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शिक्षा-व्यवस्था का बुरा हाल, एक ही क्लास में बैठते हैं पहली से 8वीं कक्षा के छात्र, स्कूल में है बस एक ही शिक्षक - poor condition of education system in dewas

आदिवासी बाहुल्य सागोनिया गांव में शिक्षा-व्यवस्था की बदहाल स्थिति सभी सरकारी दावों की पोल खोलने के लिए काफी है. यहां सरकार ने बच्चों के लिए स्कूल तो बना दिया, लेकिन शिक्षकों की नियुक्ति नहीं की है, जिसके कारण बच्चों का भविष्य अधर में है.

शिक्षा-व्यवस्था का बुरा हाल
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Published : Jul 10, 2019, 8:28 AM IST

Updated : Jul 10, 2019, 11:00 AM IST

देवास। मध्यप्रदेश में शिक्षा-व्यवस्था की हालत बेहद दयनीय है, जो सरकारी दावों की पोल खोल रही है. ऐसा ही हाल है खातेगांव विधानसभा क्षेत्र का, जहां शासकीय प्राथमिक स्कूलों में पढ़ाने के लिए शिक्षक ही नहीं हैं. बिना शिक्षक के बच्चों की पढ़ाई बुरी तरह से प्रभावित हो रही है.

शासकीय प्राथमिक स्कूल में नहीं हैं शिक्षक, सिर्फ प्रधानाध्यापक के भरोसे स्कूल

खातेगांव विकासखंड के अंतर्गत आदिवासी बाहुल्य सागोनिया गांव में सरकार ने बच्चों के लिए स्कूल तो बना दिया, लेकिन शिक्षकों की नियुक्ति नहीं की गई. यहां प्राथमिक कक्षाओं में 62 और माध्यमिक कक्षाओं में 90 बच्चे अध्ययनरत हैं, लेकिन शासन स्तर पर कुल मिलाकर 152 बच्चों पर मात्र एक शिक्षक की नियुक्ति है.

जब ETV BHARAT की टीम ने मौके पर जाकर देखा, तो कक्षा पहली से आठवीं तक के बच्चे एक ही क्लास में बैठे हुए मिले. यहां मिडिल स्कूल में शिक्षक ही नहीं है. सागोनिया गांव में शिक्षा व्यवस्थाओं ने सरकारी दावों की पोल खोल दी है.

मामले में शासकीय प्राथमिक विद्यालय के प्रिंसिपल शिवराम नागलोद ने बताया कि शासन स्तर से उनकी अकेली की ड्यूटी है. वह प्राथमिक कक्षा के प्रधानाध्यापक हैं और साथ ही मिडिल स्कूल का प्रभार भी उनके ही पास है. वह बीएलओ का काम भी देखते हैं. वर्तमान में स्कूलों में प्रवेश और टीसी देने का काम चल रहा है और ये काम भी खुद प्रधानाध्यापक शिवराम नागलोद ही देखते हैं. अब बिना शिक्षक के नौनिहालों की पढ़ाई कैसे होगी, इस प्रश्न का जवाब किसी के पास नहीं है.

देवास। मध्यप्रदेश में शिक्षा-व्यवस्था की हालत बेहद दयनीय है, जो सरकारी दावों की पोल खोल रही है. ऐसा ही हाल है खातेगांव विधानसभा क्षेत्र का, जहां शासकीय प्राथमिक स्कूलों में पढ़ाने के लिए शिक्षक ही नहीं हैं. बिना शिक्षक के बच्चों की पढ़ाई बुरी तरह से प्रभावित हो रही है.

शासकीय प्राथमिक स्कूल में नहीं हैं शिक्षक, सिर्फ प्रधानाध्यापक के भरोसे स्कूल

खातेगांव विकासखंड के अंतर्गत आदिवासी बाहुल्य सागोनिया गांव में सरकार ने बच्चों के लिए स्कूल तो बना दिया, लेकिन शिक्षकों की नियुक्ति नहीं की गई. यहां प्राथमिक कक्षाओं में 62 और माध्यमिक कक्षाओं में 90 बच्चे अध्ययनरत हैं, लेकिन शासन स्तर पर कुल मिलाकर 152 बच्चों पर मात्र एक शिक्षक की नियुक्ति है.

