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कोरोना इफेक्ट: व्यापारियों में दहशत का माहौल, नहीं पहुंच रहे मंडी

कोरोना संक्रमण के कारण व्यापार व्यवसाय बेहद प्रभावित हुआ है. व्पायारी अब मंडी में भी खरीददारी करने नहीं पहुंच रहे हैं, जिससे किसानों की फसल की नीलामी नहीं हो पा रही है.

Farmers in Khategaon Mandi
खातेगांव मंडी में किसान
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Published : Apr 17, 2021, 6:30 AM IST

देवास। कृषि उपज मंडी कन्नौद में कोरोना के डर से व्यापारी खरीदी करने नहीं आ रहे हैं, लेकिन किसान लगातार अपनी फसल बेचने के लिए मंडी में पहुंच रहे हैं. जब मंडी में फसल की नीलामी नहीं हो पा रही है, तो मिडिएटर मनचाहे भाव में फसल खरीद कर ले जा रहे हैं. हालांकि, सरकार द्वारा समर्थन मूल्य पर गेहूं, चने की खरीदी की जा रही है, साथ ही मंडी में भी उपज का अच्छा भाव मिल रहा है, साथ ही नगद राशि भी मिल रही है, जिसके कारण किसानों का समर्थन मंडी की ओर है.

मंडी में नहीं पहुंच रहे व्यापारी

सतवास तहसील के ग्राम बोरखालिया से आए किसान भारत ने बताया कि उन्होंने खातेगांव मंडी में फोन कर मंडी खुले जाने को लेकर जानकारी ली, जिसके बाद किसान अपने चने की फसल लेकर कन्नौद मंडी पहुंच गए. जब नीलामी का समय हुआ तो एक भी व्यापारी चने की फसल खरीदने नहीं आया. इससे वह बेहद निराश हो गया. किसान ने बताया कि वर्तमान में मंडियों में चने की उपज का मूल्य समर्थन मूल्य से अधिक मिल रहा है, जिसके कारण किसान सरकारी खरीदी में चने न देते हुए मंडी में लेकर आ रहे हैं.

उपज मंडी में फसल बेचने पर मिल रही नकद राशि

किसान ने आगे कहा कि समर्थन मूल्य पर चने बेचने के बाद राशि आने में 1 माह तक का समय लग जाता है, जबकि कृषि उपज मंडी में फसल बेचने पर नगद राशि मिल रही है. खरीदी नहीं होने की स्थिति में या तो किसी मीडिएटर को आधे दाम में फसल बेचनी पड़ेगी, या फिर वापस घर ले जाकर किसी अन्य मंडी में फसल को बेचना होगा.

मुरैना: आग ने भेट चढ़ी किसान की 3 बीघा गेहूं की फसल

कृषि उपज मंडी समिति के प्रभारी सचिव सुजान सिंह ने बताया कि कोरोना के डर से व्यापारी मंडी में नहीं आ रहे हैं. फिर भी यदि किसानों की ट्राली आती है, तो व्यापारी को बुलाकर खरीदी की जाएगी.

देवास। कृषि उपज मंडी कन्नौद में कोरोना के डर से व्यापारी खरीदी करने नहीं आ रहे हैं, लेकिन किसान लगातार अपनी फसल बेचने के लिए मंडी में पहुंच रहे हैं. जब मंडी में फसल की नीलामी नहीं हो पा रही है, तो मिडिएटर मनचाहे भाव में फसल खरीद कर ले जा रहे हैं. हालांकि, सरकार द्वारा समर्थन मूल्य पर गेहूं, चने की खरीदी की जा रही है, साथ ही मंडी में भी उपज का अच्छा भाव मिल रहा है, साथ ही नगद राशि भी मिल रही है, जिसके कारण किसानों का समर्थन मंडी की ओर है.

मंडी में नहीं पहुंच रहे व्यापारी

सतवास तहसील के ग्राम बोरखालिया से आए किसान भारत ने बताया कि उन्होंने खातेगांव मंडी में फोन कर मंडी खुले जाने को लेकर जानकारी ली, जिसके बाद किसान अपने चने की फसल लेकर कन्नौद मंडी पहुंच गए. जब नीलामी का समय हुआ तो एक भी व्यापारी चने की फसल खरीदने नहीं आया. इससे वह बेहद निराश हो गया. किसान ने बताया कि वर्तमान में मंडियों में चने की उपज का मूल्य समर्थन मूल्य से अधिक मिल रहा है, जिसके कारण किसान सरकारी खरीदी में चने न देते हुए मंडी में लेकर आ रहे हैं.

उपज मंडी में फसल बेचने पर मिल रही नकद राशि

किसान ने आगे कहा कि समर्थन मूल्य पर चने बेचने के बाद राशि आने में 1 माह तक का समय लग जाता है, जबकि कृषि उपज मंडी में फसल बेचने पर नगद राशि मिल रही है. खरीदी नहीं होने की स्थिति में या तो किसी मीडिएटर को आधे दाम में फसल बेचनी पड़ेगी, या फिर वापस घर ले जाकर किसी अन्य मंडी में फसल को बेचना होगा.

मुरैना: आग ने भेट चढ़ी किसान की 3 बीघा गेहूं की फसल

कृषि उपज मंडी समिति के प्रभारी सचिव सुजान सिंह ने बताया कि कोरोना के डर से व्यापारी मंडी में नहीं आ रहे हैं. फिर भी यदि किसानों की ट्राली आती है, तो व्यापारी को बुलाकर खरीदी की जाएगी.

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