डिंडोरी। वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौरान मध्यप्रदेश सरकार और गुजरात सरकार के दावे और वादों की पोल खोलने वाली तस्वीरें डिंडोरी में सामने आई हैं. जहां डिंडोरी जिले के 63 मजदूर खुद के खर्चे से ट्रक के जरिए 4 दिनों का सफर तय कर सूरत से वापस लौटे हैं. मजदूरों से भरे ट्रक को देखकर लगता है मानो किसी ने जानवरों की तरह इन्हें ठूस-ठूस कर भर के भेजा है. लेकिन अपने घर वापस आने की मजबूरी में ये मजदूर सब सहन कर भूखे-प्यासे आखिरकार अपने जिले पहुंच ही गए.
मजदूरों ने सुनाई आप बीती
ETV भारत से बात कर इन मजदूरों ने अपनी आप बीती सुनाई. मजदूरों ने बताया कि न तो मध्य प्रदेश सरकार ने इनकी मदद की और न ही गुजरात सरकार ने. ये सभी अपना खर्च खुद उठाकर प्रति व्यक्ति 2700 रुपए देकर आए हैं. इस हिसाब से टोटल एक लाख 68 हजार रुपए देकर ये सभी मजदूर गुजरात के ट्रक में भरकर वापस पहुंचे हैं. वहीं मामले की जानकारी मिलते ही नगर परिषद अध्यक्ष पंकज तेकाम और पूर्व मंत्री ओमकार सिंह मरकाम भोंदूटोला क्वॉरेंटाइन सेंटर पहुंचे. जहां इन मजदूरों की हालत देख प्रशासन से इनकी मदद की बात कही.
![migrant labors paid lakh to come](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/7067372_img.jpg)
ये भी पढ़ें- साइकिल से 600 किलोमीटर सफर तय करके ये मजदूर पहुंचे अपने घर, डॉक्टरों ने होम क्वॉरेंटाइन के दिए निर्देश
डिंडौरी और अनूपपुर जिले के 63 मजदूर पलायन कर गुजरात राज्य के सूरत में काम करने गए हुए थे. लेकिन कोरोना वायरस के फैलते संक्रमण की रोकथाम के लिए किए गए लॉकडाउन के कारण वहीं फंस गए. कुछ दिनों तक लॉकडाउन के कारण सभी मजदूरों ने सूरत में ही अपना और अपने परिवार का जैसे-तैसे पालन-पोषण किया, लेकिन लॉकडाउन बढ़ने की वजह से उनके हालात बिगड़ने लगे.
![migrant labors paid lakh to come](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/7067372_img4.png)
मदद मांगने के बावजूद गुजरात और मध्यप्रदेश सरकार से जब किसी तरह की मदद नहीं मिली, तो सभी 63 मजदूरों ने डिंडौरी और अनूपपुर में अपने परिवारों से पैसे खाते में डलवाए. उसके बाद 2700 रुपये प्रति व्यक्ति के हिसाब से 1 लाख 68 हजार 400 रुपये चंदा किया. फिर गुजरात के ही एक ट्रक को किराए में लेकर 2 मई को सूरत से डिंडौरी के लिए रवाना हुए. मजदूरों ने बताया कि उन्होंने 4 दिनों का सफर भूखे-प्यासे किया हैं, जिनमें बच्चे और दो गर्भवती महिलाएं भी शामिल हैं.
ये भी पढ़ें- ग्राउंड रिपोर्ट: क्वारंटाइन सेंटर में फंसे कई मजदूर, यूपी-बिहार समेत नेपाल के लोग शामिल
दोनों राज्य की सरकार ने नहीं की मदद
डिंडौरी और अनूपपुर जिले के मजदूरों का खुले तौर पर आरोप है कि मध्य प्रदेश और गुजरात सरकार ने उनके आने में कोई मदद नहीं की और न ही उनके स्वास्थ्य सहित भोजन की कहीं भी व्यवस्था की. सहयोग के नाम पर मिला तो सिर्फ सूरत जिला प्रशासन से पास. सूरत प्रशासन ने उन्हें पास जारी किया था, जिससे वो ट्रक के जरिए सूरत से डिंडौरी पहुंच सके.
![migrant labors paid lakh to come](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/7067372_img5.png)
दर्द और भूख से कराहते मजदूर
जैसे ही ट्रक डिंडोरी मुख्यालय पहुंचा और मजदूरों का ट्रक से उतरने का सिलसिला शुरू हुआ, वैसे ही सभी मजदूर दर्द और भूख से कराहते नजर आए. ट्रक के अंदर मासूम बच्चे और गर्भवती महिलाएं भी थीं, जिनका चेहरा हालात को बयां करने के लिए काफी था.
ये भी पढ़ें- गुजराती समाज 2 महीने तक गोद लेगा एक गांव, गुजराती भवन भी सरकार को देने का फैसला
भोंदूटोला में स्वास्थ्य परीक्षण शुरू
इन 63 मजदूरों के आने की सूचना मिलते ही मौके पर प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग का अमला भोंदूटोला क्वारंटाइन सेंटर पहुंचा. जहां इन मजदूरों का स्वास्थ्य परीक्षण शुरू किया गया. मौक पर पहुंचे नगर परिषद अध्यक्ष पंकज तेकाम ने बताया कि मजदूरों के लिए रुकने और खाने-पीने की व्यवस्था की जा रही है. इसके अलावा इन सभी मजदूरों को उनका भाड़ा वापस मिल सके, इसके लिए राज्य सरकार से बात की जाएगी.
![migrant labors paid lakh to come](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/7067372_img2.jpg)
पूर्व मंत्री ओमकार सिंह मरकाम ने ETV भारत के जरिए गुजरात और मध्य प्रदेश की सरकार की व्यवस्थाओं पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि मजदूरों की हालत बयां करती है कि सरकार ने कुछ नहीं किया है और उनका कामकाज कैसा है. मजदूरों को लेकर जितने भी वादे और दावे बीजेपी सरकार ने किए हैं, इन 63 मजदूरों को देखकर झूठे साबित हो रहे है. उन्होंने कहा कि अगर शिवराज सरकार इन 63 मजदूरों का एक लाख 68 हजार किराया वापस नहीं करती है तो कांग्रेस पार्टी और वो खुद उनकी मदद करेंगे.