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डोल ग्यारस पर पानी में तैराई जाएगी भगवान नृसिंह की प्रतिमा, हजारों श्रद्धालु होंगे शामिल - madhya pradesh news

हाटपिपल्या में डोल ग्यारस के अवसर पर भगवान नृसिंह की साढ़े सात किलो वजनी पाषाण प्रतिमा को भमौरी नदी के पानी में तैराया जाता है. जिसे देखने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु दूर दराज से आते है.

डोल ग्यारस पर पानी में तैराई जाएगी भगवान नृसिंह की प्रतिमा
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Published : Sep 7, 2019, 1:50 PM IST

देवास। जिले की हाटपिपल्या में हर साल की तरह इस साल भी डोल ग्यारस के पर्व पर एक पारंपरिक आयोजन किया जाएगा. यहां भगवान नृसिंह की साढ़े सात किलो वजनी पाषाण प्रतिमा को नृसिंह घाट स्थित भमौरी नदी के पानी में तैराया जाता है. इस बार यह कार्यक्रम 9 सितम्बर को तैराया जाएगा. जिसे देखने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु दूर दराज से आते हैं.

डोल ग्यारस पर पानी में तैराई जाएगी भगवान नृसिंह की प्रतिमा


मंदिर के सदस्य संतोष सोनी ने बताया कि भगवान नृसिंह की प्रतिमा को तीन बार पानी में तैराई जाती है. मान्यता है कि एक बार प्रतिमा पानी में तैराने से आने वाला साल साधारण रहता है. वहीं दो बार तैरती है तो साल का 8 महीना सुखद रहते है. वहीं अगर तीनों बार प्रतिमा पानी में डूब जाए तो आने वाला साल अनिश्चितताओं से गुजरता है.


बता दें कि प्राचीन पाषाण प्रतिमा को भव्य जुलूस के साथ स्थानीय नृसिंह मंदिर से निकाली जाती है और नगर के सभी मंदिरों में घूमाने के बाद बैंड-बाजे के साथ नृसिंह घाट तक प्रतिमा को ले जाया जाता है. जिसके बाद पूके विधि विधान के साथ भगवान नृसिंह की प्रतिमा पानी में तैरती जाती है.

देवास। जिले की हाटपिपल्या में हर साल की तरह इस साल भी डोल ग्यारस के पर्व पर एक पारंपरिक आयोजन किया जाएगा. यहां भगवान नृसिंह की साढ़े सात किलो वजनी पाषाण प्रतिमा को नृसिंह घाट स्थित भमौरी नदी के पानी में तैराया जाता है. इस बार यह कार्यक्रम 9 सितम्बर को तैराया जाएगा. जिसे देखने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु दूर दराज से आते हैं.

डोल ग्यारस पर पानी में तैराई जाएगी भगवान नृसिंह की प्रतिमा


मंदिर के सदस्य संतोष सोनी ने बताया कि भगवान नृसिंह की प्रतिमा को तीन बार पानी में तैराई जाती है. मान्यता है कि एक बार प्रतिमा पानी में तैराने से आने वाला साल साधारण रहता है. वहीं दो बार तैरती है तो साल का 8 महीना सुखद रहते है. वहीं अगर तीनों बार प्रतिमा पानी में डूब जाए तो आने वाला साल अनिश्चितताओं से गुजरता है.


बता दें कि प्राचीन पाषाण प्रतिमा को भव्य जुलूस के साथ स्थानीय नृसिंह मंदिर से निकाली जाती है और नगर के सभी मंदिरों में घूमाने के बाद बैंड-बाजे के साथ नृसिंह घाट तक प्रतिमा को ले जाया जाता है. जिसके बाद पूके विधि विधान के साथ भगवान नृसिंह की प्रतिमा पानी में तैरती जाती है.

Intro:भगवान नृसिंह की साढ़े सात किलो वजनी पाषाण प्रतिमा पानी मे तैराई जायेगी

डोल ग्यारस के दिन होगा आयोजन

हजारो की संख्या में दूर दराज से देखने आते है श्रद्धालु

देवास के हाटपीपल्या नगर मे प्रतिवर्ष डोल ग्यारस के पावन पर्व पर एक पारंपरिक आयोजन होता है ! यहाँ भगवान नृसिंह की साढ़े सात किलो वजनी पाषाण प्रतिमा को नृसिंह घाट स्थित भमौरी नदी के पानी मे तैराया जाता है !
इस चमत्कारिक पाषाण प्रतिमा को इस बार सोमवार 9 सितम्बर 2019 को शाम 6 बजे तैराया जायेगा !

