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बदनावर की जनता चुनाव में लेती है खुद निर्णय, राष्ट्रीय और प्रादेशिक मुद्दों का नहीं रहता कोई असर

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Published : Jun 23, 2020, 10:47 AM IST

Updated : Jun 23, 2020, 2:58 PM IST

बदनावर विधानसभा सीट पर हमेशा बदनावर की जनता ने अपने मन का विधायक चुना है, उस पर कभी भी राष्ट्रीय एवं प्रादेशिक मुद्दों का कोई असर नहीं हुआ है, जनता ने हमेशा अपने लाभ के अनुसार बदनावर से विधायक चुना है. इस बार देखना होगा जनता अपना विधायक किसे चुनती है.

badnawar vidhansabha seat
बदनावर विधानसभा सीट का च्रक

धार। मध्यप्रदेश में बदनावर विधानसभा सीट सहित 24 विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव होने हैं, जिनमें से 22 विधानसभा सीट ऐसी हैं जिन पर कांग्रेस के 22 विधायकों ने अपने विधायकी से इस्तीफा देकर कांग्रेस पार्टी का हाथ छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया है. यह सभी विधायक ज्योतिरादित्य सिंधिया के कट्टर समर्थक माने जाते हैं.

बदनावर विधानसभा सीट का च्रक

बदनावर विधानसभा सीट का इतिहास

मध्यप्रदेश के धार जिले में 7 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें से धार और बदनावर सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित विधानसभा सीट हैं, बाकी 5 विधानसभा सीटे अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटें हैं. बदनावर विधानसभा सीट से विधायक रहे राजवर्धन सिंह दत्तीगांव ने कांग्रेस पार्टी और अपनी विधायकी से इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हो गए, जिसके चलते बदनावर विधानसभा सीट के इतिहास में पहली बार उपचुनाव की स्थिति बनी है.

बदनावर विधानसभा सीट के लिए होने वाले उपचुनाव में बीजेपी से राजवर्धन सिंह दत्तीगांव का टिकट पक्का माना जा रहा है, हालांकि अभी इसकी घोषणा नहीं हुई है, वहीं कांग्रेस पार्टी से उपचुनाव के लिए टिकट के दावेदारों की लंबी लिस्ट है, कांग्रेस पार्टी सर्वे के आधार पर बदनावर उपचुनाव के लिए अपना उम्मीदवार तय करने में जुटी हुई है.

बदनावर सीट पर कब कौन रहा विधायक

बदनावर विधानसभा सीट(202) सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित है, बदनावर की जनता ने 14 बार विधानसभा चुनाव में अपने मताधिकार का उपयोग कर विधायक को चुना है.

⦁ 1957 के विधानसभा चुनाव में बदनावर से इंडियन नेशनल कांग्रेस के मोहन सिंह मेहता विधायक चुने गये

⦁ 1962 में जनसंघ के गोवर्धन सिंह बदनावर से विधायक चुने

⦁ 1967 में भारतीय जनसंघ के टिकट पर बदनावर विधानसभा सीट से गोवर्धन सिंह विधायक चुने गए

⦁ 1972 में इंडियन नेशनल कांग्रेस के चिरंजीलाल अलावा विधायक रहे

⦁ 1977 में जेएनपी(जनता पार्टी)के गोवर्धन शर्मा बदनावर से विधायक चुने गए

⦁ 1980 में इंडियन नेशनल कांग्रेस के रघुनाथ सिंह मेहता बदनावर से विधायक रहे

⦁ 1985 में भाजपा के रमेश चंद्र सिंह( गट्टू बना) विधायक चुने गए

⦁ 1990 में कांग्रेस के प्रेमसिंह दत्तिगांव बदनावर से विधायक बने

⦁ 1993 में भाजपा के रमेश चंद्र सिंह (गट्टू बना) विधायक चुने गए

⦁ 1998 में भाजपा के खेमराज पाटीदार बदनावर से विधायक चुने गए

⦁ 2003 और 2008 में कांग्रेस के युवा राजवर्धन सिंह दत्तीगांव बदनावर से विधायक चुने गए

⦁ 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर भंवर सिंह शेखावत बदनावर से विधायक चुने गए

⦁ 2018 के विधानसभा चुनाव में राजवर्धन सिंह दत्तीगांव ने बदनावर से जीत दर्ज कराई और विधायक चुने गए.

