देवास। मध्यप्रदेश सरकार एक तरफ पर्यावरण संरक्षण को लेकर करोड़ों रुपए खर्च कर पौधारोपण कर रही है, तो वहीं दूसरी ओर विभाग में बैठे अधिकारियों की लापरवाही के चलते जंगल मैदान में तब्दील होते जा रहे हैं. ऐसा ही एक मामला खातेगांव वन परिक्षेत्र के हरणगांव सब रेंज के जंगल में देखने को मिला, जहां पेड़ों की अवैध कटाई जोरों पर है. लकड़ी माफिया बड़े- बड़े सागौन के पेड़ों को धड़ल्ले से काट रहे हैं.
जंगलों से पेड़ हो रहे गायब
सब रेंज हरणगांव में एक समय ऐसा था, जब यहां चारों ओर घना और हरा भरा जंगल दिखाई देता था, लेकिन वन विभाग की उदासीनता के चलते आज अतिक्रमणकारियों ने हरे भरे पेड़ों का सफाया कर जंगल को मैदानों में बदल दिया. दिनों दिन जंगल अब अपना स्वरूप खोते जा रहा है. कई वनकर्मी अंगद की तरह जमे हुए हैं. क्या वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को इस बात की खबर नहीं है. जहां पहले जंगल हुआ करते थे वहां अब अतिक्रमण के कारण कहीं तार फेंसिंग तो कहीं कांटों की बागड़ दिखाई देती है.
आने वाली पीढ़ी जंगलों को देखने को तरसेगी
अतिक्रमणकारियों के हौसले इतने बुलंद हैं कि वह बेखौफ होकर जंगल पर खेती कर रहे हैं. जंगल की यह दुर्दशा देखकर ऐसा लगता है मानों आने वाली पीढ़ी जंगल को देखने के लिए तरसेगी. क्षेत्र में लकड़ी माफिया सक्रिय हैं. पिछले 20 दिन के भीतर क्षेत्र में सागवान के पेड़ों की कटाई हो रही है. करीब एक दर्जन से ज्यादा पेड़ों को काट दिया गया है. सबूत के लिए मौके पर अब पेड़ों के ठूंठ ही बचे हैं. सागवान की लकड़ी से फर्नीचर तैयार किए जाते हैं. पेड़ों को काटकर खेती की जमीन भी तैयार की जा रही है. मामले में वन विभाग ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है.
दर्जनों पेड़ों को काटा गया
क्षेत्र के ग्रामीणों का कहना है कि करीब 15 से 20 दिनों से एक दर्जन से ज्यादा पेड़ों को काटा गया है. ज्यादातर कटाई का काम रात में किया जा रहा है. हरणगांव क्षेत्र में माफिया ज्यादा सक्रिय हैं. जहां पेड़ों को काटकर खेत की जमीन भी तैयार की जा रही है. पहले जहां घना और हराभरा जंगल था, वहां अब अतिक्रमण और कटाई के निशान दिखाई दे रहे हैं. पेड़ों को काटकर खेती भी हो रही है.
लकड़ी माफिया घने जंगलों की कर रहे कटाई, अधिकारी बेसुध
पेड़ों की कटाई से जलस्तर पर भी असर
ग्रामीणों ने बताया कि उमेड़ा में वन विभाग का एक तालाब भी है, जो अब सूख गया है. गर्मी के दिनों में विभाग ने वन्य प्राणियों के लिए पानी की कोई व्यवस्था नहीं की है, जिससे वे पानी की तलाश में गांव का रूख करते हैं. पेड़ों की कटाई का असर तालाब के जल स्तर पर भी दिखाई देता है. तालाब के आसपास पेड़ होंगे, तो वह सूखेगा नहीं. वहीं, वन परिक्षेत्र अधिकारी राजेश मण्डावलिया ने कहा कि वह इस मामले की जांच करवाएंगे. मामले में जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.