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गामा पहलवान का दतिया से रहा है पुराना नाता, एक दिन में लगाते थे 5000 बैठक - गामा पहलवान की पोती

गामा पहलवान का दतिया से खासा नाता रहा है. गामा पहलवान ने दतिया से ही कुश्ती के शुरुआती दाव पेंच सीखे. बंटवारे के बाद वह परिवार के साथ पाकिस्तान जाकर बस गए. इसके बाद भी वह दतिया आते जाते रहे.

gama pahlwan
गामा पहलवान
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Published : May 22, 2021, 9:35 PM IST

दतियाः गामा पहलवान कुश्ती की दुनिया में वह शख्सियत थे, जिनका आज भी कोई सानी नहीं है. गामा पहलवान का मध्य प्रदेश से विशेष नाता रहा है. 22 मई 1878 को गामा पहलवान का जन्म दतिया में हुआ था. उनके जन्म को लेकर विवाद है. हालांकि कुछ लोगों का कहना है कि गामा पहलवान का जन्म पंजाब के अमृतसर में हुआ था. बताया जाता है कि दतिया के तत्कालीन राजा भवानी सिंह ने गामा को कुश्ती के क्षेत्र में बढ़ावा दिया. पहलवानी की सुविधाओं से लेकर उनके खानपान का इंतजाम किया गया. गामा पहलवान की पुण्यतिथि पर दतिया के एक युवा ने एक डॉक्यूमेंट्री जारी की है. इस डॉक्यूमेंट्री को यू-ट्यूब पर अब तक 40 हजार से ज्यादा लोगों ने देखा है. गामा पहलवान की डॉक्यूमेंट्री लोगों को खूब पसंद आ रही है.

आज भी मौजूद है गामा पहलवान का अखाड़ा
गामा पहलवान ने देश के साथ विदेशों में भी नामी पहलवानों के साथ कुश्ती लड़ी. कोई भी पहलवान उन्हें पराजित नहीं कर सका. गामा पहलवान का अखाड़ा वीर सिंह पैलेस में आज भी दतिया में मौजूद है. दरअसल, गामा पहलवान का ननिहाल दतिया में था. दतिया स्थित वीरदेव महल में एक अखाड़ा है, जिसमें गामा पहलवानी के दांव-पेंच सीखते थे.

52 वर्ष के करियर में नहीं हारा कोई मुकाबला
गामा पहलवान रुस्तम-ए-हिंद के नाम से फेमस हैं. गामा पहलवान एक दिन में 5000 बैठक और 1000 से ज्यादा पुशअप लगाने के लिए जाने जाते थे. वह दुनिया में कभी किसी भी पहलवान से नहीं हारे. उनके चेहरे पर गजब का तेज था. इनके बचपन का नाम गुलाम मुहम्मद था. उन्होंने महज 10 साल की उम्र में ही पहलवानी शुरू कर दी थी. गामा अपने 52 वर्ष के करियर में कभी कोई मुकाबला नहीं हारे.

मार्शल आर्टिस्ट ब्रूस ली भी थे गामा से प्रभावित
आपको जानकार हैरानी होगी कि गामा ने पत्थर के डम्बल से अपनी बॉडी बनाई थी. फेमस मार्शल आर्टिस्ट ब्रूस ली भी गामा से बेहद प्रभावित थे. गामा शरीर के साथ जितनी मेहनत करते थे उनकी डाइट भी वैसी ही थी. जिसे पचाना आम इंसान के बस से बाहर है. गामा डाइट में 6 देसी चिकन, 10 लीटर दूध, आधा किलो घी और बादाम का शरबत और 100 रोटी लेते थे. गामा के पिता मुहम्मद अजीज बख्श भी पहलवान थे. ऐसे में उन्हें बचपन से ही पहलवानी का शौक था. कहा जाता है कि गामा पहलवान ने एक बार 1200 किलो के पत्थर को उठाकर कुछ दूर चलने का कारनामा कर दिखाया था.

बड़े-बड़े पहलवानों को गामा ने चटाई थी धूल
5 फुट 7 इंच के हाइट वाले गामा पहलवान ने उस दौर में विश्व के लगभग हर लंबे पहलवान को धूल चटाई थी. रहीमबख्श सुल्तानीवाला पहलवान को मात देने के बाद गामा पहलवान का नाम भारत ही नहीं बल्कि विश्व भर में फेमस हो गया था. इसके बाद गामा पहलवान ने दुनियाभर में अपनी ताकत का लोहा मनवाया और लंदन में तत्कालीन विश्व चैंपियन पहलवान स्टैनिस्लॉस जैविस्को से सामना हुआ. हालांकि वह मुकाबला बराबरी पर छूटा था. गामा पहलवान ने उस वक्त दुनिया के कई बड़े पहलवानों को धूल चटाई और कभी नहीं हारे.

दतिया में सीखे थे पहलवानी के शुरुआती गुण
गामा पहलवान आभिवाजित भारत में जन्में थे. भारत-पाकिस्तान बंटवारे के समय ही गामा पहलवान अपने परिवार के साथ लाहौर चले गए थे. गामा पहलवान ने कुश्ती की शुरुआती बारीकियां मशहूर पहलवान माधो सिंह से सीखी. इसके बाद उन्हें दतिया के महाराजा भवानी सिंह ने पहलवानी करने की सुविधाएं दीं, जिससे उनकी पहलवानी में गजब का निखार आ गया. हालांकि कहा जाता है कि पाकिस्तान जाने के बाद भी वह दतिया आते रहते थे. पहलवानी के शुरुआती गुण दतिया में सीखने की वजह से उन्हें यहां से विशेष लगाव था. जैसा कि हरीश ने अपनी डॉक्यूमेंट्री में भी दिखाया है. गामा पहलवान की मृत्यु 23 मई 1960 को लाहौर पाकिस्तान में हुई थी. गामा का परिवार आज भी पाकिस्‍तान में रहता है. पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की दिवंगत पत्‍नी कुलसुम नवाज गामा की ही पोती थीं.

