ETV Bharat / state

धार: तीन रूपों में दर्शन देते हैं स्वयंभू बलवारी वाले बालाजी, भक्तों की हर मुराद होती है पूरी

तीन रूपों में दर्शन देते हैं स्वयंभू बलवारी वाले बालाजी, भक्त उल्टे स्वास्तिक बना कर अपनी मन्नत मांगते है और मन्नत पूरी होने पर स्वास्तिक को सीधा करने आते हैं, भक्तों की हर मुराद होती है पूरी

बलवारी वाले बालाजी
author img

By

Published : Feb 6, 2019, 9:46 PM IST

धार। प्राचीन काल से बिना किसी सहारे के एक ही पत्थर पर खड़ी भारी भरकम साढ़े 12 फिट लंबी और साढ़े 3 फिट चौड़ी विशाल चमत्कारी प्रतिमा बलवारी वाले बालाजी की है. बलवारी वाले बालाजी की यह प्रतिमा स्वयंभू है, जिनके चरणों में पाताल देवी चंडिका का वास है. बताया जाता है कि इस मंदिर में भक्त उल्टे स्वास्तिक बना कर अपनी मन्नत मांगते है और मन्नत पूरी होने पर स्वास्तिक को सीधा करने आते हैं.

बलवारी वाले बालाजी
undefined

त्रेता युग में जब अहिरावण और महिरावण ने भगवान श्रीराम और लक्ष्मण को बंदी बनाकर पाताल लोक में बलि देने के लिए ले गए थे तभी भगवान राम के अनन्य भक्त हनुमान पाताल लोक जाकर देवी चंडिका से राम और लक्ष्मण की रक्षा के लिए प्रार्थना की थी. जिसके बाद पाताल लोक की देवी चंडिका ने अपने सर पर हनुमान जी को जगह दी और अहिरावण और महिरावण का वध किया था. तब से उसी स्वरूप में यह बलवारी वाले बालाजी की प्रतिमा यहां स्थापित है जिनके चरणों में पाताल देवी चंडिका का वास है.

undefined

बलवारी वाले बालाजी मंदिर के पुजारी चंदन दास वैष्णव ने बताया कि ऐसी मान्यता है कि बलवारी वाले बालाजी के सर पर काफी समय तक छत नहीं थी. यहां जब भी किसी भक्त द्वारा मंदिर की छत का निर्माण कराया गया वह किसी कारणवश टिक नहीं पाई. लेकिन काफी वर्षों पूर्व बालाजी ने इंदौर निवासी अपने एक भक्त नरसिंह दास जी खंडेलवाल को उनसे अपने सर के ऊपर छत बनवाने का स्वप्न दिया था. उसके बाद से ही इस चमत्कारी बालाजी के सर के ऊपर के छत का निर्माण कराया गया था.

बता दें कि बलवारी वाले बालाजी अपने भक्तों को सुबह बालस्वरूप में दोपहर को युवा स्वरूप में और शाम के समय वृद्ध स्वरूप में दर्शन देते हैं. ऐसा बताया जाता है कि पांडवों ने भी अपने वनवास के समय बलवारी वाले बालाजी के दर्शन किए थे. हनुमान जयंती और राम जयंती के मौके पर यहां पर विशाल भंडारे और महापूजा महाआरती का आयोजन किया जाता है. उस समय लाखों की संख्या में बलवारी वाले बालाजी के भक्त यहां पहुंचते हैं.

undefined

धार। प्राचीन काल से बिना किसी सहारे के एक ही पत्थर पर खड़ी भारी भरकम साढ़े 12 फिट लंबी और साढ़े 3 फिट चौड़ी विशाल चमत्कारी प्रतिमा बलवारी वाले बालाजी की है. बलवारी वाले बालाजी की यह प्रतिमा स्वयंभू है, जिनके चरणों में पाताल देवी चंडिका का वास है. बताया जाता है कि इस मंदिर में भक्त उल्टे स्वास्तिक बना कर अपनी मन्नत मांगते है और मन्नत पूरी होने पर स्वास्तिक को सीधा करने आते हैं.

बलवारी वाले बालाजी
undefined

त्रेता युग में जब अहिरावण और महिरावण ने भगवान श्रीराम और लक्ष्मण को बंदी बनाकर पाताल लोक में बलि देने के लिए ले गए थे तभी भगवान राम के अनन्य भक्त हनुमान पाताल लोक जाकर देवी चंडिका से राम और लक्ष्मण की रक्षा के लिए प्रार्थना की थी. जिसके बाद पाताल लोक की देवी चंडिका ने अपने सर पर हनुमान जी को जगह दी और अहिरावण और महिरावण का वध किया था. तब से उसी स्वरूप में यह बलवारी वाले बालाजी की प्रतिमा यहां स्थापित है जिनके चरणों में पाताल देवी चंडिका का वास है.

undefined

बलवारी वाले बालाजी मंदिर के पुजारी चंदन दास वैष्णव ने बताया कि ऐसी मान्यता है कि बलवारी वाले बालाजी के सर पर काफी समय तक छत नहीं थी. यहां जब भी किसी भक्त द्वारा मंदिर की छत का निर्माण कराया गया वह किसी कारणवश टिक नहीं पाई. लेकिन काफी वर्षों पूर्व बालाजी ने इंदौर निवासी अपने एक भक्त नरसिंह दास जी खंडेलवाल को उनसे अपने सर के ऊपर छत बनवाने का स्वप्न दिया था. उसके बाद से ही इस चमत्कारी बालाजी के सर के ऊपर के छत का निर्माण कराया गया था.

