डिंडोरी। करंजिया ब्लाक के बरनई स्कूल में बच्चों का भविष्य अंधकार में है, जहां के शिक्षकों को ये तक नहीं पता की देश के राष्ट्रपति कौन है. ये सिर्फ एक स्कूल के शिक्षकों की बात नहीं है बल्कि इलाके के तीन स्कूलों में शिक्षकों का यहीं हाल है.
गर्त में जा रहा छात्रों का भविष्य, शिक्षकों को नहीं पता राष्ट्रपति का नाम - शिक्षकों को नहीं पता राष्ट्रपति का नाम
डिंडोरी के बरनई गांव में शिक्षकों की स्थिति खस्ता है. गांव के तीन प्राथमिक और मिडिल स्कूलों के शिक्षक देश के राष्ट्रपति का नाम तक नहीं जानते हैं. ऐसे में बच्चों का भविष्य इन शिक्षकों के भरोसे अंधकार में जा रहा है.
गर्त में जा रहा छात्रों का भविष्य
डिंडोरी। करंजिया ब्लाक के बरनई स्कूल में बच्चों का भविष्य अंधकार में है, जहां के शिक्षकों को ये तक नहीं पता की देश के राष्ट्रपति कौन है. ये सिर्फ एक स्कूल के शिक्षकों की बात नहीं है बल्कि इलाके के तीन स्कूलों में शिक्षकों का यहीं हाल है.
Intro: डिंडोरी जिले के करंजिया ब्लाक के बरनई स्कूलों के शिक्षकों को नही पता देश के राष्ट्रपति, मध्य प्रदेश के राज्यपाल जिले के कलेक्टर सहायक आयुक्त का नाम नहीं पता, ये हाल कोई एक स्कूल का नहीं बल्कि यहां के 3 स्कूलों के हाल है, देश के भविष्य कहे जाने वाले बच्चों के भविष्य अंधकारमय नजर आ रहा है ।
Body:डिंडोरी जिले की शिक्षा व्यवस्था चौपट होते नजर आ रही है जहाँ शिक्षक को नहीं पता कि देश का राष्ट्रपति कौन है ?मध्यप्रदेश का राज्यपाल कौन है? इतना ही नहीं बल्कि जिले के कलेक्टर और सहायक आयुक्त का नाम तक पता नहीं है, ये स्कूल प्रदेश सरकार के जनजातीय कार्य विभाग के मंत्री ओमकार सिंह मरकाम का गृहग्राम है ।
जी हां! करंजिया ब्लाक के बरनई गांव का है जहाँ प्राथमिक और मिडिल स्कूलों के शिक्षक और शिक्षिकाओं को देश के राष्ट्रपति प्रदेश के राज्यपाल, जिले के कलेक्टर और सहायक का नाम नहीं पता ये कोई एक स्कूल का नहीं बल्कि बरनई गांव के अलग अलग 3 स्कूलों के हाल हैं, ऐसे में ये शिक्षक बच्चों को क्या पढ़ाते होंगे, और बच्चों को क्या शिक्षा देते होंगे ये अपने आप में बड़ा सवाल है, ऐसे शिक्षकों के भरोसे देश के भविष्य कहे जाने वाले बच्चों का भविष्य कैसे बनेगा और संवरेगा,
वहीं इस संबंध में जिला पंचायत अध्यक्ष ज्योतिप्रकाश धुर्वे का कहना है कि ये शिक्षक कांग्रेस के समय ले देकर भर्ती किये गए शिक्षक हैं इन शिक्षकों को कांग्रेस शिक्षा दे जिससे ये बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल सके।
अब सवाल यह उठता है कि जब प्रदेश सरकार के मंत्री के गृहग्राम के स्कूलों के ये हाल हैं तो प्रदेश के बाकी स्कूलों की क्या स्थिति होगी ।
बाइट - ज्योतिप्रकाश धुर्वे, अध्यक्ष, जिला पंचायत डिंडौरी
बाइट- शिक्षक 1
बाइट- शिक्षक 2
बाइट- शिक्षिकाConclusion:प्रदेश सरकार के जनजातीय कार्य विभाग के मंत्री ओमकार सिंह मरकाम का गृहग्राम बरनई गांव का है जहाँ प्राथमिक और मिडिल स्कूलों के शिक्षक और शिक्षिकाओं को देश के राष्ट्रपति, प्रदेश के राज्यपाल, जिले के कलेक्टर और सहायक आयुक्त का नाम नहीं पता ये कोई एक स्कूल का नहीं बल्कि बरनई गांव के अलग अलग 3 स्कूलों के हाल हैं।
Body:डिंडोरी जिले की शिक्षा व्यवस्था चौपट होते नजर आ रही है जहाँ शिक्षक को नहीं पता कि देश का राष्ट्रपति कौन है ?मध्यप्रदेश का राज्यपाल कौन है? इतना ही नहीं बल्कि जिले के कलेक्टर और सहायक आयुक्त का नाम तक पता नहीं है, ये स्कूल प्रदेश सरकार के जनजातीय कार्य विभाग के मंत्री ओमकार सिंह मरकाम का गृहग्राम है ।
जी हां! करंजिया ब्लाक के बरनई गांव का है जहाँ प्राथमिक और मिडिल स्कूलों के शिक्षक और शिक्षिकाओं को देश के राष्ट्रपति प्रदेश के राज्यपाल, जिले के कलेक्टर और सहायक का नाम नहीं पता ये कोई एक स्कूल का नहीं बल्कि बरनई गांव के अलग अलग 3 स्कूलों के हाल हैं, ऐसे में ये शिक्षक बच्चों को क्या पढ़ाते होंगे, और बच्चों को क्या शिक्षा देते होंगे ये अपने आप में बड़ा सवाल है, ऐसे शिक्षकों के भरोसे देश के भविष्य कहे जाने वाले बच्चों का भविष्य कैसे बनेगा और संवरेगा,
वहीं इस संबंध में जिला पंचायत अध्यक्ष ज्योतिप्रकाश धुर्वे का कहना है कि ये शिक्षक कांग्रेस के समय ले देकर भर्ती किये गए शिक्षक हैं इन शिक्षकों को कांग्रेस शिक्षा दे जिससे ये बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल सके।
अब सवाल यह उठता है कि जब प्रदेश सरकार के मंत्री के गृहग्राम के स्कूलों के ये हाल हैं तो प्रदेश के बाकी स्कूलों की क्या स्थिति होगी ।
बाइट - ज्योतिप्रकाश धुर्वे, अध्यक्ष, जिला पंचायत डिंडौरी
बाइट- शिक्षक 1
बाइट- शिक्षक 2
बाइट- शिक्षिकाConclusion:प्रदेश सरकार के जनजातीय कार्य विभाग के मंत्री ओमकार सिंह मरकाम का गृहग्राम बरनई गांव का है जहाँ प्राथमिक और मिडिल स्कूलों के शिक्षक और शिक्षिकाओं को देश के राष्ट्रपति, प्रदेश के राज्यपाल, जिले के कलेक्टर और सहायक आयुक्त का नाम नहीं पता ये कोई एक स्कूल का नहीं बल्कि बरनई गांव के अलग अलग 3 स्कूलों के हाल हैं।