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जल शक्ति अभियान कार्यशाला में जल संरक्षण के लिए प्रशासन ने मांगा किसानों से सहयोग

धार जिले में लगातार गिरते जलस्तर पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया. जिसमें कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को बारिश के पानी को संरक्षित करने के तरीके बताए, जबकि कम पानी में उन्नत किस्म की फसलों को तैयार करने की तकनीक के बारे में भी बताया.

धार में कृषि कार्यशाला का आयोजन
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Published : Jul 10, 2019, 1:28 PM IST

धार। लगातार गिरते जलस्तर पर प्रदेश का प्रशासन चिंतित नजर आ रहा है. बारिश के पानी को संरक्षित कर लगातार गिरते जलस्तर को कैसे रोका जाए, इस पर मंथन जारी है. शासन ने भूमिगत जलस्तर को बढ़ाने के लिए किसानों से सहयोग मांगा है. धार जिले के कृषि विज्ञान केंद्र पर जल शक्ति अभियान के तहत एक कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें कृषि वैज्ञानिकों के साथ विशेषज्ञों ने किसानों को बताया कि वह किस तरीके से अपने खेत-खलिहान में बारिश के पानी को संरक्षित कर सकते हैं.

धार में जलशक्ति कार्यशाला का आयोजन

कार्यशाला में कृषि वैज्ञानिकों के साथ विशेषज्ञों ने किसानों को बारिश का पानी संरक्षित करने के तरीके बताए. यदि भूमिगत जलस्तर बढ़ेगा तो खेती के लिए पानी उपलब्ध हो पाएगा, जोकि कृषि भूमि के लिए भी लाभकारी होगा, कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को बताया कि वह ऐसे बीजों का उपयोग करें, जो कम पानी में अच्छी पैदावार दे. साथ ही खेती में ड्रिप, स्प्रिंगर वाटर सिस्टम का भी उपयोग करें, जिससे फसलें कम पानी में तैयार हो सकें और पानी को संरक्षित किया जा सके.

इस विषय पर जल शक्ति अभियान के तहत कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में पहुंचे किसानों ने कृषि वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों की बात सुनकर जलस्तर बढ़ाने में सहयोग देने का वादा भी किया है.

धार। लगातार गिरते जलस्तर पर प्रदेश का प्रशासन चिंतित नजर आ रहा है. बारिश के पानी को संरक्षित कर लगातार गिरते जलस्तर को कैसे रोका जाए, इस पर मंथन जारी है. शासन ने भूमिगत जलस्तर को बढ़ाने के लिए किसानों से सहयोग मांगा है. धार जिले के कृषि विज्ञान केंद्र पर जल शक्ति अभियान के तहत एक कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें कृषि वैज्ञानिकों के साथ विशेषज्ञों ने किसानों को बताया कि वह किस तरीके से अपने खेत-खलिहान में बारिश के पानी को संरक्षित कर सकते हैं.

धार में जलशक्ति कार्यशाला का आयोजन

कार्यशाला में कृषि वैज्ञानिकों के साथ विशेषज्ञों ने किसानों को बारिश का पानी संरक्षित करने के तरीके बताए. यदि भूमिगत जलस्तर बढ़ेगा तो खेती के लिए पानी उपलब्ध हो पाएगा, जोकि कृषि भूमि के लिए भी लाभकारी होगा, कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को बताया कि वह ऐसे बीजों का उपयोग करें, जो कम पानी में अच्छी पैदावार दे. साथ ही खेती में ड्रिप, स्प्रिंगर वाटर सिस्टम का भी उपयोग करें, जिससे फसलें कम पानी में तैयार हो सकें और पानी को संरक्षित किया जा सके.

इस विषय पर जल शक्ति अभियान के तहत कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में पहुंचे किसानों ने कृषि वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों की बात सुनकर जलस्तर बढ़ाने में सहयोग देने का वादा भी किया है.

Intro:लगातार भूमिगत जल स्तर में गिरावट को लेकर शासन -प्रशासन चिंतित, प्रशासन ने अन्नदाता से भूमिगत जलस्तर को रिचार्ज करने में मांगा उनका सहयोग


Body:बारिश के पानी को संरक्षित कर लगातार गिर रहे भूमिगत जलस्तर को कैसे रोका जाए और भूमिगत जलस्तर में किस तरीके से बढ़ोतरी की जाए इस विषय को लेकर शासन-प्रशासन चिंतित है अब शासन ने भूमिगत जल स्तर को बढ़ाने के लिए अन्नदाता और से उनका सहयोग मांगा है इसी को लेकर धार जिले के कृषि विज्ञान केंद्र पर जल शक्ति अभियान के तहत एक कार्यशाला का आयोजन किया गया इस कार्यशाला में कृषि वैज्ञानिकों के साथ विशेषज्ञों ने किसानों को यह बताया कि वह किस तरीके से अपने खेत-खलियान में बारिश को पानी को संरक्षित कर भूमिगत जलस्तर को बढ़ाने में अपना सहयोग दे सकते हैं, यदि भूमिगत जलस्तर बढ़ेगा तो खेती के लिए पानी उपलब्ध हो पाएगा साथ ही वह कृषि भूमि के लिए भी लाभकारी होगा ,वहीं कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को यह भी बताया कि वह इसे बीजों का उपयोग करें जो कम पानी में अच्छी पैदावार दे ,इसके साथ ही साथ खेती में ड्रिप ,स्प्रिंगर वाटर सिस्टम का भी उपयोग करें जिससे फसलें कम पानी में तैयार हो सके और पानी को संरक्षित किया जा सके, इस विषय को लेकर जल शक्ति अभियान के तहत कार्यशाला का आयोजन हुआ, कार्यशाला में किसान बड़ी संख्या में पहुंचे किसानों ने कृषि वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों की बात सुनकर जल स्तर को बढ़ाने में सहयोग देने का वादा किया।


Conclusion:बाइट-01- सीताराम निगवाल-किसान
बाइट-02- के.एस किराडे- कृषि वैज्ञानिक धार
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