प्रत्यक्ष पानी मे तैरते हुए देखने हेतु हजारो की संख्या मे दूरदराज तक के श्रद्धालुजन आते है ! प्रतिमा नदी मे तीन बार तैराई जाती है !
आमधारणा है कि तीनो बार पानी मे तैरती है तो आगामी वर्ष सुखद रहेगा दो बार तैरती है तो वर्ष के 8 माह सुखद रहते है एक बार ही तैरती है तो वर्ष साधारण रहेगा और तीनो बार डूब जाये तो वर्ष अनिश्चितताओं से गुजरेगा !
इस प्राचीन पाषाण प्रतिमा को भव्य जुलुस के साथ स्थानीय नृसिंह मंदिर व नगर के सभी मंदिरो के डोल के साथ निकालकर दोपहर 3:30 बजे स्थानीय डॉ. मुखर्जी चौक पर आते है वही से बैंड-बाजे, ढोल-धमाको कई अखाड़ो के साथ नृसिंह घाट तक प्रतिमा को ले जाया जाता है रास्ते मे अनेक जगह पर पूजा अर्चना के साथ - साथ चल समारोह मे शामिल श्रद्धालुओं का स्वागत किया जाता है!

नृसिंह घाट पर पहुंचने के पश्चात मंदिर के पुजारी द्वारा नदी मे स्नान कर मंगल मंत्रोच्चार के पश्चात प्रतिमा को नदी के जल मे छोड़ा जाता है जो प्रायः सात-आठ फिट की सतह तक बहते पानी मे तैरती है इस दृश्य को देखकर श्रद्धालुओं की धार्मिक भावना देखते ही बनती है इस चमत्कारी पाषाण प्रतिमा को लेकर क्षेत्र मे अनेको किवदंतियां भी प्रच्चलित है कुछ बुजुर्ग श्रद्धालुओं के अनुसार लगभग सौ वर्ष पूर्व तात्कालिन होलकर महाराज की जिद पर चौथी बार प्रतिमा को तैराने का प्रयास करने पर यह लुप्त हो गयी थी! लगभग सवा माह की सघन खोजबीन के पश्चात भी नही मिली थी एक दिन मंदिर के पुजारी को स्वप्न मे सेन्दला नदी मे दिखाई दी और इसे भव्य समारोह पूर्वक पुनः मंदिर मे लाकर प्रतिष्ठित की गयी ऐसी एक और आश्चर्य जनक घटना विगत चालीस से पैतालीस वर्ष पूर्व की है इसके अनुसार अचानक प्रतिमा खंडित हो गयी और तब चांदी के तार से बाधा गया कुछ दिनों बाद चाँदी का तार अपने आप गायब हो गया और प्रतिमा पुनः पूर्व अवस्था मे सही पाई गयी !
क्षेत्र के लोगो मे इसके प्रति अगाध श्रद्धा भक्ति के भाव जागृत है !

विजवल
बाइट मोहन दास वैष्णव पुजारी
बाइट संतोष सोनी सदस्य नृसिंह मन्दिर समितिBody:भगवान नृसिंह की साढ़े सात किलो वजनी पाषाण प्रतिमा पानी मे तैराई जायेगी

डोल ग्यारस के दिन होगा आयोजन

हजारो की संख्या में दूर दराज से देखने आते है श्रद्धालु

देवास के हाटपीपल्या नगर मे प्रतिवर्ष डोल ग्यारस के पावन पर्व पर एक पारंपरिक आयोजन होता है ! यहाँ भगवान नृसिंह की साढ़े सात किलो वजनी पाषाण प्रतिमा को नृसिंह घाट स्थित भमौरी नदी के पानी मे तैराया जाता है !
इस चमत्कारिक पाषाण प्रतिमा को इस बार सोमवार 9 सितम्बर 2019 को शाम 6 बजे तैराया जायेगा !

प्रत्यक्ष पानी मे तैरते हुए देखने हेतु हजारो की संख्या मे दूरदराज तक के श्रद्धालुजन आते है ! प्रतिमा नदी मे तीन बार तैराई जाती है !
आमधारणा है कि तीनो बार पानी मे तैरती है तो आगामी वर्ष सुखद रहेगा दो बार तैरती है तो वर्ष के 8 माह सुखद रहते है एक बार ही तैरती है तो वर्ष साधारण रहेगा और तीनो बार डूब जाये तो वर्ष अनिश्चितताओं से गुजरेगा !
इस प्राचीन पाषाण प्रतिमा को भव्य जुलुस के साथ स्थानीय नृसिंह मंदिर व नगर के सभी मंदिरो के डोल के साथ निकालकर दोपहर 3:30 बजे स्थानीय डॉ. मुखर्जी चौक पर आते है वही से बैंड-बाजे, ढोल-धमाको कई अखाड़ो के साथ नृसिंह घाट तक प्रतिमा को ले जाया जाता है रास्ते मे अनेक जगह पर पूजा अर्चना के साथ - साथ चल समारोह मे शामिल श्रद्धालुओं का स्वागत किया जाता है!

