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दमोह में सीटी स्कैन मशीन लगाने की सीएम से सिफारिश, नियमों ने डाला रोड़ा

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Published : May 8, 2021, 5:08 PM IST

जिले में कोरोना की आरटीपीसीआर जांच की रिपोर्ट आने में 1 हफ्ते का समय लग रहा है. जिसके कारण संदिग्ध कोरोना मरीजों के इलाज में अनावश्यक रूप से समय लग रहा है और इससे जिले में कोरोना फैलने का भी डर बना हुआ है.

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सीटी स्कैन मशीन

दमोह। कोरोना महामारी के बीच जिला पंचायत अध्यक्ष दमोह ने 15वे वित्त से सीटी स्कैन मशीन के लिए 1 करोड़ रुपए देने की सिफारिश की है, लेकिन बजट की कमी और अन्य कारणों से दमोह वासियों को सीटी स्कैन मशीन मिल पाने की उम्मीद कम नजर आ रही है.

सीटी स्कैन मशीन
  • सीएम से सिफारिश

जिले में कोरोना की आरटीपीसीआर जांच की रिपोर्ट आने में 1 हफ्ते का समय लग रहा है. जिसके कारण संदिग्ध कोरोना मरीजों के इलाज में अनावश्यक रूप से समय लग रहा है. ऐसे में मरीज को किस स्तर के इलाज की आवश्यकता है, यह जानकारी केवल सीटी स्कैन से ही पता लग पाती है. इस समस्या को ध्यान में रखते हुए जिला पंचायत के अध्यक्ष शिवचरण पटेल ने जिला पंचायत के 15 वें वित्त से एक करोड़ रुपए की राशि देने की मांग की है. अध्यक्ष की सिफारिश के बाद लोगों में यह आस जग गई है कि अब शीघ्र ही दमोह में सीटी स्कैन मशीन स्थापित हो जाएगी, लेकिन बजट की कमी, नियमों के पेंच और अन्य व्यवहारिक कठिनाइयों के कारण मशीन आने की राह में रोड़े अटक रहे हैं.

  • क्या है पूरा मामला

जिला पंचायत अध्यक्ष शिवचरण पटेल ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को जिले में सीटी स्कैन मशीन लगाने के लिए 1 करोड़ रुपए देने की सिफारिश करते हुए एक पत्र लिखा था, लेकिन इसके स्वीकृति में कई पेंच हैं. पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने 1 अक्टूबर 2020 को एक पत्र जारी किया था, जिसमें 2025 तक के लिए ऐसे प्रावधान किए गए हैं कि 15वें वित्त की राशि जिस मद में खर्च की जानी है, वह केवल उसी में की जा सकेगी. मसलन पेयजल की राशि सड़क- नाली के निर्माण में खर्च नहीं होगी. इसके अलावा जो भी बजट होगा उसकी 85% राशि ग्राम पंचायत 10% राशि जनपद पंचायत और 5% राशि जिला पंचायत के अधिकार क्षेत्र में रहेगी.

कोरोना की गांवों में दस्तक, शहडोल के सैंकड़ों गांवों में भय का माहौल

जिला पंचायत अध्यक्ष की अनुशंसा पर अब उन्हीं के सदस्य सवाल खड़े कर रहे हैं. जिला पंचायत सदस्य ऋषि लोधी कहते हैं कि मशीन तो आना चाहिए लेकिन जिला पंचायत अध्यक्ष ने एक करोड़ रुपए देने की अनुशंसा मुख्यमंत्री से की है, परंतु यह नियमों के अनुरूप नहीं है क्योंकि जिला पंचायत की कमेटी के द्वारा उक्त राशि दूसरी मद में खर्च करने के लिए कोई विधिवत स्वीकृति नहीं दी गई है.

दमोह। कोरोना महामारी के बीच जिला पंचायत अध्यक्ष दमोह ने 15वे वित्त से सीटी स्कैन मशीन के लिए 1 करोड़ रुपए देने की सिफारिश की है, लेकिन बजट की कमी और अन्य कारणों से दमोह वासियों को सीटी स्कैन मशीन मिल पाने की उम्मीद कम नजर आ रही है.

सीटी स्कैन मशीन
  • सीएम से सिफारिश

जिले में कोरोना की आरटीपीसीआर जांच की रिपोर्ट आने में 1 हफ्ते का समय लग रहा है. जिसके कारण संदिग्ध कोरोना मरीजों के इलाज में अनावश्यक रूप से समय लग रहा है. ऐसे में मरीज को किस स्तर के इलाज की आवश्यकता है, यह जानकारी केवल सीटी स्कैन से ही पता लग पाती है. इस समस्या को ध्यान में रखते हुए जिला पंचायत के अध्यक्ष शिवचरण पटेल ने जिला पंचायत के 15 वें वित्त से एक करोड़ रुपए की राशि देने की मांग की है. अध्यक्ष की सिफारिश के बाद लोगों में यह आस जग गई है कि अब शीघ्र ही दमोह में सीटी स्कैन मशीन स्थापित हो जाएगी, लेकिन बजट की कमी, नियमों के पेंच और अन्य व्यवहारिक कठिनाइयों के कारण मशीन आने की राह में रोड़े अटक रहे हैं.

  • क्या है पूरा मामला

जिला पंचायत अध्यक्ष शिवचरण पटेल ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को जिले में सीटी स्कैन मशीन लगाने के लिए 1 करोड़ रुपए देने की सिफारिश करते हुए एक पत्र लिखा था, लेकिन इसके स्वीकृति में कई पेंच हैं. पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने 1 अक्टूबर 2020 को एक पत्र जारी किया था, जिसमें 2025 तक के लिए ऐसे प्रावधान किए गए हैं कि 15वें वित्त की राशि जिस मद में खर्च की जानी है, वह केवल उसी में की जा सकेगी. मसलन पेयजल की राशि सड़क- नाली के निर्माण में खर्च नहीं होगी. इसके अलावा जो भी बजट होगा उसकी 85% राशि ग्राम पंचायत 10% राशि जनपद पंचायत और 5% राशि जिला पंचायत के अधिकार क्षेत्र में रहेगी.

कोरोना की गांवों में दस्तक, शहडोल के सैंकड़ों गांवों में भय का माहौल

जिला पंचायत अध्यक्ष की अनुशंसा पर अब उन्हीं के सदस्य सवाल खड़े कर रहे हैं. जिला पंचायत सदस्य ऋषि लोधी कहते हैं कि मशीन तो आना चाहिए लेकिन जिला पंचायत अध्यक्ष ने एक करोड़ रुपए देने की अनुशंसा मुख्यमंत्री से की है, परंतु यह नियमों के अनुरूप नहीं है क्योंकि जिला पंचायत की कमेटी के द्वारा उक्त राशि दूसरी मद में खर्च करने के लिए कोई विधिवत स्वीकृति नहीं दी गई है.

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