देवास। मध्यप्रदेश सरकार स्कूली शिक्षा को डिजिटल और स्मार्ट क्लास का रूप देने की तैयारी तो ऐसे कर रही है, मानों प्रदेश के हर शासकीय स्कूल में सारी सुविधाएं मौजूद हैं. जमीनी हकीकत किसी को भी परेशान करने वाली है. देवास के हाटपिपल्या के खोकरिया गांव स्थित शासकीय माध्यमिक स्कूल की अगर बात करें, तो यहां न शिक्षक हैं, न बिजली-पंखे, न पीने का पानी और न ही बच्चों के लिए खेल का मैदान.
सोचने वाली बात ये है कि क्या सिर्फ स्कूल की बिल्डिंग बनाने से बच्चों का सपना साकार हो सकता है. जब बच्चे कक्षा में बैठकर सिर्फ और सिर्फ शिक्षक का इंतजार कर रहे हों, तो आखिर उन्हें कौन पढ़ाएगा. देवास की तरह ही मध्यप्रदेश के ऐसे कई जिले हैं जहां स्कूल में बच्चों को शिक्षकों का आज भी इंतजार है.
स्कूल में शिक्षकों की इतनी कमी है कि स्कूल प्रंबधक एक-दो शिक्षकों के भरोसे पर सारे विषय पढ़वा रहा है. स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षक भी यह मानते हैं कि स्कूल में टीचरों की कमी है.
जब मामले को लेकर ब्लॉक शिक्षा अधिकारी से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि ब्लॉक स्तर पर शिक्षक नहीं हैं. उन्होंने कहा कि क्या किया जा सकता है, जब शासन की नीति ही ऐसी हो. हालांकि उन्होंने आश्वासन देते हुए कहा कि शासन की ओर से जल्द ही शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाएगी.