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किसका बेड़ा पार करेगा सियासी धार, दिल्ली पहुंचेंगे दरबार, या दिनेश करेंगे कमाल - बीजेपी प्रत्याशी छतर सिंह दरबार

धार लोकसभा सीट पर इस बार बीजेपी कांग्रेस में कड़ा मुकाबला माना जा रहा है. यहां बीजेपी के छतर सिंह दरबार का मुकाबला कांग्रेस के दिनेश गिरवाल से है. छतर सिंह दरबार पहले ही भी दो बार धार लोकसभा सीट से चुनाव जीत चुके है, यहां आदिवासी संगठन जयस भी प्रभावी भूमिका में है.

बीजेपी प्रत्याशी छतर सिंह दरबार, कांग्रेस प्रत्याशी दिनेश गिरवाल
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Published : May 18, 2019, 12:46 PM IST

धार। मालवा अंचल के धार शहर की गिनती ऐतिहासिक और प्रचीन शहरों में होती है. जिसे राजा भोज की नगरी के नाम से भी जाना जाता है. प्रदेश का प्रमुख पर्यटक स्थल मांडू भी इसी जिले में स्थित है, जबकि भोजशाला मंदिर का इतिहास यहां का सबसे बड़ा सियासी मुद्दा माना जाता है. अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित इस सीट पर इस बार बीजेपी के छतर सिंह दरबार का मुकाबला कांग्रेस के दिनेश गिरवाल से है.

धार लोकसभा सीट

धार संसदीय क्षेत्र में कभी किसी एक पार्टी का दबदबा नहीं रहा, यहां समय-समय पर बीजेपी और कांग्रेस जीत दर्ज करती रही हैं. 1967 से अस्तित्व में आई इस सीट पर 13 आम चुनाव हुए, जिनमें 7 बार कांग्रेस को जीत मिली है तो बीजेपी भी जीत की हैट्रिक लगा चुकी है, जबकि 2 बार जनसंघ और एक बार लोकदल के प्रत्याशी ने भी चुनावी मैदान फतह किया था.

इस बार यहां कुल 17 लाख 84 हजार 847 मतदाता अपने मत का प्रयोग करेंगे. जिनमें 9 लाख 82 हजार 290 पुरुष मतदाता हैं तो 8 लाख 76 हजार 847 महिला मतदाता शामिल हैं. वहीं, थर्ड जेंडर की संख्या 49 है. धार संसदीय क्षेत्र में इस बार कुल 2226 मतदान केंद्र बनाए गए हैं. जिनमें 411 मतदान केंद्रों को संवेदनशील की श्रेणी में रखा गया है.

धार संसदीय क्षेत्र में धार, सरदारपुर, बदनावर, धरमपुरी, मनावर, कुक्षी, गंधवानी और महू विधानसभा सीटें आती हैं. विधानसभा चुनाव में इन आठ सीटों में से 6 पर कांग्रेस को जीत मिली है और 1 सीट पर बीजेपी का कमल खिला है. पिछले चुनाव के समीकरणों के आधार पर इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा नजर आता है.

2014 के आम चुनाव में बीजेपी की सावित्री ठाकुर ने कांग्रेस के उमंग सिंघार को हराया था, जबकि इस बार पार्टी ने उनकी जगह छतर सिंह दरबार को प्रत्याशी बनाया है, जो दो बार पहले भी यहां से सांसद रह चुके हैं और कांग्रेस ने दिनेश गिरवाल पर भरोसा जताया है.

खास बात ये है कि धार लोकसभा सीट की चार विधानसभा सीटें निमाड़ क्षेत्र में आती हैं, जबकि चार मालवा अंचल में आती हैं. पूरे संसदीय क्षेत्र की अधिकतर आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है, जहां निवास करने वाले ज्यादातर आदिवासी अनपढ़ या कम पढ़े-लिखे हैं, लेकिन उनकी परेशानियों की धार इतनी तेज है कि किसी भी प्रत्याशी के जीत की धार काट सकती है, या उसकी दिशा बदल सकती है.

धार। मालवा अंचल के धार शहर की गिनती ऐतिहासिक और प्रचीन शहरों में होती है. जिसे राजा भोज की नगरी के नाम से भी जाना जाता है. प्रदेश का प्रमुख पर्यटक स्थल मांडू भी इसी जिले में स्थित है, जबकि भोजशाला मंदिर का इतिहास यहां का सबसे बड़ा सियासी मुद्दा माना जाता है. अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित इस सीट पर इस बार बीजेपी के छतर सिंह दरबार का मुकाबला कांग्रेस के दिनेश गिरवाल से है.

धार लोकसभा सीट

धार संसदीय क्षेत्र में कभी किसी एक पार्टी का दबदबा नहीं रहा, यहां समय-समय पर बीजेपी और कांग्रेस जीत दर्ज करती रही हैं. 1967 से अस्तित्व में आई इस सीट पर 13 आम चुनाव हुए, जिनमें 7 बार कांग्रेस को जीत मिली है तो बीजेपी भी जीत की हैट्रिक लगा चुकी है, जबकि 2 बार जनसंघ और एक बार लोकदल के प्रत्याशी ने भी चुनावी मैदान फतह किया था.

