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ESIC अस्पताल में 6 माह से नहीं मिल रही दवाइयां, मरीज हो रहे परेशान

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Published : Sep 25, 2020, 1:59 PM IST

पीथमपुर में ESIC अस्पताल एकमात्र है, जहां पिछले 6 माह से दवाइयों की कमी देखी जा रही है, जिससे ESIC अस्पताल में इलाज कराने वाले मरीजों और उनके परिवारों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

ESIC Hospital
ESIC अस्पताल

धार। पीथमपुर में ESIC अस्पताल एकमात्र है जो कि जय नगर रोड पर स्थित है, यहां करीब 5 डॉक्टर तैनात हैं. पिछले साल 2019 में पीथमपुर के आरआर मेडिकल को ब्रांडेड दवाइयों और जीवन केमिस्ट को जेनेरिक दवाइयों का टेंडर जारी हुआ था, जो दवाइयों की पूर्ति नहीं कर पा रहा है. वहीं ESIC (Employees State Insurance Corporation) अस्पताल में भारी लापरवाही देखने को मिली है. जिसके कारण औद्योगिक क्षेत्र के श्रमिकों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

दवाइयों की शॉर्टेज

ESIC अस्पताल पीथमपुर के मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर महेश कोठारी ने बताया कि करीब 6 माह से दवाइयों की उपलब्धता नहीं हो पा रही है, जिसके लिए उन्होंने उच्च अधिकारियों को अवगत कराया है, इसके बाद भी अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि 6 माह में करीब सात पत्र इंदौर डिप्टी डायरेक्टर और डायरेक्टर को भेजा गया है, कि यहां दवाइयों का शॉर्टेज है. इसके बाद भी दवाइयों की उपलब्धता आरआर मेडिकल नहीं कर पा रहा है.

श्रमिक और डॉक्टरों में होता है विवाद

करीब पांच लाख एसएससी कार्ड धारक है, जो श्रमिक है वह यहां अपनी दवाइयां लेने और इलाज कराने आते हैं. जब यहां से दवाइयों की पूर्ति नहीं हो रही तो इंदौर से नंदा नगर से दवाइयां मंगाकर जैसे-तैसे काम चला रहे हैं, जिसके लिए आए दिन श्रमिक और डॉक्टरों में विवाद देखा जाता है.

800 उद्योग के श्रमिक ESIC में कराते हैं इलाज

डॉक्टर कोठारी ने कहा कि करीब 10 से 15 कागज जिसमें दवाइयों की क्वांटिटी और कौन-कौन सी दवाइयां चाहिए वह लिखी हुई है, जिसका एक आवेदन दिया गया है, लेकिन गिनी चुनी कुछ दवाइयां भेज देते हैं. इस कोरोना वायरस में अत्यधिक मरीज सर्दी, खांसी, जुखाम जैसी छोटी बीमारियों के लिए लगातार आ रहे हैं, लेकिन दवाइयों की उपलब्धता नहीं हो पा रही है. 800 छोटे-बड़े उद्योग हैं, इन उद्योगों से जितने भी श्रमिक हैं वह यहां ESIC के तहत इलाज कराते हैं.

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मिलीभगत से टेंडर में रुकावट

पहले मजदूर इंदौर नंदा नगर जाते हैं, वहां से दवाइयों की एक स्लिप बनती है. वह स्लिप लाकर जो शासन की तरफ से जिस मेडिकल को टेंडर हुआ है. उसे दिया जाता है, वह इसकी उपलब्धता करवाता है और फिर वहीं पर्ची अस्पताल के अंदर मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर कोठारी को दी जाती है. डॉक्टर कोठारी फिर उन पर्चियों को लेकर पूरा हिसाब किताब रखते हैं और वह इंदौर भेजते हैं. 2019 के बाद अभी तक टेंडर नहीं हुआ, जबकि करीब अप्रैल-मई में इसका टेंडर हो जाना था, लेकिन शासन में कोराना काल की वजह से टेंडर नहीं किया. मजदूर काफी दयनीय स्थिति में है और ऊपर अधिकारियों की मिलीभगत से टेंडर नहीं हो पा रहा है. इसलिए 2019 के टेंडर को ही आगे बढ़ा रहे हैं.

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शासन से नहीं हुए पैसे रिलीज

जीवन केमिस्ट के संचालक प्रेम पाटीदार ने बताया कि एक साल से अभी तक शासन ने पैसा रिलीज नहीं किया, लेकिन अभी भी हम दवाई जेनेरिक अस्पताल को भेज रहे हैं. ESIC अस्पताल के डायरेक्टर डॉक्टर बीएल बांगरिया ने बताया कि शासन के पास पैसे नहीं हैं, एक साल साल में शासन की तरफ से करीब 24 करोड़ रुपए ही आए थे, लेकिन एक साल में 61 करोड़ रुपए की मांग रखी गई है. जिन मेडिकल संचालकों के टेंडर हुए थे, उनका भी वेतन भुगतान नहीं हुआ है, जिसके चलते थोड़ी परेशानी आ रही है.