नृसिंह घाट पर पहुंचने के पश्चात मंदिर के पुजारी द्वारा नदी मे स्नान कर मंगल मंत्रोच्चार के पश्चात प्रतिमा को नदी के जल मे छोड़ा जाता है जो प्रायः सात-आठ फिट की सतह तक बहते पानी मे तैरती है इस दृश्य को देखकर श्रद्धालुओं की धार्मिक भावना देखते ही बनती है इस चमत्कारी पाषाण प्रतिमा को लेकर क्षेत्र मे अनेको किवदंतियां भी प्रच्चलित है कुछ बुजुर्ग श्रद्धालुओं के अनुसार लगभग सौ वर्ष पूर्व तात्कालिन होलकर महाराज की जिद पर चौथी बार प्रतिमा को तैराने का प्रयास करने पर यह लुप्त हो गयी थी! लगभग सवा माह की सघन खोजबीन के पश्चात भी नही मिली थी एक दिन मंदिर के पुजारी को स्वप्न मे सेन्दला नदी मे दिखाई दी और इसे भव्य समारोह पूर्वक पुनः मंदिर मे लाकर प्रतिष्ठित की गयी ऐसी एक और आश्चर्य जनक घटना विगत चालीस से पैतालीस वर्ष पूर्व की है इसके अनुसार अचानक प्रतिमा खंडित हो गयी और तब चांदी के तार से बाधा गया कुछ दिनों बाद चाँदी का तार अपने आप गायब हो गया और प्रतिमा पुनः पूर्व अवस्था मे सही पाई गयी !
क्षेत्र के लोगो मे इसके प्रति अगाध श्रद्धा भक्ति के भाव जागृत है !

विजवल
बाइट मोहन दास वैष्णव पुजारी
बाइट संतोष सोनी सदस्य नृसिंह मन्दिर समितिConclusion:भगवान नृसिंह की साढ़े सात किलो वजनी पाषाण प्रतिमा पानी मे तैराई जायेगी

डोल ग्यारस के दिन होगा आयोजन

हजारो की संख्या में दूर दराज से देखने आते है श्रद्धालु

देवास के हाटपीपल्या नगर मे प्रतिवर्ष डोल ग्यारस के पावन पर्व पर एक पारंपरिक आयोजन होता है ! यहाँ भगवान नृसिंह की साढ़े सात किलो वजनी पाषाण प्रतिमा को नृसिंह घाट स्थित भमौरी नदी के पानी मे तैराया जाता है !
इस चमत्कारिक पाषाण प्रतिमा को इस बार सोमवार 9 सितम्बर 2019 को शाम 6 बजे तैराया जायेगा !

प्रत्यक्ष पानी मे तैरते हुए देखने हेतु हजारो की संख्या मे दूरदराज तक के श्रद्धालुजन आते है ! प्रतिमा नदी मे तीन बार तैराई जाती है !
आमधारणा है कि तीनो बार पानी मे तैरती है तो आगामी वर्ष सुखद रहेगा दो बार तैरती है तो वर्ष के 8 माह सुखद रहते है एक बार ही तैरती है तो वर्ष साधारण रहेगा और तीनो बार डूब जाये तो वर्ष अनिश्चितताओं से गुजरेगा !
इस प्राचीन पाषाण प्रतिमा को भव्य जुलुस के साथ स्थानीय नृसिंह मंदिर व नगर के सभी मंदिरो के डोल के साथ निकालकर दोपहर 3:30 बजे स्थानीय डॉ. मुखर्जी चौक पर आते है वही से बैंड-बाजे, ढोल-धमाको कई अखाड़ो के साथ नृसिंह घाट तक प्रतिमा को ले जाया जाता है रास्ते मे अनेक जगह पर पूजा अर्चना के साथ - साथ चल समारोह मे शामिल श्रद्धालुओं का स्वागत किया जाता है!

नृसिंह घाट पर पहुंचने के पश्चात मंदिर के पुजारी द्वारा नदी मे स्नान कर मंगल मंत्रोच्चार के पश्चात प्रतिमा को नदी के जल मे छोड़ा जाता है जो प्रायः सात-आठ फिट की सतह तक बहते पानी मे तैरती है इस दृश्य को देखकर श्रद्धालुओं की धार्मिक भावना देखते ही बनती है इस चमत्कारी पाषाण प्रतिमा को लेकर क्षेत्र मे अनेको किवदंतियां भी प्रच्चलित है कुछ बुजुर्ग श्रद्धालुओं के अनुसार लगभग सौ वर्ष पूर्व तात्कालिन होलकर महाराज की जिद पर चौथी बार प्रतिमा को तैराने का प्रयास करने पर यह लुप्त हो गयी थी! लगभग सवा माह की सघन खोजबीन के पश्चात भी नही मिली थी एक दिन मंदिर के पुजारी को स्वप्न मे सेन्दला नदी मे दिखाई दी और इसे भव्य समारोह पूर्वक पुनः मंदिर मे लाकर प्रतिष्ठित की गयी ऐसी एक और आश्चर्य जनक घटना विगत चालीस से पैतालीस वर्ष पूर्व की है इसके अनुसार अचानक प्रतिमा खंडित हो गयी और तब चांदी के तार से बाधा गया कुछ दिनों बाद चाँदी का तार अपने आप गायब हो गया और प्रतिमा पुनः पूर्व अवस्था मे सही पाई गयी !
क्षेत्र के लोगो मे इसके प्रति अगाध श्रद्धा भक्ति के भाव जागृत है !

विजवल
बाइट मोहन दास वैष्णव पुजारी
बाइट संतोष सोनी सदस्य नृसिंह मन्दिर समिति
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