ETV Bharat / state

'ग' को लिख दिया 'घ' तो 29 गांवों के 11 हजार लोग 'एसटी से एससी' हो गए - Moghia society

एक अक्षर ने किया बवाल, 'ग' से 'घ' हुआ तो मचा बवाल, 29 गांवों के 11 हजार लोग 'एसटी से हो गए एससी. जी हां यह बात सुनने में थोड़ी अजीब लग सकती है. लेकिन तस्वीरों में अपनी जाति का प्रमाण दिखा रहे यह लोग धार जिले के बदनावर तहसील के हैं. जो प्रशासन के फेर में कुछ इस तरह फंसे हुए हैं, कि उन्हें अपनी पहचान के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है.

मोगिया समाज के लोग
author img

By

Published : Jul 30, 2019, 8:36 PM IST

धार। जिले के बदनावर तहसील में मोगिया समाज के करीब 11 हजार लोग रहते हैं. लेकिन इनका आरोप है कि प्रशासन इन्हें जो जाति प्रमाण पत्र दे रहा है. वह 'मोगिया की जगह मोघिया' लिखकर दिया जा रहा हैं. जिससे वे एसटी से सीधे एससी वर्ग में आ जाते हैं.

मोगिया समाज के 11 हजार लोग कर रहे जाति प्रमाणपत्र के लिए संघर्ष

मध्यप्रदेश में निवास करने वाली मोघिया जाति अनुसूचित जाति वर्ग के तहत आती है. जबकि मोगिया जाती अनूसूचित जनजाति वर्ग के तहत आती है. लेकिन एक शब्द के चक्कर में 11 हजार लोग प्रशासन के चक्कर कांटने को मजबूर है. धार जिले के 29 गांव के 11 हजार लोगों का कहना है कि मोघिया लिखे जाने से उन्हें सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पाता है. जबकि उनके ही रिश्तेदार जो उज्जैन, रतलाम जिलों में रहते हैं उन्हें वहां का जिला प्रशासन मोगिया जाती का प्रमाण पत्र आसानी से दे देता है. लेकिन धार में उनको एससी का जाति प्रमाण पत्र दिया जाता है.

जाती प्रमाण पत्र में हो रही गड़बड़ी को ठीक करने के लिए ये लोग पिछले कई सालों से आंदोलन भी कर रहे है. कभी भूख हड़ताल, तो कभी धरना प्रदर्शन और न जाने कितने प्रयास, लेकिन हर बार नतीजा ढाक के तीन पात. क्योंकि न तो प्रशासन गलती सुधार रहा है और न ही इस समस्या का कोई हल निकाल पा रहा है. मामले में बदनावर एसडीएम नेहा साहू का कहना है 'ये लोग मोगिया समाज में नहीं आते हैं इसलिए इनको अनुसूचित जनजाति का जाति प्रमाण पत्र नहीं दिया जा सकता. प्रशासन से हमे जो गाइडलाइन मिली है, हम उसी का पालन करते हैं'.

अब इसे प्रशासन की लापरवाही कहे या इन लोगों की बदकिस्मती. क्योंकि एक अक्षर को गलत लिखे जाने से इन्हें हर दिन परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. अधिकारी अपनी गलती सुधारने की बजाए इस मामले को नियम और कानून के दायरे में फंसा कर उलझाने में लगे हैं.

धार। जिले के बदनावर तहसील में मोगिया समाज के करीब 11 हजार लोग रहते हैं. लेकिन इनका आरोप है कि प्रशासन इन्हें जो जाति प्रमाण पत्र दे रहा है. वह 'मोगिया की जगह मोघिया' लिखकर दिया जा रहा हैं. जिससे वे एसटी से सीधे एससी वर्ग में आ जाते हैं.