मध्यप्रदेश में 15 सालों वाली शिवराज सरकार धराशाई हुई और प्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार बनीं, वहीं मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलने से नाराज चल रहे राजवर्धन सिंह दत्तीगांव ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के सम्मान में कांग्रेस पार्टी और अपनी विधायकी से इस्तीफा दे दिया और वह बीजेपी में शामिल हो गए, जिसके चलते बदनावर विधानसभा सीट पर पहली बार उपचुनाव की स्थिति बनी है. 1957 से लेकर 2018 तक 14 बार विधानसभा चुनाव हुए हैं. जिनमें से बदनावर विधानसभा सीट पर 7 बार कांग्रेस पार्टी के विधायक चुने गए हैं, वहीं 1 बार जनसंघ,1 बार भारतीय जनसंघ, 1 बार जनता पार्टी, 4 बार भारतीय जनता पार्टी के विधायक चुने गए हैं.

राष्ट्रीय एवं प्रादेशिक मुद्ददों का नहीं रहा प्रभाव

राजनीतिक विशेषज्ञ एवं धार के वरिष्ठ पत्रकार पंडित छोटू शास्त्री का मानना है कि बदनावर विधानसभा सीट पर हमेशा बदनावर की जनता ने अपने मन का विधायक चुना है, उस पर कभी भी राष्ट्रीय एवं प्रादेशिक मुद्दों का कोई असर नहीं हुआ है, जनता ने हमेशा अपने लाभ के अनुसार बदनावर से विधायक चुना, बदनावर में आने वाले दिनों में उपचुनाव होने हैं, बदनावर की जनता किसे अपना आशीर्वाद देकर बदनावर विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव का सेहरा बंधती है, यह देखने वाली बात होगी, फिलाल बदनावर विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव को लेकर घमासान मचा हुआ है.

धार। मध्यप्रदेश में बदनावर विधानसभा सीट सहित 24 विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव होने हैं, जिनमें से 22 विधानसभा सीट ऐसी हैं जिन पर कांग्रेस के 22 विधायकों ने अपने विधायकी से इस्तीफा देकर कांग्रेस पार्टी का हाथ छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया है. यह सभी विधायक ज्योतिरादित्य सिंधिया के कट्टर समर्थक माने जाते हैं.

बदनावर विधानसभा सीट का च्रक

बदनावर विधानसभा सीट का इतिहास

मध्यप्रदेश के धार जिले में 7 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें से धार और बदनावर सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित विधानसभा सीट हैं, बाकी 5 विधानसभा सीटे अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटें हैं. बदनावर विधानसभा सीट से विधायक रहे राजवर्धन सिंह दत्तीगांव ने कांग्रेस पार्टी और अपनी विधायकी से इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हो गए, जिसके चलते बदनावर विधानसभा सीट के इतिहास में पहली बार उपचुनाव की स्थिति बनी है.

बदनावर विधानसभा सीट के लिए होने वाले उपचुनाव में बीजेपी से राजवर्धन सिंह दत्तीगांव का टिकट पक्का माना जा रहा है, हालांकि अभी इसकी घोषणा नहीं हुई है, वहीं कांग्रेस पार्टी से उपचुनाव के लिए टिकट के दावेदारों की लंबी लिस्ट है, कांग्रेस पार्टी सर्वे के आधार पर बदनावर उपचुनाव के लिए अपना उम्मीदवार तय करने में जुटी हुई है.