बता दें कि बलवारी वाले बालाजी अपने भक्तों को सुबह बालस्वरूप में दोपहर को युवा स्वरूप में और शाम के समय वृद्ध स्वरूप में दर्शन देते हैं. ऐसा बताया जाता है कि पांडवों ने भी अपने वनवास के समय बलवारी वाले बालाजी के दर्शन किए थे. हनुमान जयंती और राम जयंती के मौके पर यहां पर विशाल भंडारे और महापूजा महाआरती का आयोजन किया जाता है. उस समय लाखों की संख्या में बलवारी वाले बालाजी के भक्त यहां पहुंचते हैं.

undefined
Intro:स्पेशल स्टडी पैकेज


प्राचीन काल से बिना किसी सहारे के एक ही पत्थर पर भारी भरकम साडे 12 फुट लंबी और साडे 3 फ़िट चौड़ी विशाल चमत्कारी यह प्रतिमा बलवारी वाले बालाजी की है बलवारी वाले बालाजी की यह प्रतिमा स्वयंभू है जिन के चरणो में पाताल देवी चंडिका का वास है त्रेता युग में जब अहिरावण और महिरावण ने भगवान श्री राम राम ओर लक्ष्मण को बंदी बनाकर पाताल लोक में बलि देने के लिए ले गए थे तभी भगवान श्री राम के अनन्य भक्त हनुमान ने पाताल लोक में गए वहां पर पाताल लोक की देवी चंडिका से हनुमान जी ने प्रभु श्री राम और लक्ष्मण की रक्षा के लिए प्रार्थना करी,जिसके बाद पाताल लोक की देवी चंडिका ने अपने सर पर हनुमान जी को जगह दी और अहिरावण और महिरावण का वध किया,तब से उसी स्वरूप में यह बलवारी वाले बालाजी की प्रतिमा यहां स्थापित है जिन के चरणों में पाताल देवी चंडिका का वास है आप को बता दे कि बलवारी वाले बालाजी अपने भक्तों को सुबह बालस्वरूप में दोपहर को युवा स्वरूप में और शाम के समय वृद्ध स्वरूप में दर्शन देते हैं, ऐसा बताया जाता है कि पांडवों ने भी अपने वनवास के समय बलवारी वाले बालाजी के दर्शन किए थे बलवारी वाले बालाजी के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में भक्त धार जिले कि गंधवानी विधानसभा के ग्राम बलवारी कला में बलवारी वाले बालाजी के धाम में पहुंचते हैं ,यहां पर आने वाले भक्तों की हर मुराद बलवारी वाले बालाजी पूरी करते हैं ऐसा बताया जाता है कि बलवारी वाले बालाजी के सर पर काफी समय तक छत नहीं थी, यहां जब भी भक्त दवारा बलवारी वाले बालाजी के मंदिर की छत का निर्माण कराया गया वह किसी कारणवश नहीं टिक पाई काफी वर्षों पूर्व बलवारी वाले बालाजी ने इंदौर निवासी अपने भक्त नरसिंह दास जी खंडेलवाल को स्वप्न में दर्शन दिया और उनसे अपने सर के ऊपर छत बनवाने का कहा उसके बाद से ही इस चमत्कारी बलवारी वाले बालाजी के सर के ऊपर के छत का निर्माण कराया गया जिसके बाद से ही यहां पर मंदिर का निर्माण हुआ हनुमान जयंती और राम जयंती के मौके पर यहां पर विशाल भंडारे और महापूजा महाआरती का आयोजन किया जाता है उस समय लाखों की संख्या में यहां पर बलवारी वाले बालाजी के भक्त यहां पहुंचते हैं, बलवारी वाले बालाजी के मंदिर की दीवारों पर बड़ी संख्या में उल्टे सीधे सातीये बने हैं जिनको लेकर मंदिर के पुजारी ने बताया कि बलवारी वाले बालाजी अपने हर भक्तों की मुराद पूरी करते हैं भक्त भी यहां पर आकर बलवारी वाले बालाजी के सामने मन्नत मांगते हैं और उनकी मुहूर्त के पीछे वाली दीवाल पर उल्टा सातिया बना कर चले जाते हैं जब भक्तों की मुरादे पूरी होती है तो वह बलवारी वाले बाला जी को चोला चढ़ाते हैं और अपने उल्टी सातियो के ठीक पास में ही सीधा सातीया बना कर अपनी मन्नत पूरी होने का प्रमाण देते हैं जिसके चलते बड़ी संख्या में मंदिर की दीवारों पर उल्टे सीधे साथिया भी बने हुए हैं ।

बाइट-01- चंदन दास वैष्णव- बलवारी वाले बालाजी मंदिर के पुजारी

सर आप से विनम्र निवेदन है कि इस स्पेशल स्टोरी में में वॉइस ओवर अवश्य दें।




Body:ok


Conclusion:ok
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.