मोगिया समाज के 11 हजार लोग कर रहे जाति प्रमाणपत्र के लिए संघर्ष

मध्यप्रदेश में निवास करने वाली मोघिया जाति अनुसूचित जाति वर्ग के तहत आती है. जबकि मोगिया जाती अनूसूचित जनजाति वर्ग के तहत आती है. लेकिन एक शब्द के चक्कर में 11 हजार लोग प्रशासन के चक्कर कांटने को मजबूर है. धार जिले के 29 गांव के 11 हजार लोगों का कहना है कि मोघिया लिखे जाने से उन्हें सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पाता है. जबकि उनके ही रिश्तेदार जो उज्जैन, रतलाम जिलों में रहते हैं उन्हें वहां का जिला प्रशासन मोगिया जाती का प्रमाण पत्र आसानी से दे देता है. लेकिन धार में उनको एससी का जाति प्रमाण पत्र दिया जाता है.

जाती प्रमाण पत्र में हो रही गड़बड़ी को ठीक करने के लिए ये लोग पिछले कई सालों से आंदोलन भी कर रहे है. कभी भूख हड़ताल, तो कभी धरना प्रदर्शन और न जाने कितने प्रयास, लेकिन हर बार नतीजा ढाक के तीन पात. क्योंकि न तो प्रशासन गलती सुधार रहा है और न ही इस समस्या का कोई हल निकाल पा रहा है. मामले में बदनावर एसडीएम नेहा साहू का कहना है 'ये लोग मोगिया समाज में नहीं आते हैं इसलिए इनको अनुसूचित जनजाति का जाति प्रमाण पत्र नहीं दिया जा सकता. प्रशासन से हमे जो गाइडलाइन मिली है, हम उसी का पालन करते हैं'.

अब इसे प्रशासन की लापरवाही कहे या इन लोगों की बदकिस्मती. क्योंकि एक अक्षर को गलत लिखे जाने से इन्हें हर दिन परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. अधिकारी अपनी गलती सुधारने की बजाए इस मामले को नियम और कानून के दायरे में फंसा कर उलझाने में लगे हैं.

Intro:'ग' को लिख दिया 'घ' तो 29 गांवों के 11 हजार लोग एसटी से एससी के हो गए। असली प्रमाण पत्र के लिए ऑफिसों के चक्कर लगा रहे समाजजन।
Body:'ग' को लिख दिया 'घ' तो 29 गांवों के 11 हजार लोग एसटी से एससी के हो गए


प्रमाण पत्रों में जाति बदलने से नहीं मिल रहा सरकारी योजनाओं का लाभ

मनोज सोलंकी 9826476944

बदनावर (धार)। मध्यप्रदेश के धार जिले के बदनावर में महज एक अक्षर के फेर में 29 गांव के 11 हजार लोग अनुसूचित जनजाति (एसटी) से अनुसूचित जाति (एससी) के हो गए। दरअसल, बदनावर तहसील में मोगिया समाज के लोग रहते हैं। यहां प्रशासन लोगों को मोगिया की जगह मोघिया लिखकर जाति प्रमाण पत्र दे रहा है, जिससे स्कूली बच्चे और उनके परिजन सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं ले पा रहे हैं।

गांव के लोगों के मुताबिक, देश की आजादी से ही हमारे भू-राजस्व रिकॉर्ड में जो जाति लिखी है। उसके अनुसार जाति प्रमाण पत्र नहीं दिए जा रहे। हमारी जाति बदली जा रही है।


समाज के सोहन सिंह, रतनसिंह सहित अन्य लोगों ने कहा कि ‘ग’ और ‘घ’ के फेर में मोगिया आदिवासी समाज के संवैधानिक अधिकारों का हनन हो रहा है। प्रशासन द्वारा मोगिया की जगह मोघिया लिखकर जाति प्रमाण पत्र दिए जा रहे हैं। जिससे हमें जो लाभ मिलना चाहिए वो नहीं मिल पा रहा है। समाज के प्रत्येक वर्ग का व्यक्ति शिक्षित, अशिक्षित, छात्रा-छात्राएं, महिला एवं पुरुष सभी के अधिकारों का हनन हो रहा है। मोगिया समाज आदिवासी वर्ग अनुसूचित जनजाति में आता है। जाति प्रमाण पत्र में मोघिया लिखने से हम अनुसूचित जाति के हो जाते हैं। मोगिया समाज द्वारा जब अपनी कृषि भूमि गैर आदिवासी वर्ग को विक्रय की जाती है तो धारा 165 के तहत कलेक्टर से अनुमति लेना पड़ती है। उसके बाद ही मोगिया समाज अपनी कृषि भूमि का विक्रय कर सकता है। यह प्रावधान शासन द्वारा केवल अनुसूचित जनजाति वर्ग को ही दिया गया है।


