दमोह। जिले की हटा तहसील में सालों से वन भूमि पर काबिज आदिवासियों ने वन अधिकार पट्टा की मांग को लेकर कांग्रेस नेता दीपेश पटेरया के नेतृत्व में एसडीएम कार्यालय में प्रदर्शन किया और ज्ञापन सौंपा. आदिवासियों का कहना है कि पिछले वे लगभग 25 सालों से पटेरा ब्लॉक के कुलुआकला में काबिज होकर खेती किसानी कर रहे हैं, लेकिन अब तक उन्हें इस जमीन का पट्टा नहीं दिया गया और इतना ही नहीं गांव के दबंग भी इस जमीन पर काबिज होने की कोशिश कर रहे हैं, आदिवासी ग्रामीणों का कहना है कि बार-बार वे इसके लिए जनपद से लेकर जिला पंचायत और कलेक्ट्रेट में गुहार लगा रहे हैं बावजूद उनकी कहीं सुनवाई नहीं हो रही.
इसी कड़ी में सोमवार को फिर ग्रामीणों ने गांव से एसडीएम कार्यालय पहुंचकर पट्टे के लिए गुहार लगाई. ग्राम पंचायत पड़री के आश्रित गांव कुलुआकला गांव निवासी भूरा आदिवासी, राज वहादुर सन्तू, ने बताया कि 1994 से गांव के करीब 15 परिवार वनभूमि पर काबिज है जमीन को सुधार कर वे खेती-किसानी भी कर रहे हैं, लेकिन गांव के कुछ दबंग मिलकर उन्हें उजाड़कर जबरन उनकी जमीन पर काबिज होने की कोशिश कर रहे हैं, यदि उन्हें वन अधिकार पट्टा का लाभ मिल जाए, तो उन्नत खेती कर अपना जीवन संवार सकते हैं.
उन्होंने बताया कि इसके लिए वे जिला कलेक्ट्रेट में कई बार आवेदन निवेदन भी कर चुके है, लेकिन सिर्फ आश्वासन के सिवा उन्हें कुछ भी हासिल नहीं हुआ. आदिवासी ग्रामीणों ने शिवराज सरकार से गुहार लगाते हुए वनवासियों के हितों को देखते हुए वन अधिकार पट्टा देने की मांग की है. उनकी बातों को गंभीरता से सुनने के बाद नायब तहसीलदार नीलू बागरी ने उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया है.