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वनरक्षक के घर में मिली बड़ी मात्रा में सागौन की लकड़ी, निलंबित - mp news

वन रक्षक के घर से ही 59 नग सागौन के अवैध पटिये बरामद किये गए हैं. सागौन शासकीय संपत्ति मानी जाती है. डीएफओ ने वन वनरक्षक को निलंबित कर दिया है.

Forest worker
कार्रवाई के दौरान वनकर्मी
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Published : Apr 21, 2020, 5:25 PM IST

देवास। कन्नौद वन परिक्षेत्र के ग्राम ननासा में वन रक्षक के घर से ही 59 नग सागौन के अवैध चिरान वन अमले ने जब्त किया है, जिसकी कीमत 18 हजार रुपये बताई जा रही है. डीएफओ ने वनरक्षक को निलंबित कर दिया है.

कन्नौद वन एसडीओ संतोष शुक्ला ने बताया कि मुखबिर से सूचना के बाद वनरक्षक के घर पहुंचे. विभाग ने सभी वनोपज को निकाल कर नपती कराई और लगभग 59 नग पटिया मिली, जिसकी कीमत लगभग 18 हजार रूपए है. सारी उपज लेकर जंजालखेड़ी डिपो में पहुंचा दिया गया और जब्ती नामा तैयार किया है. संबंधित वनरक्षक जयनारायण बछानिया के पुत्र जो मौके पर उपस्थित उनके विरुद्ध विवरण प्रकरण कायम कर लिया गया है.

वनरक्षक का वह निजी मकान था और वनरक्षक वहीं पर रहते हैं इसका मतलब यह हुआ कि वनरक्षक के संरक्षण में अवैध वनोपज पाई गई है क्योंकि उनको सूचना थी तो यह सूचना उनको खुद से देनी चाहिए थी. सागौन जैसी राष्ट्रीय कृत वन उपज है. वह शासकीय संपत्ति मानी जाती है. वन उपज का कोई वैलिड डॉक्युमेंट नहीं बताया जाता तो वन रक्षक पर कार्रवाई की जाएगी. बता दे, वनरक्षक के खिलाफ डीएफओ ने निलबंन की कार्रवाई की साथ ही जांच हेतु 3 सदस्यीय दल भी बनाया है.

देवास। कन्नौद वन परिक्षेत्र के ग्राम ननासा में वन रक्षक के घर से ही 59 नग सागौन के अवैध चिरान वन अमले ने जब्त किया है, जिसकी कीमत 18 हजार रुपये बताई जा रही है. डीएफओ ने वनरक्षक को निलंबित कर दिया है.

कन्नौद वन एसडीओ संतोष शुक्ला ने बताया कि मुखबिर से सूचना के बाद वनरक्षक के घर पहुंचे. विभाग ने सभी वनोपज को निकाल कर नपती कराई और लगभग 59 नग पटिया मिली, जिसकी कीमत लगभग 18 हजार रूपए है. सारी उपज लेकर जंजालखेड़ी डिपो में पहुंचा दिया गया और जब्ती नामा तैयार किया है. संबंधित वनरक्षक जयनारायण बछानिया के पुत्र जो मौके पर उपस्थित उनके विरुद्ध विवरण प्रकरण कायम कर लिया गया है.

वनरक्षक का वह निजी मकान था और वनरक्षक वहीं पर रहते हैं इसका मतलब यह हुआ कि वनरक्षक के संरक्षण में अवैध वनोपज पाई गई है क्योंकि उनको सूचना थी तो यह सूचना उनको खुद से देनी चाहिए थी. सागौन जैसी राष्ट्रीय कृत वन उपज है. वह शासकीय संपत्ति मानी जाती है. वन उपज का कोई वैलिड डॉक्युमेंट नहीं बताया जाता तो वन रक्षक पर कार्रवाई की जाएगी. बता दे, वनरक्षक के खिलाफ डीएफओ ने निलबंन की कार्रवाई की साथ ही जांच हेतु 3 सदस्यीय दल भी बनाया है.

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