दतियाः गामा पहलवान कुश्ती की दुनिया में वह शख्सियत थे, जिनका आज भी कोई सानी नहीं है. गामा पहलवान का मध्य प्रदेश से विशेष नाता रहा है. 22 मई 1878 को गामा पहलवान का जन्म दतिया में हुआ था. उनके जन्म को लेकर विवाद है. हालांकि कुछ लोगों का कहना है कि गामा पहलवान का जन्म पंजाब के अमृतसर में हुआ था. बताया जाता है कि दतिया के तत्कालीन राजा भवानी सिंह ने गामा को कुश्ती के क्षेत्र में बढ़ावा दिया. पहलवानी की सुविधाओं से लेकर उनके खानपान का इंतजाम किया गया. गामा पहलवान की पुण्यतिथि पर दतिया के एक युवा ने एक डॉक्यूमेंट्री जारी की है. इस डॉक्यूमेंट्री को यू-ट्यूब पर अब तक 40 हजार से ज्यादा लोगों ने देखा है. गामा पहलवान की डॉक्यूमेंट्री लोगों को खूब पसंद आ रही है.

आज भी मौजूद है गामा पहलवान का अखाड़ा
गामा पहलवान ने देश के साथ विदेशों में भी नामी पहलवानों के साथ कुश्ती लड़ी. कोई भी पहलवान उन्हें पराजित नहीं कर सका. गामा पहलवान का अखाड़ा वीर सिंह पैलेस में आज भी दतिया में मौजूद है. दरअसल, गामा पहलवान का ननिहाल दतिया में था. दतिया स्थित वीरदेव महल में एक अखाड़ा है, जिसमें गामा पहलवानी के दांव-पेंच सीखते थे.

52 वर्ष के करियर में नहीं हारा कोई मुकाबला
गामा पहलवान रुस्तम-ए-हिंद के नाम से फेमस हैं. गामा पहलवान एक दिन में 5000 बैठक और 1000 से ज्यादा पुशअप लगाने के लिए जाने जाते थे. वह दुनिया में कभी किसी भी पहलवान से नहीं हारे. उनके चेहरे पर गजब का तेज था. इनके बचपन का नाम गुलाम मुहम्मद था. उन्होंने महज 10 साल की उम्र में ही पहलवानी शुरू कर दी थी. गामा अपने 52 वर्ष के करियर में कभी कोई मुकाबला नहीं हारे.

मार्शल आर्टिस्ट ब्रूस ली भी थे गामा से प्रभावित
आपको जानकार हैरानी होगी कि गामा ने पत्थर के डम्बल से अपनी बॉडी बनाई थी. फेमस मार्शल आर्टिस्ट ब्रूस ली भी गामा से बेहद प्रभावित थे. गामा शरीर के साथ जितनी मेहनत करते थे उनकी डाइट भी वैसी ही थी. जिसे पचाना आम इंसान के बस से बाहर है. गामा डाइट में 6 देसी चिकन, 10 लीटर दूध, आधा किलो घी और बादाम का शरबत और 100 रोटी लेते थे. गामा के पिता मुहम्मद अजीज बख्श भी पहलवान थे. ऐसे में उन्हें बचपन से ही पहलवानी का शौक था. कहा जाता है कि गामा पहलवान ने एक बार 1200 किलो के पत्थर को उठाकर कुछ दूर चलने का कारनामा कर दिखाया था.

बड़े-बड़े पहलवानों को गामा ने चटाई थी धूल
5 फुट 7 इंच के हाइट वाले गामा पहलवान ने उस दौर में विश्व के लगभग हर लंबे पहलवान को धूल चटाई थी. रहीमबख्श सुल्तानीवाला पहलवान को मात देने के बाद गामा पहलवान का नाम भारत ही नहीं बल्कि विश्व भर में फेमस हो गया था. इसके बाद गामा पहलवान ने दुनियाभर में अपनी ताकत का लोहा मनवाया और लंदन में तत्कालीन विश्व चैंपियन पहलवान स्टैनिस्लॉस जैविस्को से सामना हुआ. हालांकि वह मुकाबला बराबरी पर छूटा था. गामा पहलवान ने उस वक्त दुनिया के कई बड़े पहलवानों को धूल चटाई और कभी नहीं हारे.

दतिया में सीखे थे पहलवानी के शुरुआती गुण
गामा पहलवान आभिवाजित भारत में जन्में थे. भारत-पाकिस्तान बंटवारे के समय ही गामा पहलवान अपने परिवार के साथ लाहौर चले गए थे. गामा पहलवान ने कुश्ती की शुरुआती बारीकियां मशहूर पहलवान माधो सिंह से सीखी. इसके बाद उन्हें दतिया के महाराजा भवानी सिंह ने पहलवानी करने की सुविधाएं दीं, जिससे उनकी पहलवानी में गजब का निखार आ गया. हालांकि कहा जाता है कि पाकिस्तान जाने के बाद भी वह दतिया आते रहते थे. पहलवानी के शुरुआती गुण दतिया में सीखने की वजह से उन्हें यहां से विशेष लगाव था. जैसा कि हरीश ने अपनी डॉक्यूमेंट्री में भी दिखाया है. गामा पहलवान की मृत्यु 23 मई 1960 को लाहौर पाकिस्तान में हुई थी. गामा का परिवार आज भी पाकिस्‍तान में रहता है. पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की दिवंगत पत्‍नी कुलसुम नवाज गामा की ही पोती थीं.

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