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नवरात्रि पर दिख रहा बारिश और मंदी का असर, पंडालों में कम हो रही सजावट

डिंडौरी जिले में इस बार नवरात्रि का त्योहार बारिश और मंदी की मार के कारण फीका दिखाई दे रहा है. मंदी के कारण इस साल कम देवी प्रतिमाएं विराजमान की गई है.

सूने पड़े पंडाल
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Published : Oct 1, 2019, 10:33 AM IST

Updated : Oct 1, 2019, 11:02 AM IST

डिंडौरी। नवरात्रि का पावन पर्व शुरु हो गया है, जिसे लेकर लोग हमेशा उत्साहित भी रहते हैं. लेकिन इस वर्ष की बारिश और मंदी की मार ने लोगों के उत्साह में बट्टा लगा दिया है. जिसके कारण देवी पंडालों में और आस पास सजावट में कमी देखी जा रही है. साथ ही हर साल की तरह देवी प्रतिमाओं की संख्या में कमी आई है.

सूने पड़े पंडाल

जिले के लोगों का कहना है कि डिंडौरी जिले में सबका जीवन कृषि पर आधारित है, लेकिन इस वर्ष ने फसलों को पूरे तरीके से तबाह कर दिया है. जिससे किसान के साथ आमजन भी परेशान हैं. साथ ही पूरे देश में मंदी और बढ़ती मंहगाई के कारण भी आम-आदमी की जेब पर भी असर पड़ा है. जिसका सीधा असर नवरात्रि के त्योहार पर भी दिख रहा है.जो लोग बड़े पंडालों के लिए चंदे के रूप में दान दिया करते थे. उन्होंने भी इस बार दान में कटौती की है. जिसका असर सजावट आदि में देखा जा रही है
नहीं दिख रहे आकर्षक पंडाल
पहले की भांति इस बार नगर सहित आसपास के इलाके में ज्यादा बड़े और आकर्षक पंडाल नजर नहीं आ रहे हैं समाजसेवी अशोक श्रीवास्तव का कहना है कि एक पंडाल को तैयार करने में लाखों रुपये खर्च होते है. खर्च तब किया जाता है जब अच्छा आता है. पंडाल को तैयार करने से लेकर अंतिम दिनों तक विद्युत साजसज्जा,भव्य देवी प्रतिमा,नौ दिन के पूजा पाठ की सामग्री, भंडारा और विसर्जन का खर्च भी जुड़ा रहता है.लेकिन इस बार जिलें में ही पंडालों की कमी दिखाई दे रही है .

डिंडौरी। नवरात्रि का पावन पर्व शुरु हो गया है, जिसे लेकर लोग हमेशा उत्साहित भी रहते हैं. लेकिन इस वर्ष की बारिश और मंदी की मार ने लोगों के उत्साह में बट्टा लगा दिया है. जिसके कारण देवी पंडालों में और आस पास सजावट में कमी देखी जा रही है. साथ ही हर साल की तरह देवी प्रतिमाओं की संख्या में कमी आई है.

सूने पड़े पंडाल

जिले के लोगों का कहना है कि डिंडौरी जिले में सबका जीवन कृषि पर आधारित है, लेकिन इस वर्ष ने फसलों को पूरे तरीके से तबाह कर दिया है. जिससे किसान के साथ आमजन भी परेशान हैं. साथ ही पूरे देश में मंदी और बढ़ती मंहगाई के कारण भी आम-आदमी की जेब पर भी असर पड़ा है. जिसका सीधा असर नवरात्रि के त्योहार पर भी दिख रहा है.जो लोग बड़े पंडालों के लिए चंदे के रूप में दान दिया करते थे. उन्होंने भी इस बार दान में कटौती की है. जिसका असर सजावट आदि में देखा जा रही है
नहीं दिख रहे आकर्षक पंडाल
पहले की भांति इस बार नगर सहित आसपास के इलाके में ज्यादा बड़े और आकर्षक पंडाल नजर नहीं आ रहे हैं समाजसेवी अशोक श्रीवास्तव का कहना है कि एक पंडाल को तैयार करने में लाखों रुपये खर्च होते है. खर्च तब किया जाता है जब अच्छा आता है. पंडाल को तैयार करने से लेकर अंतिम दिनों तक विद्युत साजसज्जा,भव्य देवी प्रतिमा,नौ दिन के पूजा पाठ की सामग्री, भंडारा और विसर्जन का खर्च भी जुड़ा रहता है.लेकिन इस बार जिलें में ही पंडालों की कमी दिखाई दे रही है .