मेडिकल संचालकों की राशि बकाया

आरआर मेडिकल के संचालक प्रसन्न जैन ने बताया कि वे दवाइयां बराबर उपलब्ध करा रहे हैं, करीब तीन माह से उनका भी ESIC में एक करोड़ रुपए बकाया है.

धार। पीथमपुर में ESIC अस्पताल एकमात्र है जो कि जय नगर रोड पर स्थित है, यहां करीब 5 डॉक्टर तैनात हैं. पिछले साल 2019 में पीथमपुर के आरआर मेडिकल को ब्रांडेड दवाइयों और जीवन केमिस्ट को जेनेरिक दवाइयों का टेंडर जारी हुआ था, जो दवाइयों की पूर्ति नहीं कर पा रहा है. वहीं ESIC (Employees State Insurance Corporation) अस्पताल में भारी लापरवाही देखने को मिली है. जिसके कारण औद्योगिक क्षेत्र के श्रमिकों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

दवाइयों की शॉर्टेज

ESIC अस्पताल पीथमपुर के मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर महेश कोठारी ने बताया कि करीब 6 माह से दवाइयों की उपलब्धता नहीं हो पा रही है, जिसके लिए उन्होंने उच्च अधिकारियों को अवगत कराया है, इसके बाद भी अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि 6 माह में करीब सात पत्र इंदौर डिप्टी डायरेक्टर और डायरेक्टर को भेजा गया है, कि यहां दवाइयों का शॉर्टेज है. इसके बाद भी दवाइयों की उपलब्धता आरआर मेडिकल नहीं कर पा रहा है.

श्रमिक और डॉक्टरों में होता है विवाद

करीब पांच लाख एसएससी कार्ड धारक है, जो श्रमिक है वह यहां अपनी दवाइयां लेने और इलाज कराने आते हैं. जब यहां से दवाइयों की पूर्ति नहीं हो रही तो इंदौर से नंदा नगर से दवाइयां मंगाकर जैसे-तैसे काम चला रहे हैं, जिसके लिए आए दिन श्रमिक और डॉक्टरों में विवाद देखा जाता है.

800 उद्योग के श्रमिक ESIC में कराते हैं इलाज

डॉक्टर कोठारी ने कहा कि करीब 10 से 15 कागज जिसमें दवाइयों की क्वांटिटी और कौन-कौन सी दवाइयां चाहिए वह लिखी हुई है, जिसका एक आवेदन दिया गया है, लेकिन गिनी चुनी कुछ दवाइयां भेज देते हैं. इस कोरोना वायरस में अत्यधिक मरीज सर्दी, खांसी, जुखाम जैसी छोटी बीमारियों के लिए लगातार आ रहे हैं, लेकिन दवाइयों की उपलब्धता नहीं हो पा रही है. 800 छोटे-बड़े उद्योग हैं, इन उद्योगों से जितने भी श्रमिक हैं वह यहां ESIC के तहत इलाज कराते हैं.

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मिलीभगत से टेंडर में रुकावट

पहले मजदूर इंदौर नंदा नगर जाते हैं, वहां से दवाइयों की एक स्लिप बनती है. वह स्लिप लाकर जो शासन की तरफ से जिस मेडिकल को टेंडर हुआ है. उसे दिया जाता है, वह इसकी उपलब्धता करवाता है और फिर वहीं पर्ची अस्पताल के अंदर मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर कोठारी को दी जाती है. डॉक्टर कोठारी फिर उन पर्चियों को लेकर पूरा हिसाब किताब रखते हैं और वह इंदौर भेजते हैं. 2019 के बाद अभी तक टेंडर नहीं हुआ, जबकि करीब अप्रैल-मई में इसका टेंडर हो जाना था, लेकिन शासन में कोराना काल की वजह से टेंडर नहीं किया. मजदूर काफी दयनीय स्थिति में है और ऊपर अधिकारियों की मिलीभगत से टेंडर नहीं हो पा रहा है. इसलिए 2019 के टेंडर को ही आगे बढ़ा रहे हैं.

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शासन से नहीं हुए पैसे रिलीज

जीवन केमिस्ट के संचालक प्रेम पाटीदार ने बताया कि एक साल से अभी तक शासन ने पैसा रिलीज नहीं किया, लेकिन अभी भी हम दवाई जेनेरिक अस्पताल को भेज रहे हैं. ESIC अस्पताल के डायरेक्टर डॉक्टर बीएल बांगरिया ने बताया कि शासन के पास पैसे नहीं हैं, एक साल साल में शासन की तरफ से करीब 24 करोड़ रुपए ही आए थे, लेकिन एक साल में 61 करोड़ रुपए की मांग रखी गई है. जिन मेडिकल संचालकों के टेंडर हुए थे, उनका भी वेतन भुगतान नहीं हुआ है, जिसके चलते थोड़ी परेशानी आ रही है.

मेडिकल संचालकों की राशि बकाया

आरआर मेडिकल के संचालक प्रसन्न जैन ने बताया कि वे दवाइयां बराबर उपलब्ध करा रहे हैं, करीब तीन माह से उनका भी ESIC में एक करोड़ रुपए बकाया है.

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