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धार: महावीर जयंती के मौके पर जैन मंदिरों में उमड़ी भक्तों की भीड़, जगह-जगह निकाली गई शोभा यात्रा

जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर भगवान महावीर के जन्मदिवस के रूप महावीर जयंती चैत्र शुक्ल त्रयोदशी को मनाया जाता है. जहां जैन समाज के लोग जैन मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना करते और अहिंसा के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए शोभायात्रा निकालते हैं.

महावीर जयंती पर निकली शोभायात्रा
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Published : Apr 17, 2019, 11:27 PM IST

धार। महावीर जयंती चैत्र शुक्ल त्रयोदशी को मनाया जाता है. इस पर्व को जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर भगवान महावीर के जन्मदिवस के रूप में मनाते है. यह जैन समाज का सबसे प्रमुख पर्व होता है. जहां जैन समाज के लोग जैन मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना करते हैं. साथ ही अहिंसा के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए रैली भी निकाली जाती है. इसी क्रम में प्रदेश के कई जिलों में महावीर जंयती मनाई गई. इस दौरान जैन समाज के लोगों द्वारा विशाल शोभा यात्रा निकाली गई.

धार जिले में स्थित विश्व प्रसिद्ध पर्यटन नगरी के समीप कागदीपुरा एक देवस्थल है जहां पर 'दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र छोटे महावीर जी' का मंदिर है. माना जाता है कि जिनके दर्शन मात्र से ही मानव के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और मन को शांति मिलती है. वहीं इस महावीर जयंती के अवसर पर बड़ी संख्या में पूरे देशभर से लोग यहां आते हैं.

महावीर जयंती पर निकली शोभायात्रा

'दिगंबर जैन अतिशय छोटे महावीर जी' कागदीपुरा की विशेषता
27 अक्टूबर 2007 को गांव कागदीपुरा के आदिवासी समाज के दो बच्चे विक्रम और सुनील गांव के पास मिट्टी के टीले पर खेल रहे थे. जहां खेलते-खेलते उन दोनों बच्चों को मिट्टी के टीले की खुदाई के दौरान उन्हें कुछ मूर्तियां दिखाई दी. जिसकी जानकारी उन बच्चों पूरे ग्रामीणों को दी. वहीं यह खबर जैन समाज तक पहुंचते ही उसी स्थान पर खुदाई की जहां साढ़े चार फीट लंबी भगवान महावीर जी की पद्मासन स्वरूप में मूर्ति दिखाई दी. इस मूर्ति के कंधे पर महावीर स्वामी की दो मूर्तियां और गोद में एक अन्य मूर्ति दिखाई दी. जब इन मूर्तियों को बाहर निकालने की कोशिश की गई तो मूर्तियां अपने स्थान से नहीं हटी, तभी जैन समाज के लोगों ने नमोकार मंत्र का जाप कर जिस स्थान पर से मूर्तियां निकली थी उसी स्थान पर भगवान महावीर का मंदिर स्थापित कराया. जो आज 'दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र छोटे महावीर जी' के नाम से प्रसिद्ध है.

मंदिर परिसर में स्थित त्रिवेणी वृक्ष पर बांधते हैं मन्नत के नारियल
कागदीपुरा स्थित छोटे महावीर जी के मंदिर परिसर में नीम-पीपल और बरगद तीनों त्रिवेणी वृक्ष के रूप में विद्यमान हैं. ऐसी मान्यता है कि छोटे महावीर जी के दर्शन कर जो भी भक्त उनसे मन्नत मांगते हैं वह मन्नत मांगने के दौरान उस वृक्ष पर धागे कि सहायता से नारियल बांध देते हैं. जब मन्नत मांगने वालों की मन्नत पूरी हो जाती है तो वे अपने परिवार के लोगों के साथ आकर छोटे महावीर जी के दर्शन करते हैं.

इसी तरह टीकमगढ़ जिले में भी लोगों ने जिनालयों में भगवान महावीर की पूजा अर्चना की. उसके बाद दोपहर में एक विशाल शोभा यात्रा निकाली गई जिसमें महिलायें पीले रंग के वस्त्र में नजर आईं. वहीं जैन समाज को लोगों ने भगवान महावीर को विशेष अभिषेक किय और गाजे बाजे के साथ नृत्य कर यात्रा का समापन किया. इसके साथ ही विदिशा जिले में भी महावीर जयंती जैन समाज द्वारा धूमधाम से मनाई गई. कई कार्यक्रम आयोजित किये गए. यहां भी बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल हुई. यह चल समारोह नगर के मुख्य मार्गों से होते हुए माधबगंज चौक पर पहुंचा.