Intro:एंकर _ नवरात्र का एक दौर ऐसा था जब नगर में दो दिन पहले से रौनक,साज सज्जा,आकर्षक पंडाल तैयार किये जाते थे । लेकिन समय बदलता गया और दौर मंदी का निकल पड़ा।फिर क्या था क्या इंसान और क्या भगवान असर सभी पर साफ दिखाई देने लगा।बात हम यहाँ हिंदुओं का सबसे बड़ा धार्मिक पर्व नवरात्र की कर रहे है जहाँ 9 दिन नो देवियों की सच्चे मन से लोग उपासना करते है।भजन कीर्तन के साथ नो दिन व्यतीत करते है।लेकिन इस वर्ष की नवरात्र में देवी पंडालों पर मंदी की मार दिखाई दी है।जहाँ नगर में पंडाल की कमी तो कही सजावट में कमी देखी गई।


Body:वि ओ 01आदिवासी जिला डिंडौरी जहाँ पूरी अर्थ व्यवस्था कृषि के बलबूते टिकी रहती है।जब कृषि बेहतर होती है तो खूब दीवाली और खूब दशहरा मनाया जाता है।लेकिन इस बार की बारिश ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी है यह बात हम सभी जानते है।वही लोगो की आर्थिक व्यवस्था को बिगाड़ा है पेट्रोल डीजल के दाम और फिर उसके बाद महंगे सब्जियों के दाम। हर इंसान इस बढ़ते दामो से परेशान है।बड़े पंडालों के लिए जो चंदे के रूप में स्वेच्छा से दान दिया करते थे वे अब महंगाई और बजट बचाने के खातिर अब दान देने में कटौती कर रहे है।जिसका खासा असर देवी पंडालों पर पड़ा हैं। क्षेत्र के वरिष्ठ पत्रकार नीरज श्रीवास्तव का कहना है कि इस बार की नवरात्र में पंडालों पर मंदी की मार दिखाई दी है जहाँ एक तरफ बारिश ने नवरात्र का माहौल बिगाड़ा है तो वही दूसरी तरफ मंदी ने पंडालों को सीमित कर दिया है।

नही दिखे बड़े और आकर्षक पंडाल _ पहले की भांति इस बार नगर सहित आसपास के इलाके में ज्यादा बड़े और आकर्षक पंडाल नजर नही आ रहे हैं। समाजसेवी अशोक श्रीवास्तव का कहना है कि एक पंडाल को परिपूर्ण तैयार करने में लाखों रुपये खर्च होते है।खर्च तब होते है जब अच्छा दान आमजनता से मिलता है। एक पंडाल के तैयार से लेकर अंतिम दिनों तक में विद्युत साजसज्जा,भव्य देवी प्रतिमा,नो दिन के पूजा पाठ की सामग्री, भंडारा और विसर्जन का खर्च जुड़ा रहता है।लेकिन इस बार डिंडौरी नगर में ही पंडालों में कमी दिखाई दी है।

डिंडौरी नगर में पुरानी डिंडौरी,जैन पेट्रोल पंप ,सब्जी मंडी ,डी डी मार्केट,पीडब्लूडी कालोनी,सिविल लाइन, साकेत नगर,सूबखार,आदि स्थानों पर देवी प्रतिमा स्थापित की गई है।


Conclusion:बाइट 01 नीरज श्रीवास्तव,वरिष्ठ पत्रकार

बाइट 02 अशोक श्रीवास्तव,सदस्य काली पंडाल समिति
Last Updated : Oct 1, 2019, 11:02 AM IST
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