऐसी स्थिति में इन प्रथम पंक्ति के योद्धाओं को सरकार ने बाहर का रास्ता दिखा दिया है. सरकार के द्वारा जारी फरमान से कोविड-19 महामारी के नियंत्रण के लिए काम में लगे इन अस्थाई स्वास्थ्य कर्मियों का भविष्य अंधकार मय हो गया है.

रोजी रोटी का संघर्ष

ज्ञापन सौंपते समय महिला स्वास्थ्य कर्मियों ने भविष्य में रोजी-रोटी की समस्या से सीएम को अवगत कराया है. वहीं सेवा से पृथक कर देने के बाद उपजे मानसिक तनाव और परिवार के भरण-पोषण की चिंता को लेकर महिला स्वास्थ्य कर्मियों के आंखों में आंसू आ गए. इन स्थाई कर्मियों ने कहा कि एक ओर मामा शिवराज भांजे भांजियों के बेहतर भविष्य की बात करते हैं. तो वही काम पर लगाए गए लोगों को सेवा से अलग कर हमारे भविष्य को अंधकार में डूबा रहे हैं.

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