देवास। टेंट के नीचे बैठकर पढ़ने को मजबूर ये बच्चे देवास जिले के डोगरखेड़ा गांव के हैं, जो शिक्षा तो पाना चाहते हैं, लेकिन सरकार उन्हें बैठने के लिए एक अदद स्कूल का भवन भी मुहैया नहीं करा पा रही. इस नजारे को देखकर बरबस ही मुंह से निकल आता है कि 'जब ऐसा हो स्कूल का हाल तो कैसे पढ़ेंगे नौनिहाल'.
देशभर में शिक्षा के सच को दिखाती यह तस्वीर सरकारों के बेहतर शिक्षा-व्यवस्था के दावों की पोल खोल देती है. छठवीं क्लास में पढ़ने वाला कृष्णपाल कहता है, हम पढ़ना तो चाहते है लेकिन बैठने के लिए स्कूल भवन ही नहीं है. सरकार से भी कई बार बोला लेकिन कोई सुनता ही नहीं है.
तप्ती दोपहरी हो या बरसता पानी, चाहे कड़ाके की ठंड, पिछले दो-तीन सालों से ये बच्चे इसी तरह टेंट के नीचें बैठकर पढ़ने को मजबूर है. स्कूल प्रभारी सागरमल पाटीदार कहते है स्कूल भवन के लिए प्रशासन को अर्जी भी लगाई और गांव के लोगों से गुहार भी लगवाई. लेकिन नतीजा 'ढाक के तीन पात' ही नजर आता है.
डोकर खेड़ा गांव में स्कूल भवन न होने की बात से जब जिले के तत्कालीन कलेक्टर श्रीकांत पांडे से सवाल पूछा जाता है. तो उनका जबाव इस बात की और तस्तीक अपने-आप कर देता है कि क्यों देश में शिक्षा के हाल इतने बेहाल है. कलेक्टर कहते है इस तरह की अव्यवस्था बिल्कुल नहीं है. जल्द ही डोकर खेड़ा गांव में स्कूल की व्यवस्था करा दी जाएगी.
कलेक्टर महोदय का दावा आज भी जस का तस नजर आता है. न तो डोगर खेड़ा गांव में स्कूल बना और न ही किसी ने इस और किसी ने ध्यान दिया. डोकरखेड़ा स्कूल में छटवीं क्लास से आठवीं क्लास में तकरीबन 60 से ज्यादा बच्चे टेंट के नीचें बैठकर पढ़ते हैं. लेकिन इनकी स्कूल भवन की ख्वाहिश कब पूरी होगी कुछ कहा नहीं जा सकता.