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स्कूल संचालकों की मनमानी के चलते दांव पर बच्चों की जिंदगी!

देवास में शिक्षा विभाग की अनदेखी के चलते प्राइवेट स्कूल संचालक बच्चों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं

Children reach school by risking life in school vehicle
जान जोखिम में डालकर स्कूल पहुंचते है बच्चे
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Published : Jan 1, 2020, 11:25 AM IST

Updated : Jan 1, 2020, 12:23 PM IST

देवास। खातेगांव विकास खंड में शिक्षा विभाग की अनदेखी के चलते प्राइवेट स्कूल संचालक बच्चों को मैजिक वाहनों में ठूस-ठूस कर भरते हैं और संचालक की मनमानी के आगे शिक्षा विभाग भी नतमस्तक है. हरण गांव में संचालित ज्ञान पब्लिक स्कूल के एक मैजिक वाहन में 30 बच्चों को भरकर ले जाया जा रहा है, जबकि स्कूल प्रबंधन शिक्षा विभाग और यातायात नियमों को ताक पर रखकर मनमानी कर रहा है. स्कूल वाहन में क्षमता से अधिक बच्चों को बैठाने पर न तो अभिभावक ध्यान दे रहे हैं और न ही शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारी. ऐसे में रोजाना बच्चे अपना जीवन दांव पर लगाकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं

जान जोखिम में डालकर स्कूल पहुंचते है बच्चे

प्रशासन के तमाम दावों के बावजूद शहर और अंचल में प्राइवेट स्कूलों के संचालक स्कूली बसों में मानकों की अनदेखी कर रहे हैं. स्कूली बसों सहित अन्य वाहनों का रंग पीला तो जरूर होता है, लेकिन उन पर न तो स्कूल का पूरा नाम लिखा है और न ही मोबाइल नंबर. परिवहन विभाग की लापरवाही के बाद स्कूली वाहनों में आने-जाने वाले बच्चे किस हाल सफर करते हैं. इसकी जानकारी अभिभावकों को भी नहीं रहती है, जिसका फायदा स्कूल वाले उठाते हैं.

देवास। खातेगांव विकास खंड में शिक्षा विभाग की अनदेखी के चलते प्राइवेट स्कूल संचालक बच्चों को मैजिक वाहनों में ठूस-ठूस कर भरते हैं और संचालक की मनमानी के आगे शिक्षा विभाग भी नतमस्तक है. हरण गांव में संचालित ज्ञान पब्लिक स्कूल के एक मैजिक वाहन में 30 बच्चों को भरकर ले जाया जा रहा है, जबकि स्कूल प्रबंधन शिक्षा विभाग और यातायात नियमों को ताक पर रखकर मनमानी कर रहा है. स्कूल वाहन में क्षमता से अधिक बच्चों को बैठाने पर न तो अभिभावक ध्यान दे रहे हैं और न ही शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारी. ऐसे में रोजाना बच्चे अपना जीवन दांव पर लगाकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं

जान जोखिम में डालकर स्कूल पहुंचते है बच्चे

प्रशासन के तमाम दावों के बावजूद शहर और अंचल में प्राइवेट स्कूलों के संचालक स्कूली बसों में मानकों की अनदेखी कर रहे हैं. स्कूली बसों सहित अन्य वाहनों का रंग पीला तो जरूर होता है, लेकिन उन पर न तो स्कूल का पूरा नाम लिखा है और न ही मोबाइल नंबर. परिवहन विभाग की लापरवाही के बाद स्कूली वाहनों में आने-जाने वाले बच्चे किस हाल सफर करते हैं. इसकी जानकारी अभिभावकों को भी नहीं रहती है, जिसका फायदा स्कूल वाले उठाते हैं.

Intro:स्कूल वाहन में जान जोखिम में डालकर स्कूल पहुंचते है बच्चे

खातेगांव। इन दिनों खातेगांव विकासखंड में शिक्षा विभाग की अनदेखी के चलते प्राइवेट स्कूल संचालक बच्चों को मैजिक वाहनों में ठूस-ठूस कर भरते है। स्कूल संचालक की मनमानी के आगे शिक्षा विभाग नत मस्तक है नोनिहालो कि जान की कीमत स्कूल संचालक की नजर में कुछ भी नही है। ऐसा ही मामला खातेगांव तहसील के हरणगांव क्षेत्र का सामने आया है यहाँ के ज्ञान पब्लिक स्कूल में एक मैजिक वाहन में 30 बच्चों को ठूस-ठूस कर बैठाने का मामला सामने आया है। स्कूल संचालक द्वारा शिक्षा विभाग एवं यातायात विभाग के नियमो को ताक में रखकर मनमानी की जा रही है। स्कूल वाहन में क्षमता से अधिक बच्चो को बैठाने पर न तो अभिभावक ध्यान दे रहे है न ही शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारी। ऐसे में रोजाना बच्चे अपना जीवन दांव पर लगाकर पढ़ाई करने को मजबूर है। स्कूल के मैजिक वाहन में 30 बच्चों को बैठाकर आना-जाना करवाया जाता है। और जिम्मेदार आंख मूंदकर अपने कर्तव्य का निर्वहन कर रहे है। ऐसे में कोई बड़ा हादसा घटित होता है वट इसका जिम्मेदार कौन होगा??

Body:प्रशासन के तमाम दावों के बावजूद शहर एवं अंचल में प्राइवेट स्कूलों के संचालक स्कूली बसों में मानकों की अनदेखी जारी रखे हुए हैं. स्कूली बसों समेत अन्य वाहनों का रंग पीला तो जरूर होता है. लेकिन, उन पर न तो स्कूल का पूरा नाम ही अब तक है और न ही मोबाइल नंबर. परिवहन विभाग की घोर लापरवाही के बाद स्कूली वाहनों में आने-जाने वाले बच्चे किस हालात में अपने घर और स्कूल को जाते हैं. इस बात की जानकारी अभिभावकों को भी नहीं रहती है. इसका फायदा स्कूल वाले उठाते हैं और बच्चों को वाहनों में ठूस ठूस कर भरते हैं. वाहनों की स्थिति भी ठीकठाक नहीं होती है और न ही सही ढंग से बैठने की जगह होती है और न ही सुरक्षा को देखते हुए पुख्ता इंतजाम. खास कर छोटे वाहनों में खिड़की खुली होने के कारण हर वक्त हादसे का भी डर बना रहता है. कई स्कूलों की बसे भी ऐसी हैं, जो चलते-चलते कब खड़ी हो जाये किसी को नहीं पता.


Conclusion:अभिभावक भी रहते हैं चिंतित : प्राइवेट स्कूलों में महंगी फीस देकर अपने बच्चों को पढ़ाने वाले अभिभावकों को चैन तब तक नहीं आता, जब तक उनका लाडला सुरक्षित घर नहीं पहुंच जाता है. आर्थिक रूप से मजबूत लोगों के बच्चे स्कूली वाहनों से पढ़ने आते-जाते हैं. मैजिक वाहनों से बच्चों को स्कूल से घर ले जाते हैं. ये वाहन चालक बेहद तेज गति से वाहन चलाते हैं. इससे हमेशा दुर्घटना की आशंका बनी रहती है.
इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां के अधिकारी बच्चों की सुरक्षा को लेकर कितने गंभीर है

बाईट- रामदेव सरलाम, बीआरसी खातेगांव
Last Updated : Jan 1, 2020, 12:23 PM IST
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