दमोह। बच्चों को कुपोषण से बचाने व मानसिक विकास के लिए शासकीय प्रायमरी स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को फ्लेवर्ड दूध वितरण योजना में जमकर लापरवाही बरती जा रही है. ताजा मामला दमोह जिले की हटा तहसील का है. जहां दूध के पैकेट बोरियों में भरे हुए जनपद कार्यालय में रखे-रखे ही एक्सपायर हो गए. जिसके चलते बच्चों को दूध नसीब नहीं हो पा रहा है.
जिले में कुपोषण की स्थिति बेहद खराब है. इसके बावजूद भी अधिकारियों द्वारा गड़बड़ झाला किया जा रहा है. वर्तमान में स्थिति ये है कि, करीब दो महीने से बच्चों को दूध ही मिलना बंद हो गया है. दो महीने से स्कूलों में दूध के पैकेट पहुंचना बंद हो गए हैं. ऐसे हालातों में जिला किस तरह से कुपोषण से मुक्त होगा ये अधिकारी ही बता सकते हैं.
जानकारी के मुताबिक दूध का ऑर्डर भोपाल की सांची कंपनी को दिया जाता है, जहां से दूध सीधा जनपद कार्यालय पहुंचाया जाता है. यहां से दूध की बोरियां बीआरसी कार्यालय भेजी दी जातीं हैं. जहां से जनशिक्षक के जरिए पूरे ब्लॉक के स्कूलों में दूध पहुंचाया जाता है.
इसके बाद स्कूल में मध्यान्ह भोजन बनाने वाले समूहों को दूध का उचित मिश्रण तैयार करने के बाद बच्चों को बांटा जाता है, लेकिन ये दूध अधिकारियों की लापरवाही से बच्चों को नसीब नहीं हो सका है. दो विभागों की खींचतान में समय रहते ये दूध बच्चों को नहीं मिल सका. वहीं जब इस संबंध में हटा सीईओ आशीष अग्रवाल और बीआरसी शैलेन्द्र राजपूत से बात की, तो उन्होंने कैमरे पर कुछ भी बोलने से साफ इनकार कर दिया. हांलाकि कलेक्टर तरुण राठी ने मामले की जांच की बात कही है. साथ ही कहा कि एक्सपायर दूध के पैकेट्स को नष्ट करने की कार्रवाई की जाएगी.