धार। जिले के बदनावर तहसील में मोगिया समाज के करीब 11 हजार लोग रहते हैं. लेकिन इनका आरोप है कि प्रशासन इन्हें जो जाति प्रमाण पत्र दे रहा है. वह 'मोगिया की जगह मोघिया' लिखकर दिया जा रहा हैं. जिससे वे एसटी से सीधे एससी वर्ग में आ जाते हैं.
मध्यप्रदेश में निवास करने वाली मोघिया जाति अनुसूचित जाति वर्ग के तहत आती है. जबकि मोगिया जाती अनूसूचित जनजाति वर्ग के तहत आती है. लेकिन एक शब्द के चक्कर में 11 हजार लोग प्रशासन के चक्कर कांटने को मजबूर है. धार जिले के 29 गांव के 11 हजार लोगों का कहना है कि मोघिया लिखे जाने से उन्हें सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पाता है. जबकि उनके ही रिश्तेदार जो उज्जैन, रतलाम जिलों में रहते हैं उन्हें वहां का जिला प्रशासन मोगिया जाती का प्रमाण पत्र आसानी से दे देता है. लेकिन धार में उनको एससी का जाति प्रमाण पत्र दिया जाता है.
जाती प्रमाण पत्र में हो रही गड़बड़ी को ठीक करने के लिए ये लोग पिछले कई सालों से आंदोलन भी कर रहे है. कभी भूख हड़ताल, तो कभी धरना प्रदर्शन और न जाने कितने प्रयास, लेकिन हर बार नतीजा ढाक के तीन पात. क्योंकि न तो प्रशासन गलती सुधार रहा है और न ही इस समस्या का कोई हल निकाल पा रहा है. मामले में बदनावर एसडीएम नेहा साहू का कहना है 'ये लोग मोगिया समाज में नहीं आते हैं इसलिए इनको अनुसूचित जनजाति का जाति प्रमाण पत्र नहीं दिया जा सकता. प्रशासन से हमे जो गाइडलाइन मिली है, हम उसी का पालन करते हैं'.
अब इसे प्रशासन की लापरवाही कहे या इन लोगों की बदकिस्मती. क्योंकि एक अक्षर को गलत लिखे जाने से इन्हें हर दिन परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. अधिकारी अपनी गलती सुधारने की बजाए इस मामले को नियम और कानून के दायरे में फंसा कर उलझाने में लगे हैं.