भू-राजस्व रिकॉर्ड में नहीं है मोघिया जाति का उल्लेख

समाजजन ने बताया कि देश की आजादी से ही हमारे भू-राजस्व रिकॉर्ड में जो जाति लिखी है। उसके अनुसार जाति प्रमाण पत्र नहीं दिए जा रहे। हमारी जाति बदली जा रही है।

पिता अनुसूचित जनजाति के तो पुत्र-पुत्रियां क्यों नहीं

समाजजन ने बताया मोगिया समाज के अंतर्गत 22000 जनसंख्या है एवं 5000 शिक्षित वर्ग भी है। पूर्व में तहसील में निवासरत समाज के अनुसूचित जनजाति आदिवासी वर्ग के जाति प्रमाण पत्र जारी किए थे। अनेक समाजजन विभिन्न शासकीय विभागों में इसी प्रमाण पत्र से शासकीय कार्यालय में कार्यरत हैं। लेकिन वर्तमान में उनके पुत्र-पुत्रियों को वास्तविक जाति के प्रमाण पत्र जारी नहीं किए जा रहे हैं। बदनावर तहसील में 29 गांव के 11 हजार लोग मोगिया समाज के हैं जिन्हें प्रमाण-पत्र नहीं मिलने से लाभ नहीं मिल रहा है।

रतलाम, उज्जैन एवं बड़नगर में दे रहे वास्तविक प्रमाण पत्र

प्रशासन विभाग मंत्रालय भोपाल द्वारा समय-समय पर जाति प्रमाण देने देने के संबंध में आदेश दिए लेकिन पालन नहीं किया जा रहा। जबकि मोगिया समाज जो रतलाम, उज्जैन एवं बड़नगर में निवासरत हैं। उन्हें वहां से राजस्व रिकॉर्ड के अनुसार वास्तविक जाति के प्रमाण पत्र जारी किए जा रहे हैं। धार जिले के बदनावर तहसील में ही ऐसा नहीं हो रहा है।

कई बार आंदोलन कर चुके समाजजन

जाती प्रमाण पत्रों में गड़बड़ी को लेकर समाजजन वर्षो से सुधार की मांग करते आ रहे है। कभी भूख हड़ताल, तो कभी धरना प्रदर्शन तो कभी ज्ञापन देकर प्रशासन से सही जाती प्रमाण पत्र देने की मांग कर चुके है। किंतु कोई हल नही निकल रहा।


गजट नोटिफिकेशन के आधार पर नियमानुसार ही प्रमाण पत्र हम दे रहे


उधर बदनावर एसडीएम नेहा साहू का कहना है कि ये लोग मोगिया समाज में नहीं आते हैं इसलिए इनको अनुसूचित जनजाति का जाति प्रमाण पत्र नहीं दिया जा सकता। यहाँ शुरू से ही अनुसूचित जाति के तहत प्रमाण पत्र दिए जा रहे है। ईसलिए जाती हम नही बदल सकते। सरकार के गजट नोटिफिकेशन के आधार पर ही हम प्रमाण पत्र नियमानुसार ही जारी कर रहे है। हमने शासन को भी पत्र लिखा है। वहाँ से जो भी आदेश आएंगे। हम उनका पालन करेंगे।

बाइट-
01-शिवनारायण मोगिया।
02-नेहा मोगिया।
03-सोहनसिंह मोगिया।
04-रतनसिंह मोगिया।
05-नेहा साहू एसडीएम बदनावर। Conclusion:मोगिया समाज के लोग कलेक्टर की जनसुनवाई में भी जाकर अपनी समस्या बता चुके। किन्तु अभी कोई हल नही निकला है। जिससे समाजजनों के साथ ही पढ़ाई करने वाले बच्चे परेशान है।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.