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ईटीवी भारत की खबर का असर, पढ़ाई के लिए भीख मांगने वाली बच्चियों के घर पहुंची मदद

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Published : Jul 3, 2019, 7:48 PM IST

Updated : Jul 3, 2019, 8:15 PM IST

डिंडोरी जिले के धनुआसागर पंचायत के लाखो गांव के रहने वाली नाबालिग बच्चियां अपनी पढ़ाई के लिए भीख मांग रही थी.इस खबर को ईटीवी भारत ने प्रमुखता से दिखाया था. जिसके बाद इस खबर का असर देखने को मिला है.

पढ़ाई के लिए भीख मांगने वाली बच्चियों के घर पहुंची मदद

डिंडोरी| एक बार फिर ईटीवी भारत की खबर का असर देखने को मिला है. धनुआसागर पंचायत के लाखों गांव के रहने वाली नाबालिग बच्चियां भीख मांगकर अपनी पढ़ाई के लिए पेन, कॉपी और बसते की जुगत में रहती थीं. इस खबर को ईटीवी भारत ने प्रमुखता से दिखाया था. इस खबर को संज्ञान में लेते हुए कांग्रेस जिलाध्यक्ष वीरेंद्र बिहारी शुक्ला और उनके साथी लाखों गांव पहुंचे और गरीब बच्चियों को पढ़ाई की सामग्री उपलब्ध कराई है.

पढ़ाई के लिए भीख मांगने वाली बच्चियों के घर पहुंची मदद

डिंडोरी जिले में पारधी समाज के लोग बहुत ज्यादा संख्या में रहते हैं, जिनकी जिंदगी घुमक्कड़ होती है. यही कारण है कि सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाएं उन तक आसानी से नहीं पहुंच पाती. गांव के पारधी समाज के लोगों ने कांग्रेस जिलाध्यक्ष से अपनी कई समस्याओं को भी जाहिर किया जिसके समाधान का जिलाध्यक्ष ने भरोसा दिया है.

गांव के बच्चों ने ये भी बताया था कि उनके टीचर बेहद खराब हैं जो बुरी आदतों से लिप्त हैं. इन बच्चियों के साथ रहने वाली महिला ने बताया कि इन बच्चियों को मिलने वाली स्कॉलरशिप की राशि भी स्कूल के शिक्षक खा जाते हैं. वहीं रविवार के दिन भीख मांग कर बच्चियां 50 से 100 रुपए जोड़ लेती हैं और पढ़ाई में लगने वाली जरूरतों को पूरा कर लेती है. लाखों गांवों की तरह जिले के कई ऐसे गांव हैं जहां पारधी समाज के लोग और उनके बच्चे भुखमरी और गरीबी के साथ जीवन यापन करने को मजबूर हैं.

डिंडोरी| एक बार फिर ईटीवी भारत की खबर का असर देखने को मिला है. धनुआसागर पंचायत के लाखों गांव के रहने वाली नाबालिग बच्चियां भीख मांगकर अपनी पढ़ाई के लिए पेन, कॉपी और बसते की जुगत में रहती थीं. इस खबर को ईटीवी भारत ने प्रमुखता से दिखाया था. इस खबर को संज्ञान में लेते हुए कांग्रेस जिलाध्यक्ष वीरेंद्र बिहारी शुक्ला और उनके साथी लाखों गांव पहुंचे और गरीब बच्चियों को पढ़ाई की सामग्री उपलब्ध कराई है.

पढ़ाई के लिए भीख मांगने वाली बच्चियों के घर पहुंची मदद

डिंडोरी जिले में पारधी समाज के लोग बहुत ज्यादा संख्या में रहते हैं, जिनकी जिंदगी घुमक्कड़ होती है. यही कारण है कि सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाएं उन तक आसानी से नहीं पहुंच पाती. गांव के पारधी समाज के लोगों ने कांग्रेस जिलाध्यक्ष से अपनी कई समस्याओं को भी जाहिर किया जिसके समाधान का जिलाध्यक्ष ने भरोसा दिया है.

