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साल में एक बार यहां नाग देवता देते हैं दर्शन, होती है मनाकोमना पूरी - दर्शन पाने के लिए आसपास के सैकड़ों गांवों आते है

डिंडौरी। बिलासर गांव में नागपंचमी के दिन नदी किनारे स्थित नागेश्वर घाट में चट्टानों के बीच नाग देवता दर्शन देने निकलते हैं.

साल में एक बार यहां नाग देवता देते हैं दर्शन
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Published : Aug 5, 2019, 7:02 PM IST

डिंडौरी। बिलासर गांव में नागपंचमी का त्योहार बड़े धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. लोगों के मुताबिक बिलासर गांव में नाग पंचमी के दिन नदी किनारे स्थित नागेश्वर घाट में चट्टानों के बीच नाग देवता दर्शन देने निकलते हैं.
साल में एक बार नागपंचमी के दिन दर्शन देते हैं. नाग देवता के दर्शन पाने के लिए आसपास के सैकड़ों गांवों के लोग मन में मुराद, हाथों में अगरबत्ती और नारियल लेकर नागेश्वर घाट पहुंचते हैं.

साल में एक बार यहां नाग देवता देते हैं दर्शन

बुजुर्गों का कहना है कि नागेश्वर घाट में नाग देवता का बेहद पुराना स्थान है, जहां वो साल में एक बार दर्शन देने के लिए बाहर निकलते हैं. नागपंचमी के दिन भक्तों की भीड़ दर्शन के लिए उमड़ पड़ती है. शिव मंदिर में स्थित शिव लिंग में विशेष आकृति दिखाई देती है.

डिंडौरी। बिलासर गांव में नागपंचमी का त्योहार बड़े धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. लोगों के मुताबिक बिलासर गांव में नाग पंचमी के दिन नदी किनारे स्थित नागेश्वर घाट में चट्टानों के बीच नाग देवता दर्शन देने निकलते हैं.
साल में एक बार नागपंचमी के दिन दर्शन देते हैं. नाग देवता के दर्शन पाने के लिए आसपास के सैकड़ों गांवों के लोग मन में मुराद, हाथों में अगरबत्ती और नारियल लेकर नागेश्वर घाट पहुंचते हैं.

साल में एक बार यहां नाग देवता देते हैं दर्शन

बुजुर्गों का कहना है कि नागेश्वर घाट में नाग देवता का बेहद पुराना स्थान है, जहां वो साल में एक बार दर्शन देने के लिए बाहर निकलते हैं. नागपंचमी के दिन भक्तों की भीड़ दर्शन के लिए उमड़ पड़ती है. शिव मंदिर में स्थित शिव लिंग में विशेष आकृति दिखाई देती है.

Intro:एंकर _ मन में मुराद हाथों में अगरबत्ती और नारियल लिए लोग पहुंच रहे हैं बिलासरगांव । जहां मान्यता है कि सावन के दिनों में विशेषकर नाग पंचमी के दिन चट्टानों के बीच नाग देवता दर्शन देने निकलते हैं । नाग देवता के दर्शन मात्र पाने के लिए बिलासर गांव सहित आसपास के सैकड़ों गांवों से लोग बिलासर के नागेश्वर घाट पहुंचते हैं । जहां नदी किनारे स्थित पत्थर की चट्टानों के बीच नाग देवता निवास करते हैं । यहां अपनी मन्नत लेकर ग्रामीण नाग पंचमी के खास दिन दूध और जल चढ़ाने पहुंचते हैं। वही बुजुर्गों की माने तो नदी किनारे स्थित शिव मंदिर में दिनभर भजन कीर्तन चलता है और शिवलिंग में विशेष आकृति सावन के जनों में दिखाई देती है।


Body:वि ओ 01 डिंडौरी से समनापुर मार्ग में नान डिंडौरी से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर बसा है बिलासर गाँव।जहाँ नागपंचमी के दिन मेला लगता है। बिलासर गाँव मे नदी किनारे पत्थर की चट्टानों के बीच नाग देवता निवास करते है।जो साल में एक बार ही नागपंचमी के दिन दर्शन देते है।नाग देवता के दर्शन पाने बिलासर सहित आसपास के सैकड़ो गाँवो से लोगो का जन सैलाब यहाँ आने के लिए उमड़ पड़ता है।

चट्टानों के बीच होता है नागदेवता का रहना _ बिलासर गाँव के बुजुर्गों का कहना है कि नागेश्वर घाट में नाग देवता का बेहद पुराना स्थान है । जो साल में एक बार ही दर्शन देने के लिए बाहर निकलते है।नाग पंचमी के दिन भक्तों का बड़ा जमावड़ा लगा रहता है तो वही मंदिर के आसपास मेला लगता है।लोग पूजा पाठ की सामग्री लेकर दूध और जल चढ़ाने नागेश्वर घाट पहुँचते है।नागदेवता कब से यहाँ है यह कोई नही जानता है लेकिन किसी को नागदेवता अलग अलग आकारों में दर्शन देते है । यही कारण है कि यहाँ नागपंचमी के दिन भक्तों की भीड़ दर्शन के लिए उमड़ पड़ती है।

शिव लिंग में बनती है विशेष आकृति_ बुजुर्गों का यह भी कहना है कि सावन के दिनों में विशेष पूजा पाठ का दौर बिलागर में जारी रहता है ।ऐसी किव दंति है कि शिव मंदिर में स्थित शिव लिंग में विशेष आकृति दिखाई देती है।


Conclusion:बाइट 01सम्मल सिंह ,ग्रामीण
बाइट 02 धिल्पत सिंह ,ग्रामीण
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