इस बार यहां कुल 17 लाख 84 हजार 847 मतदाता अपने मत का प्रयोग करेंगे. जिनमें 9 लाख 82 हजार 290 पुरुष मतदाता हैं तो 8 लाख 76 हजार 847 महिला मतदाता शामिल हैं. वहीं, थर्ड जेंडर की संख्या 49 है. धार संसदीय क्षेत्र में इस बार कुल 2226 मतदान केंद्र बनाए गए हैं. जिनमें 411 मतदान केंद्रों को संवेदनशील की श्रेणी में रखा गया है.

धार संसदीय क्षेत्र में धार, सरदारपुर, बदनावर, धरमपुरी, मनावर, कुक्षी, गंधवानी और महू विधानसभा सीटें आती हैं. विधानसभा चुनाव में इन आठ सीटों में से 6 पर कांग्रेस को जीत मिली है और 1 सीट पर बीजेपी का कमल खिला है. पिछले चुनाव के समीकरणों के आधार पर इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा नजर आता है.

2014 के आम चुनाव में बीजेपी की सावित्री ठाकुर ने कांग्रेस के उमंग सिंघार को हराया था, जबकि इस बार पार्टी ने उनकी जगह छतर सिंह दरबार को प्रत्याशी बनाया है, जो दो बार पहले भी यहां से सांसद रह चुके हैं और कांग्रेस ने दिनेश गिरवाल पर भरोसा जताया है.

खास बात ये है कि धार लोकसभा सीट की चार विधानसभा सीटें निमाड़ क्षेत्र में आती हैं, जबकि चार मालवा अंचल में आती हैं. पूरे संसदीय क्षेत्र की अधिकतर आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है, जहां निवास करने वाले ज्यादातर आदिवासी अनपढ़ या कम पढ़े-लिखे हैं, लेकिन उनकी परेशानियों की धार इतनी तेज है कि किसी भी प्रत्याशी के जीत की धार काट सकती है, या उसकी दिशा बदल सकती है.

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धार। मालवा अंचल के धार शहर की गिनती ऐतिहासिक और प्रचीन शहरों में होती है. जिसे राजा भोज की नगरी के नाम से भी जाना जाता है. प्रदेश का प्रमुख पर्यटक स्थल मांडू भी इसी जिले में स्थित है, जबकि भोजशाला मंदिर का इतिहास यहां का सबसे बड़ा सियासी मुद्दा माना जाता है. अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित इस सीट पर इस बार बीजेपी के छतर सिंह दरबार का मुकाबला कांग्रेस के दिनेश गिरवाल से है.



धार संसदीय क्षेत्र में कभी किसी एक पार्टी का दबदबा नहीं रहा, यहां समय-समय पर बीजेपी और कांग्रेस जीत दर्ज करती रही हैं. 1967 से अस्तित्व में आई इस सीट पर 13 आम चुनाव हुए, जिनमें 7 बार कांग्रेस को जीत मिली है तो बीजेपी भी जीत की हैट्रिक लगा चुकी है, जबकि 2 बार जनसंघ और एक बार लोकदल के प्रत्याशी ने भी चुनावी मैदान फतह किया था.



इस बार यहां कुल 17 लाख 84 हजार 847 मतदाता अपने मत का प्रयोग करेंगे. जिनमें 9 लाख 82 हजार 290 पुरुष मतदाता हैं तो 8 लाख 76 हजार 847 महिला मतदाता शामिल हैं. वहीं, थर्ड जेंडर की संख्या 49 है. धार संसदीय क्षेत्र में इस बार कुल 2226 मतदान केंद्र बनाए गए हैं. जिनमें 411 मतदान केंद्रों को संवेदनशील की श्रेणी में रखा गया है.



धार संसदीय क्षेत्र में धार, सरदारपुर, बदनावर, धरमपुरी, मनावर, कुक्षी, गंधवानी और महू विधानसभा सीटें आती हैं. विधानसभा चुनाव में इन आठ सीटों में से 6 पर कांग्रेस को जीत मिली है और 1 सीट पर बीजेपी का कमल खिला है. पिछले चुनाव के समीकरणों के आधार पर इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा नजर आता है.



2014 के आम चुनाव में बीजेपी की सावित्री ठाकुर ने कांग्रेस के उमंग सिंघार को हराया था, जबकि इस बार पार्टी ने उनकी जगह छतर सिंह दरबार को प्रत्याशी बनाया है, जो दो बार पहले भी यहां से सांसद रह चुके हैं और कांग्रेस ने दिनेश गिरवाल पर भरोसा जताया है.



खास बात ये है कि धार लोकसभा सीट की चार विधानसभा सीटें निमाड़ क्षेत्र में आती हैं, जबकि चार मालवा अंचल में आती हैं. पूरे संसदीय क्षेत्र की अधिकतर आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है, जहां निवास करने वाले ज्यादातर आदिवासी अनपढ़ या कम पढ़े-लिखे हैं, लेकिन उनकी परेशानियों की धार इतनी तेज है कि किसी भी प्रत्याशी के जीत की धार काट सकती है, या उसकी दिशा बदल सकती है. 


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