बदनावर सीट पर कब कौन रहा विधायक

बदनावर विधानसभा सीट(202) सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित है, बदनावर की जनता ने 14 बार विधानसभा चुनाव में अपने मताधिकार का उपयोग कर विधायक को चुना है.

⦁ 1957 के विधानसभा चुनाव में बदनावर से इंडियन नेशनल कांग्रेस के मोहन सिंह मेहता विधायक चुने गये

⦁ 1962 में जनसंघ के गोवर्धन सिंह बदनावर से विधायक चुने

⦁ 1967 में भारतीय जनसंघ के टिकट पर बदनावर विधानसभा सीट से गोवर्धन सिंह विधायक चुने गए

⦁ 1972 में इंडियन नेशनल कांग्रेस के चिरंजीलाल अलावा विधायक रहे

⦁ 1977 में जेएनपी(जनता पार्टी)के गोवर्धन शर्मा बदनावर से विधायक चुने गए

⦁ 1980 में इंडियन नेशनल कांग्रेस के रघुनाथ सिंह मेहता बदनावर से विधायक रहे

⦁ 1985 में भाजपा के रमेश चंद्र सिंह( गट्टू बना) विधायक चुने गए

⦁ 1990 में कांग्रेस के प्रेमसिंह दत्तिगांव बदनावर से विधायक बने

⦁ 1993 में भाजपा के रमेश चंद्र सिंह (गट्टू बना) विधायक चुने गए

⦁ 1998 में भाजपा के खेमराज पाटीदार बदनावर से विधायक चुने गए

⦁ 2003 और 2008 में कांग्रेस के युवा राजवर्धन सिंह दत्तीगांव बदनावर से विधायक चुने गए

⦁ 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर भंवर सिंह शेखावत बदनावर से विधायक चुने गए

⦁ 2018 के विधानसभा चुनाव में राजवर्धन सिंह दत्तीगांव ने बदनावर से जीत दर्ज कराई और विधायक चुने गए.

मध्यप्रदेश में 15 सालों वाली शिवराज सरकार धराशाई हुई और प्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार बनीं, वहीं मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलने से नाराज चल रहे राजवर्धन सिंह दत्तीगांव ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के सम्मान में कांग्रेस पार्टी और अपनी विधायकी से इस्तीफा दे दिया और वह बीजेपी में शामिल हो गए, जिसके चलते बदनावर विधानसभा सीट पर पहली बार उपचुनाव की स्थिति बनी है. 1957 से लेकर 2018 तक 14 बार विधानसभा चुनाव हुए हैं. जिनमें से बदनावर विधानसभा सीट पर 7 बार कांग्रेस पार्टी के विधायक चुने गए हैं, वहीं 1 बार जनसंघ,1 बार भारतीय जनसंघ, 1 बार जनता पार्टी, 4 बार भारतीय जनता पार्टी के विधायक चुने गए हैं.

राष्ट्रीय एवं प्रादेशिक मुद्ददों का नहीं रहा प्रभाव

राजनीतिक विशेषज्ञ एवं धार के वरिष्ठ पत्रकार पंडित छोटू शास्त्री का मानना है कि बदनावर विधानसभा सीट पर हमेशा बदनावर की जनता ने अपने मन का विधायक चुना है, उस पर कभी भी राष्ट्रीय एवं प्रादेशिक मुद्दों का कोई असर नहीं हुआ है, जनता ने हमेशा अपने लाभ के अनुसार बदनावर से विधायक चुना, बदनावर में आने वाले दिनों में उपचुनाव होने हैं, बदनावर की जनता किसे अपना आशीर्वाद देकर बदनावर विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव का सेहरा बंधती है, यह देखने वाली बात होगी, फिलाल बदनावर विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव को लेकर घमासान मचा हुआ है.

Last Updated : Jun 23, 2020, 2:58 PM IST
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