दतिया। मध्यप्रदेश के दतिया स्थित देवी पीतांबरा मंदिर में (Datia Shaktipeeth Maa Pitambara) मां पीतांबरा की स्थापना सन 1935 में मंदिर के पीठाधीश्वर स्वामी जी महाराज ने की थी. श्री पीतांबरा मंदिर जहां स्थित है वहां पहले काफी घना था. मंदिर के पीठाधीश्वर स्वामी जी ने अपनी तपस्या के बल पर इस मंदिर को एक जागृत पीठ बनाया और देवी कृपा से यहां अन्य विग्रह की स्थापना हुई. देवी पीतांबरा मंदिर तंत्र मंत्रों की एक जागृत प्रयोगशाला भी है. यहां अंक ज्योतिष के अलावा वैदिक पद्धति से पूजा अर्चना अनुष्ठान के अपने नियम हैं. देवी पीतांबरा मंदिर में महाभारत कालीन वनखंडेश्वर महादेव का मंदिर कई चमत्कारी विशेषताओं को अपनी गोद में समेटे हुए लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र बिंदु है.
बगलामुखी के नाम से भी मशहूर : राजसत्ता हासिल करने के लिए अथवा मनोवांछित फल की प्राप्ति के देवी साधना को उत्तम माना गया है. देवी पीतांबरा को ही बगलामुखी के नाम से जाना जाता है. प्राचीन ग्रंथों के अनुसार शत्रुओं के विनाश के देवी बगलामुखी की साधना की गई. भारत व चीन युद्ध के समय श्री पीतांबरा पीठ के पीठाधीश्वर ने सन् 1962 में देवी धूमावती मंदिर के ठीक सामने प्राचीन यज्ञशाला में महत्वपूर्ण यज्ञ का आयोजन किया था और यह राष्ट्र रक्षा अनुष्ठान यज्ञ पूरी तरह से सफल रहा. भारत- चीन युद्ध के दौरान चीन की सेना ने भारत की सीमा को छोड़ा और वापस पराजित होते हुए अपने देश भाग गए. इसके प्रमाण आज भी मौजूद हैं.
मात्र दर्शन से सारे मनोरथ पूरे : देवी पीतांबरा माता के दर्शन करने मात्र से ही मनोवांछित इच्छाओं की पूर्ति हो जाती है. सिद्धपीठ श्री पीतांबरा मंदिर में अद्भुत 4 दरवाजे हैं तो वहीं पूरब पश्चिम और उत्तर दक्षिण दिशाओं में देवी देवताओं के विग्रह स्थापित हैं. देवी धूमावती माता का मंदिर अद्भुत चमत्कारी रहस्य से जाना जाता है. देवी धूमावती माता को प्रति शनिवार नमकीन का प्रसाद अर्पित किया जाता है. देवी पीतांबरा मंदिर में मोक्ष प्रदान करने वाला हरिद्रा कुंड भी है. इसके अलावा अमृतेश्वर महादेव अथवा साधना का प्रमुख स्थल श्री पीठाधीश्वर के विग्रह वाला बड़ा हॉल है.
तंत्र साधना का स्थल : यहां प्राचीन श्री हनुमान मंदिर, श्री गणेश मंदिर एवं बटुक भैरव नाथ की विग्रह मौजूद हैं. यही तमाम विग्रह मिलकर तंत्र साधना के अलावा सहज दर्शनों से राज सत्ता प्राप्ति का योग बनाते हैं. देवी पीतांबरा मंदिर को वास्तु अनुकूल माना जाता है. इसकी वास्तु भौगोलिक स्थिति दुनिया में जो भी धार्मिक स्थान प्रसिद्ध हैं, उन स्थानों की तरह ही सिद्ध शक्तिपीठ. पीताम्बरा मंदिर के सेवक मोनू तिवारी का कहना है माँ पीताम्बरा पीत वर्ण स्वरूपा शत्रु विनाशक देवी हैं, शत्रुहंता होने के कारण माता को राजसत्ता की दाता भी कहा जाता है. यही कारण है कि माता के दर पर सबसे ज्यादा राजनेता मत्था टेकते हैं. मंदिर के सेवक पंडित शिवम व्यास का कहना है कि माता धूमावती लक्ष्मी स्वरूपा देवी हैं. माता के दर्शन मात्र से मनोरथ सिद्ध होते हैं. (Datia Shaktipeeth Maa Pitambara) (Maa Pitambara glory) (Maa Pitambara miracle) (Maa Pitambara history)