धार। महावीर जयंती चैत्र शुक्ल त्रयोदशी को मनाया जाता है. इस पर्व को जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर भगवान महावीर के जन्मदिवस के रूप में मनाते है. यह जैन समाज का सबसे प्रमुख पर्व होता है. जहां जैन समाज के लोग जैन मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना करते हैं. साथ ही अहिंसा के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए रैली भी निकाली जाती है. इसी क्रम में प्रदेश के कई जिलों में महावीर जंयती मनाई गई. इस दौरान जैन समाज के लोगों द्वारा विशाल शोभा यात्रा निकाली गई.

धार जिले में स्थित विश्व प्रसिद्ध पर्यटन नगरी के समीप कागदीपुरा एक देवस्थल है जहां पर 'दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र छोटे महावीर जी' का मंदिर है. माना जाता है कि जिनके दर्शन मात्र से ही मानव के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और मन को शांति मिलती है. वहीं इस महावीर जयंती के अवसर पर बड़ी संख्या में पूरे देशभर से लोग यहां आते हैं.

महावीर जयंती पर निकली शोभायात्रा

'दिगंबर जैन अतिशय छोटे महावीर जी' कागदीपुरा की विशेषता
27 अक्टूबर 2007 को गांव कागदीपुरा के आदिवासी समाज के दो बच्चे विक्रम और सुनील गांव के पास मिट्टी के टीले पर खेल रहे थे. जहां खेलते-खेलते उन दोनों बच्चों को मिट्टी के टीले की खुदाई के दौरान उन्हें कुछ मूर्तियां दिखाई दी. जिसकी जानकारी उन बच्चों पूरे ग्रामीणों को दी. वहीं यह खबर जैन समाज तक पहुंचते ही उसी स्थान पर खुदाई की जहां साढ़े चार फीट लंबी भगवान महावीर जी की पद्मासन स्वरूप में मूर्ति दिखाई दी. इस मूर्ति के कंधे पर महावीर स्वामी की दो मूर्तियां और गोद में एक अन्य मूर्ति दिखाई दी. जब इन मूर्तियों को बाहर निकालने की कोशिश की गई तो मूर्तियां अपने स्थान से नहीं हटी, तभी जैन समाज के लोगों ने नमोकार मंत्र का जाप कर जिस स्थान पर से मूर्तियां निकली थी उसी स्थान पर भगवान महावीर का मंदिर स्थापित कराया. जो आज 'दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र छोटे महावीर जी' के नाम से प्रसिद्ध है.

मंदिर परिसर में स्थित त्रिवेणी वृक्ष पर बांधते हैं मन्नत के नारियल
कागदीपुरा स्थित छोटे महावीर जी के मंदिर परिसर में नीम-पीपल और बरगद तीनों त्रिवेणी वृक्ष के रूप में विद्यमान हैं. ऐसी मान्यता है कि छोटे महावीर जी के दर्शन कर जो भी भक्त उनसे मन्नत मांगते हैं वह मन्नत मांगने के दौरान उस वृक्ष पर धागे कि सहायता से नारियल बांध देते हैं. जब मन्नत मांगने वालों की मन्नत पूरी हो जाती है तो वे अपने परिवार के लोगों के साथ आकर छोटे महावीर जी के दर्शन करते हैं.

इसी तरह टीकमगढ़ जिले में भी लोगों ने जिनालयों में भगवान महावीर की पूजा अर्चना की. उसके बाद दोपहर में एक विशाल शोभा यात्रा निकाली गई जिसमें महिलायें पीले रंग के वस्त्र में नजर आईं. वहीं जैन समाज को लोगों ने भगवान महावीर को विशेष अभिषेक किय और गाजे बाजे के साथ नृत्य कर यात्रा का समापन किया. इसके साथ ही विदिशा जिले में भी महावीर जयंती जैन समाज द्वारा धूमधाम से मनाई गई. कई कार्यक्रम आयोजित किये गए. यहां भी बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल हुई. यह चल समारोह नगर के मुख्य मार्गों से होते हुए माधबगंज चौक पर पहुंचा.

