डिंडौरी। सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा के तहत काम शुरू कर दिया है. जिसके चलते इस विपरीत परिस्थितियों में बेरोजगारों को रोजगार मिला हुआ है. लेकिन मजदूरी के नाम पर केवल 15 रूपये दिए जा रहे हैं. मामला कनई सांगवा ग्राम पंचायत का है. जहां ग्रामीणों को कूप निर्माण कार्य में केवल 15 रूपये मजदूरी मिली है. उपयंत्री द्वारा किए गए मूल्यांकन से मिली राशि को देख कर मजदूर हैरत में हैं. जिसके चलते उऩ्होंने मामले की शिकायत कलेक्टर से की है. इस दौरान उन्होंने उपयंत्री और रोजगार सचिव पर कई आरोप लगाया है.
ग्रामीणों ने बताया कि उनके गांव में लॉकडाउन के दौरान कूप निर्माण काम शुरू किया गया. जिसमें पंचायत के ग्रामीणों ने मजदूरी की. लेकिन उस मजदूरी का मूल्यांकन उपयंत्री के द्वारा केवल 15 रुपये प्रति मजदूर के हिसाब से किया गया, जो ऊंट के मुंह में जीरा बराबर है. उन्होंने इस मामले में रोजगार सहायक भारत सिंह बिलागर और उपयंत्री पर मिलीभगत का आरोप आरोप लगाया. सबसे बड़ा सवाल ये है कि इस लॉकडाउन में ये मजदूर इतनी कम मजदूरी में अपने परिवार का भरण पोषण कैसे करेंगे.
आवाज उठाने पर मिल रही एफआईआर की धमकी
ग्राम पंचायत कनई सांगवा के ग्रामीण मजदूरों का कहना है कि इस मामले की जब विरोध किया गया तो गांव के रोजगार सहायक और उपयंत्री उन्हें झूठी FIR कर फंसाने की धमकी दे रहे हैं. जिसको लेकर ग्रामीण भयभीत हैं और इसकी शिकायत उन्होंने जनपद के वरिष्ठ अधिकारियों सहित कलेक्टर से भी की है.
ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि गांव में 8 साल पहले पुराना स्टॉप बनाया गया था, जो कि अच्छा था. लेकिन भ्रष्टाचार करते हुए गांव के रोजगार सहायकों और उपयंत्री ने बिना किसी कारण के उसे जेसीबी से तोड़ दिया और नजदीक ही एक अन्य स्टॉप बनाया है, इसकी जांच की जानी चाहिए.