गांव के बच्चों ने ये भी बताया था कि उनके टीचर बेहद खराब हैं जो बुरी आदतों से लिप्त हैं. इन बच्चियों के साथ रहने वाली महिला ने बताया कि इन बच्चियों को मिलने वाली स्कॉलरशिप की राशि भी स्कूल के शिक्षक खा जाते हैं. वहीं रविवार के दिन भीख मांग कर बच्चियां 50 से 100 रुपए जोड़ लेती हैं और पढ़ाई में लगने वाली जरूरतों को पूरा कर लेती है. लाखों गांवों की तरह जिले के कई ऐसे गांव हैं जहां पारधी समाज के लोग और उनके बच्चे भुखमरी और गरीबी के साथ जीवन यापन करने को मजबूर हैं.

Intro:एंकर _ ईटीवी भारत की खबर का एक बार फिर बड़ा असर देखने को डिंडोरी जिले में मिला है सामाजिक सरोकार का निभाते हुए ईटीवी भारत ने पढ़ाई के लिए भी खबर प्रमुखता से 2 जुलाई को प्रसारित की थी इस खबर को संज्ञान में लेकर कांग्रेस जिलाध्यक्ष वीरेंद्र बिहारी शुक्ला और उनके साथी लाखों गांव पहुंचे और गरीब बच्चियों को पढ़ाई के लिए बस्ता कॉपी पेन उपलब्ध कराया। वहीं पढ़ाई की सामग्री पाकर जहां बच्चों के चेहरे खिल उठे वहीं बच्चों ने बेहतर पढ़ाई करने का भरोसा दिलाया।


Body:मदद को आगे आई कांग्रेस _ ईटीवी भारत द्वारा बच्चों की भीख मांगने की खबर दिखाए जाने के बाद जिला कांग्रेस की टीम हरकत में आई और बच्चियों के लिए डिंडोरी से कॉपी पेन बस्ता लेकर उनके गांव लाखों पहुंची डिंडोरी जिले में पारदी समाज के लोग बहुत तादाद में रहते हैं जिनकी जिंदगी घुमक्कड़ होती है यही कारण है कि सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाएं उन तक आसानी से नहीं पहुंच पाती है । लाखो गांव के पारधी समाज के लोगो ने कांग्रेस जिलाध्यक्ष से अपनी कई समस्याओं को भी जाहिर किया जिसका समाधान का जिलाध्यक्ष ने भरोसा दिया।


यह था पूरा मामला _ डिंडौरी के धनुआसागर पंचायत के लाखों गाँव के रहने वाली नाबालिग बच्चिया रविवार के दिन भीख मांग कर अपनी पढ़ाई के लिए पेन कॉपी बसते की जुगत में रहती थी । बच्चों ने यह भी बताया था कि उनके टीचर बेहद खराब है जो बुरी आदतों से लिप्त हैं । यही नहीं इन बच्चियों के साथ रहने वाली महिला ने बताया कि इन बच्चियों को मिलने वाली स्कॉलरशिप की राशि भी इनके स्कूल के शिक्षक खा जाते हैं ।वही रविवार के दिन भीख मांग कर ये बच्चियां 50 रु से 100 रु जोड़ लेती है।जो पढ़ाई में लगने वाली जरूरतों को पूरा कर लेती थी।


Conclusion:लाखों गांवों की तरह जिले के कई ऐसे गांव हैं जहां पारधी समाज के लोग और उनके बच्चे भुखमरी और गरीबी के चलते जीवन यापन करने को मजबूर हैं । जिला प्रशासन को चाहिए कि उनके गांव में जाकर शिविर के माध्यम से उनकी समस्याओं को सुनकर समस्याओं का निराकरण करें।
Last Updated : Jul 3, 2019, 8:15 PM IST
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