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बुंदेली राई ने मचाई धूम, ताली की गड़गड़ाहट ने लूट ली महफिल, 82 साल से चल रही परंपरा - MAKAR SANKRANTI 2025

मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड में मकर संक्रांति के मौके पर चल रही है 82 साल पुरानी परंपरा, 10 दिनों का होता है आयोजन.

MAKAR SANKRANTI 2025
समिति के प्रमुख रामप्रसाद मिश्रा ने किया सम्मानित (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 19, 2025, 9:00 PM IST

छतरपुर: देशभर में मकर संक्रांति का त्योहार बड़े उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है. लेकिन बुंदेलखंड में मकर संक्रांति के त्योहार की धूम 10 दिनों तक चलती है. ग्रामीण इलाकों में मेले का आयोजन किया जाता है. इसमें बुंदेली परंपराओं को जीवित रखने के लिए बुंदेली राई नृत्य का अद्भुत आयोजन होता है. जिसमें महिलाएं बुंदेली वेशभूषा धारण कर नृत्य कर लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं. पिछले 82 सालों से बूढ़ा बांध पर मेले का आयोजन होता आ रहा है, जिसमें बुंदेली राई की धूम चल रही है.

कई सालों से चल रही है परंपरा

दरअसल, छतरपुर जिले के सबसे पुराने बूढ़ा बांध पर पिछले 82 सालों से मेले का आयोजन किया जा रहा है. इसको देखने के लिए शहर और ग्रामीण दोनों पहुंचते हैं. बुंदेली राई में 3 से 4 महिलाएं परंपरा के अनुसार साड़ी का घूंघट डाल कर ढोलक की थाप पर नृत्य करती हैं. यह ग्रामीण इलाकों में 5 से 10 दिनों तक लगातार चलता है.

मकर संक्रांति में बूढ़ाबांध पर 82 सालों से होता है आयोजन (ETV Bharat)

ताली की गड़गड़ाहट ने लूट ली महफिल

हर साल की तरह इस साल भी पारंपरिक वेशभूषा में सजी-धजी नृत्यांगनाओं ने जब राई नृत्य पेश किया तो दर्शक झूम उठे. लोगों के ताली की गड़गड़ाहट ने नृत्य का खूब मनोबल बढ़ाया. इस साल के मेले में "तुनक तुनक तुन तून्ना सुनो पाऊनि बिन्ना" जैसे हिट गानों की स्टार अंजली कुशवाहा और बुंदेली गायक परशुराम अवस्थी को विशेष रूप से सम्मानित किया गया. समिति के प्रमुख रामप्रसाद मिश्रा और अशोक मिश्रा ने अपने हाथों से दोनों को सम्मानित किया.

मकर संक्रांति छतरपुर के लिए क्यों है इतना खास

वहीं, मकर संक्रांति के पीछे की कहानी भी अद्भुत है, जब ग्रहों के राजा सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं. इसी को मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है. साथ ही इस अवसर पर सूर्य देव की पूजा-अर्चना करने का भी विधान है. मकर संक्रांति को खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है. कई इलाकों के लोग उस दिन खिचड़ी खाते हैं. इसमें जगह-जगह मेलों का आयोजन होता है.

छतरपुर: देशभर में मकर संक्रांति का त्योहार बड़े उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है. लेकिन बुंदेलखंड में मकर संक्रांति के त्योहार की धूम 10 दिनों तक चलती है. ग्रामीण इलाकों में मेले का आयोजन किया जाता है. इसमें बुंदेली परंपराओं को जीवित रखने के लिए बुंदेली राई नृत्य का अद्भुत आयोजन होता है. जिसमें महिलाएं बुंदेली वेशभूषा धारण कर नृत्य कर लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं. पिछले 82 सालों से बूढ़ा बांध पर मेले का आयोजन होता आ रहा है, जिसमें बुंदेली राई की धूम चल रही है.

कई सालों से चल रही है परंपरा

दरअसल, छतरपुर जिले के सबसे पुराने बूढ़ा बांध पर पिछले 82 सालों से मेले का आयोजन किया जा रहा है. इसको देखने के लिए शहर और ग्रामीण दोनों पहुंचते हैं. बुंदेली राई में 3 से 4 महिलाएं परंपरा के अनुसार साड़ी का घूंघट डाल कर ढोलक की थाप पर नृत्य करती हैं. यह ग्रामीण इलाकों में 5 से 10 दिनों तक लगातार चलता है.

मकर संक्रांति में बूढ़ाबांध पर 82 सालों से होता है आयोजन (ETV Bharat)

ताली की गड़गड़ाहट ने लूट ली महफिल

हर साल की तरह इस साल भी पारंपरिक वेशभूषा में सजी-धजी नृत्यांगनाओं ने जब राई नृत्य पेश किया तो दर्शक झूम उठे. लोगों के ताली की गड़गड़ाहट ने नृत्य का खूब मनोबल बढ़ाया. इस साल के मेले में "तुनक तुनक तुन तून्ना सुनो पाऊनि बिन्ना" जैसे हिट गानों की स्टार अंजली कुशवाहा और बुंदेली गायक परशुराम अवस्थी को विशेष रूप से सम्मानित किया गया. समिति के प्रमुख रामप्रसाद मिश्रा और अशोक मिश्रा ने अपने हाथों से दोनों को सम्मानित किया.

मकर संक्रांति छतरपुर के लिए क्यों है इतना खास

वहीं, मकर संक्रांति के पीछे की कहानी भी अद्भुत है, जब ग्रहों के राजा सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं. इसी को मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है. साथ ही इस अवसर पर सूर्य देव की पूजा-अर्चना करने का भी विधान है. मकर संक्रांति को खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है. कई इलाकों के लोग उस दिन खिचड़ी खाते हैं. इसमें जगह-जगह मेलों का आयोजन होता है.

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