Intro:महावीर जयंती चेत्र शुक्ल 13 को मनाया जाता है यह पर्व जैन धर्म के 24 वे तीर्थंकर स्वामी के जन्म में कल्याण के उपलक्ष में मनाया जाता है यह जैन समाज का सबसे प्रमुख पर्व होता है इस पर्व पर जैन समाज के लोग जैन मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना करते हैं मंदिरों की साज-सज्जा की जाती है और अहिंसा के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए रैली भी निकाली जाती है अतः जैन समाज के सबसे बड़े पर्व महावीर जयंती के मौके पर ईटीवी भारत अपने दर्शकों को मध्यप्रदेश के धार जिले में स्थित छोटे महावीर जी के दर्शन कराएगा आपको बता दें कि धार जिले में स्थित विश्व प्रसिद्ध पर्यटन नगरी के समीप कागदीपुरा एक देवस्थल है जहां पर दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र छोटे महावीर जी का मंदिर है जिस के दर्शन मात्र से ही मानव के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और मन को शांति मिलती है यहां पर बड़ी संख्या में पूरे भारतवर्ष से लोग आते हैं

दिगंबर जैन अतिशय छोटे महावीरजी कागदीपुरा की विशेषता

27 अक्टूबर 2007 को ग्राम कागदीपुरा के आदिवासी समाज के दो बच्चे विक्रम और सुनील गाँव के पास मिट्टी के टीले पर खेल रहे थे खेलते खेलते हैं उन दोनों बच्चों ने मिट्टी के टीले मैं खुदाई करी तो उन्हें कुछ मूर्तियां दिखाई दी ,तब उन दोनों बच्चों ने इसकी जानकारी ग्रामीणों को दी ग्रामीणों से सूचना जैन समाज के लोगों तक पहुंची है वहीं जब ग्रामीणों और जैन समाज के लोगों ने बच्चों द्वारा बताए गए स्थान पर खुदाई करी तो मौके पर से साढ़े चार फीट लंबी भगवान महावीर जी की पद्मासन स्वरूप में मूर्ति दिखाई दी इस मूर्ति के कंधे पर महावीर स्वामी की दो मूर्तियां और गोद में एक अन्य मूर्ति दिखाई दीं, जब इन मूर्तियों को बाहर निकालने की कोशिश की गई तो मूर्तियां अपने स्थान से नहीं हटी,तबी समाज के लोगों ने णमोकार मंत्र का जाप कर जिस स्थान पर से मूर्तियां निकली थी उसी स्थान पर भगवान महावीर का मंदिर बनाने का संकल्प लिया तभी मूर्तियां खुदाई के स्थान से बाहर निकली, जिसके बाद जैन समाज के लोगों ने उक्त स्थान पर भगवान महावीर जी के मंदिर निर्माण का कार्य शुरू करवाया और आज उस स्थान पर छोटे महावीर जी भगवान का मंदिर स्थापित है जो अपनी प्रसिद्धि के चलते जैन समाज के लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है ऐसा बताया जाता है छोटे महावीर जी के दर्शन मात्र से ही भक्तों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं उनकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है।

बाइट-01- विनय छाबड़ा -तीर्थ प्रमुख कागदीपुरा

मंदिर परिसर में स्थित त्रिवेणी वृक्ष पर मन्नत धारी बांधते हैं नारियल पूरी होने पर छोटे महावीर के दर्शन के लिए आते हैं लोग

कागदीपुरा स्थित छोटे महावीर जी के मंदिर परिसर में नीम-पीपल और बरगद तीनों त्रिवेणी वृक्ष के रूप में विद्यमान हैं ऐसी मान्यता है कि छोटे महावीर जी के दर्शन कर जो भी भक्त उनसे मन्नत मांगते हैं वह मन्नत मांगने के दौरान उस वृक्ष पर नाड़े कि सहायता से नारियल बांध देते हैं और जब मन्नत मांगने वालों की मन्नत पूरी हो जाती है तो वह अपने साथ अपने परिवार के लोगों को लेकर छोटे महावीर जी के दर्शन के लिए मंदिर आते हैं इसी के चलते मंदिर परिसर में स्थित त्रिवेणी वृक्ष पर बड़ी संख्या में नारियल बंधे हुए देखे जा सकते हैं।

भगवान महावीर जी के दर्शन से ही होते हैं कष्ट दूर
महावीर जयंती के मौके पर यहां पर बड़ी संख्या में लोग आते हैं वहीं इंदौर से आई शेफाली कासलीवाल ने बताया कि कागदीपुरा स्थित छोटे महावीर जी के दर्शन मात्र से ही मन को शांति मिलती है बड़ा ही आनंद आता है महावीर जयंती के मौके पर इसीलिए मैं यहां पर सपरिवार आई हूं भगवान महावीर जी यहां आने वाले सभी भक्तों की मुराद पुरी करते हैं जिसके चलते यहां पर बड़ी संख्या में लोग आते हैं।

बाइट-01- विनय छाबड़ा -तीर्थ प्रमुख कागदीपुरा

बाइट-02- शेफाली गंगवाल- भक्त छोटे महावीर जी कागदीपुरा


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