जब ETV BHARAT की टीम ने मौके पर जाकर देखा, तो कक्षा पहली से आठवीं तक के बच्चे एक ही क्लास में बैठे हुए मिले. यहां मिडिल स्कूल में शिक्षक ही नहीं है. सागोनिया गांव में शिक्षा व्यवस्थाओं ने सरकारी दावों की पोल खोल दी है.

मामले में शासकीय प्राथमिक विद्यालय के प्रिंसिपल शिवराम नागलोद ने बताया कि शासन स्तर से उनकी अकेली की ड्यूटी है. वह प्राथमिक कक्षा के प्रधानाध्यापक हैं और साथ ही मिडिल स्कूल का प्रभार भी उनके ही पास है. वह बीएलओ का काम भी देखते हैं. वर्तमान में स्कूलों में प्रवेश और टीसी देने का काम चल रहा है और ये काम भी खुद प्रधानाध्यापक शिवराम नागलोद ही देखते हैं. अब बिना शिक्षक के नौनिहालों की पढ़ाई कैसे होगी, इस प्रश्न का जवाब किसी के पास नहीं है.

Intro:नोनिहलो का भविष्य दांव पर, शिक्षा विभाग नही दे रहा है ध्यान

खातेगांव। प्रदेश सरकार ने स्कूली बच्चों को शिक्षा का अधिकार तो दिया लेकिन शिक्षा के पर्याप्त इंतजाम करना ही भूल गए। बैठने के लिए भवन तो है लेकिन अध्यापन कार्य करवाने के लिए
शिक्षक ही नही है, ऐसे में नोनिहलो के माता-पिता का सपना कैसे होगा पूरा? खातेगांव विधानसभा क्षेत्र अधिकांश स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था बेहाल है

Body:ऐसा ही मामला खातेगांव विकासखंड के अंतर्गत ग्राम सागोनिया का सामने आया है, जहाँ सरकार ने बच्चों के लिए भवन तो बना दिया लेकिन शिक्षक की नियुक्ति नही की। यहाँ वर्तमान में प्राथमिक कक्षाओ में 62 तो माध्यमिक कक्षाओं में 90 बच्चे अध्ययनरत है। कुल मिलाकर 152 बच्चो पर मात्र शासन स्तर पर एक शिक्षक की नियुक्ति है। जब ETV BHARAT की टीम ने मौके पर जाकर दिखा तो कक्षा पहली से 8वी तक के बच्चे एक ही कक्ष में बैठे हुए दिखे। यहां मिडिल स्कूल शिक्षक विहीन है। शासन स्तर पर कोई भी शिक्षक की व्यवस्था नही है, बता दे सागोनिया आदिवासी बाहुल्य ग्राम है। और यहां शिक्षा के हाल बेहाल है। इस प्रकार की व्यवस्थाओं ने सरकार और शिक्षा व्यवस्था के तमाम दावों की पोल खोल दी।

Conclusion:इस संबंध में संस्था प्रधान शिवराम नागलोद से चर्चा की तो उन्होंने बताया कि शासन स्तर से उनकी अकेली की ड्यूटी ही है। प्राथमिक कक्षा के प्रधानाध्यापक है, साथ ही मिडिल स्कूल का प्रभार भी है। और बीएलओ का काम भी यही देखते है। वर्तमान में स्कूलो में प्रवेश एवं टीसी देने का कार्य चल रहा है ये कार्य भी स्वयं नागलोद ही देखते है। एक ही शिक्षक के जिम्मे इतने काम तो पढ़ाई कैसे होगी पूरी। इस प्रकार शिक्षा के लिए किए गए बेहतर इंतजामो की पोल खुलती नजर आ रही है। माता-पिता ने अपने बच्चों के लिए बेहतर शिक्षा के सपने संजोए है वह कैसे पूरा होंगे।

बाईट- शिवराम नागलोद, प्रधानाध्यापक शा प्रा वि सागोनिया
Last Updated : Jul 10, 2019, 11:00 AM IST
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