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खंडेराव बाबा के मेले का समापन, लोगों ने उठाया लुत्फ - मौत का कुआं

देवास के हरणगांव में लगे धुलेंडी पर्व पर खंडेराव बाबा का मेले का समापन हुआ. जिसमें कई गांव से आये लोगों ने जमकर लुफ्त उठाया.

Khanderao Baba's fair concluded in Dewas
खंडेराव बाबा के मेले का हुआ समापन
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Published : Mar 11, 2020, 11:35 PM IST

Updated : Mar 12, 2020, 12:00 AM IST

देवास। हरणगांव में धुलेंडी पर्व पर खंडेराव बाबा का मेला संपन्न हो गया है, जहां लोगों ने खिलौने खरीदे और मिठाई, गुड़ की जलेबी और पान का भी लुत्फ उठाया. साल में एक बार धुलेंडी पर्व पर खंडेराव बाबा का एक दिनी मेला लगता है. इस मेले में बच्चों के लिये झूले और मौत का कुआं का आयोजन होता है.

खंडेराव बाबा के मेले का हुआ समापन

आदिवासी गोंड समाज के अध्यक्ष अनोखी ने बताया कि खंडेराव बाबा मेघनाद का पर्व हर साल इसलिए मनाया जाता है कि ये देव अनंत काल से आदिवासियों के आराध्य देव रहे हैं. एक समय कोया वंशी गोंड समाज के लोग खंडेराव मेघनाद बाबा की पूजा अर्चना कर रहे थे, तभी बुरी शक्तियों ने धोखे से वार कर दिया और मेघनाद बाबा का शीश उड़ा ले गए ले गए, तभी मेघनाथ के शरीर से आवाज आई कि घबराये नहीं, शीश गया है लेकिन शरीर बाकी है. मेरे शरीर को जो भी खंडेराव बाबा के नाम से सच्चे मन से पूजेगा, उसे मेरा आशीर्वाद जरूर मिलेगा, तभी से ये प्रथा चली आ रही है.

इसी के चलते सर्व हारा समाज के लोग यहां मन्नत मांगकर जाते हैं और मुराद पूरी होने पर यहां आते हैं और बकरे या मुर्गे की बलि देकर जाते हैं.

देवास। हरणगांव में धुलेंडी पर्व पर खंडेराव बाबा का मेला संपन्न हो गया है, जहां लोगों ने खिलौने खरीदे और मिठाई, गुड़ की जलेबी और पान का भी लुत्फ उठाया. साल में एक बार धुलेंडी पर्व पर खंडेराव बाबा का एक दिनी मेला लगता है. इस मेले में बच्चों के लिये झूले और मौत का कुआं का आयोजन होता है.

खंडेराव बाबा के मेले का हुआ समापन

आदिवासी गोंड समाज के अध्यक्ष अनोखी ने बताया कि खंडेराव बाबा मेघनाद का पर्व हर साल इसलिए मनाया जाता है कि ये देव अनंत काल से आदिवासियों के आराध्य देव रहे हैं. एक समय कोया वंशी गोंड समाज के लोग खंडेराव मेघनाद बाबा की पूजा अर्चना कर रहे थे, तभी बुरी शक्तियों ने धोखे से वार कर दिया और मेघनाद बाबा का शीश उड़ा ले गए ले गए, तभी मेघनाथ के शरीर से आवाज आई कि घबराये नहीं, शीश गया है लेकिन शरीर बाकी है. मेरे शरीर को जो भी खंडेराव बाबा के नाम से सच्चे मन से पूजेगा, उसे मेरा आशीर्वाद जरूर मिलेगा, तभी से ये प्रथा चली आ रही है.

इसी के चलते सर्व हारा समाज के लोग यहां मन्नत मांगकर जाते हैं और मुराद पूरी होने पर यहां आते हैं और बकरे या मुर्गे की बलि देकर जाते हैं.

Last Updated : Mar 12, 2020, 12:00 AM IST
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